दो सर वाला बच्चा | Hindi Panchatantra Story
दो सर वाला बच्चा | Podcast
एक समय की बात है, एक गांव में किसान के घर दो सिर वाले बच्चे ने जन्म लिया, उस बच्चे को देख कर गांव के सब लोग डर गए, और उस बच्चे को लेकर तरह तरह की बाते करने लगे. कोई बोलता ये बच्चा अशुभ है, तो कोई बोलता की ये राक्षस है जिसने इंसान के घर पर जन्म लिया है.
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उनकी बाते सुनकर किसान बहुत डर गया, और उस बच्चे से छुटकारा पाने की सोचने लगा. अगले दिन किसान बच्चे को दूर जंगल में छोड़ आया. बच्चा भूक से रोने लगा, तो उस बच्चे के रोने की आवाज़ सुनकर एक राक्षसी का ध्यान उस बच्चे पर गया. उसने सोचा की चलो आज बच्चे को खा कर अपनी भूख मिटायगी, लेकिन बच्चे को देखकर उसने अपना इरादा बदल दिया, और उस बच्चे को लेकर अपने घर आ गयी.
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कुछ सालो में वो बच्चा बड़ा हो गया, लेकिन राक्षसी के साथ रहने की वजहा से उसमे भी तामसिक गुण पैदा हो गए थे, और वो हमेशा सिर्फ अपने बारे में ही सोचता था. उस बच्चे के वैसे तो दो सर थे, किन्तु पेट एक ही था.
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ऐसे ही एक दिन जंगल में घूमते हुये उसको एक फल दिखाई देता है, वो झट से उस फल को उठा लेता है और अपने एक मुँह से उसको खाने लगता है, और बोलता है, “वाह! कितना मीठा और स्वादिष्ट फल है.” उसकी बात सुनकर दूसरा मुँह बोलता है की मुझे भी फल चखाओ मै भी इसका स्वाद लेना चाहता हूँ.
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उसकी बात सुनकर पहला मुख हँसकर बोलता है, “तुझे क्या करना है? हमारा पेट तो एक ही है, उसमें वह चला ही गया है। हम दोनों को ही तृप्ति मिल गई है।”
दूसरा मुख उसी दिन से पहले मुँह से विरक्त हो गया और अपने इस अपमान का बदला लेने के उपाय सोचने लगा।
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एक दिन उसने जंगल में एक विषैला फल देखा, उस फल को देखते ही उसको अपने अपमान का बदला लेने का उपाय सूझ गया. वो उस फल को पहले मुँह को दिखाते हुए बोला, “देख ! मुझे यह विषफल मिला है। मैं इसे खाने जा रहा हूँ।”
पहले मुँह ने उसे रोकते हुए कहा, “मूर्ख ! ऐसा मत कर, इसके खाने से हम दोनों मर जायंगे।”
लेकिन दूसरा मुँह उसकी बात नहीं सुनता और फल खा लेता है, जिसके परिणाम स्वरुप वो दो सर वाला इंसान मर जाता है।
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कहानी से शिक्षा – मूर्ख इंसान दुसरो को हानि पहुंचने के लिए अपना बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटते।
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