बदसूरत पेड़ की कहानी | Ugly Tree Story in Hindi

बदसूरत-पेड़-की-कहानी

बच्चों, आज हम आपको एक बदसूरत पेड़ की कहानी (Ugly Tree Story in Hindi) सुनाने जा रहे हैं। इस कहानी से हम सीखेंगे की हमें बाहर की ख़ूबसूरती से अन्दर की ख़ूबसूरती ज्यादा मायने रखती है. Ugly Tree के साथ उसके साथी बहुत बुरा बर्ताव करते थे लेकिन वो उनकी बातो का जवाब नहीं देता था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ की सब कुछ बदल गया, उस पेड़ के साथ क्या क्या हुआ ये जाने के लिए इस कहानी को पढ़िए. 

एक समय की बात है एक घने जंगल में काफी सारे पेड़ आसपास लगे हुए थे. वो सारे पेड़ वाकई काफी ऊँचे, हरे भरे, विशाल और शानदार थे, लेकिन उन्ही पेड़ो के बीच एक ऐसा पेड़ भी था जो की काफी बेढंगा और नाटा था, उसका तना काफी आढ़ा टेढ़ा था, उसकी शाखाये सूखी हुई थी और उनपर काफी कम पत्तिया लगी हुई थी. उसके आस पास के सारे पेड़ उसको बदसूरत पेड़ बोल कर चिढ़ाते थे. उसको उन पेड़ो की बाते सुनकर काफी बुरा लगता था, लेकिन वो उनकी बातो का कभी भी जवाब नहीं देता था.  

एक दिन ऐसे ही सारे पेड़ आपस में बात कर रहे थे और अपनी अपनी तारीफ कर रहे थे. आम का पेड़ बोलता है देखो मेरे ऊपर कितने रसीले फल लगे हैं मैं इस जंगल का सबसे कीमती पेड़ हूं, तभी दूसरा पेड़ बोलता है यह तो कुछ भी नहीं मुझे देखो मैं कितना विशाल और हरा-भरा हूं मेरी वजह से ही जंगल हरा-भरा दिखता है और मेरी वजह से ही दुनिया को ताज़ी हवा मिलती है. तभी तीसरा पेड़ बोलता है तुम दोनों सिर्फ अपनी तारीफ ही करते रहते हो तुम दोनों के पास मेरे जितने खूबसूरत फूल नहीं है मेरा पूरा तना और पत्ते फूलों से ही ढके हुए हैं मेरे फूलों की खुशबू पूरे जंगल को महकाती है, देखो मेरे ऊपर कितनी चिडियो, मधुमक्खियों और बाकी जानवरों का घर है वह सब मुझसे प्यार करते हैं, मैं ही इस जंगल का सबसे सुंदर पेड़ हूं.

वह बदसूरत पेड़ (Ugly Tree) उन सब की बातें सुन रहा होता है, और उनसे बोलता है भाइयों इस दुनिया में सभी का कुछ ना कुछ महत्व जरूर होता है, इसलिए हमें आपस में लड़ना नहीं चाहिए और मिल बांट कर रहना चाहिए। हां तुम सब काफी खूबसूरत हो, मजबूत हो, और तुम्हारे ऊपर मीठे फल और फूल भी आते हैं तुम्हें यह सब लोगों के साथ बांटना चाहिए, हमें किसी को भी छोटा और बड़ा नहीं समझना चाहिए.

उसकी ऐसी बातें सुनकर सारे पेड़ उसके ऊपर हंसने लगते हैं और उसका वापस से मजाक उड़ाने लगते हैं. सारे पेड़ एक साथ बोलते हैं तुम क्या जानो खूबसूरत, बलवान, और हरा भरा होना क्या होता है. तुम तो इस दुनिया के सबसे बदसूरत पेड़ हो, तुम तो ऐसा बोलोगे ही की अपना सब कुछ बाट दो क्योकि तुम्हारे पास इनमें से कुछ भी नहीं है. उस दिन पेड़ को पहली बार गुस्सा आया. वह मन ही मन सोच रहा था कि भगवान ने उसके साथ कितना अन्याय किया है, उसको बाकी पेड़ों की तरह खूबसूरत नहीं बनाया है, भगवन ने उसके साथ किस जन्म का बदला लिया है.

उस दिन के बाद से उस पेड़ ने सबके साथ बात करना बंद कर दिया। लेकिन बाकी पेड़ उसका उसी तरह मजाक उड़ाते रहते थे. ऐसे ही दिन बीत रहे थे कि अचानक एक दिन सारे पेड़ देखते हैं कि जंगल में काफी चहल-पहल है, उन्होंने पहली बार इंसानों को देखा था. इन सारे इंसानों के हाँथ में कुल्हाड़ी होती है, सारे पेड़ आपस में बात करने लगते हैं यह कैसे जीव हैं? ऐसे जीव तो हमने कभी जंगल में नहीं देखे! आम का पेड़ बोलता है “क्या यह हमारे फल तोड़ने आए हैं?” फूलो से लादा पेड़ “बोलता है क्या मेरी महक इनको यहाँ ले आई है?” तभी सबसे घना पेड़ बोलता है मुझे लगता है की ये यहाँ पर मेरी छाव में रहने आये है.

तभी सारे इंसान आपस में बाते करने लगते हैं और बोलते हैं हमें काफी सारे अच्छे पेड़ काटने हैं, उनको बाजार में बेच कर हम काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं. वह सभी अपनी पसंद के पेड़ चुनने लगते हैं कि किसको कौन सा पेड़ काटना है. एक लकड़हारे को आम का पेड़ पसंद आ जाता है दूसरे लकड़हारे को फूलों से भरा हुआ पेड़ पसंद आता है, और तीसरे को सबसे घना पेड़ पसंद आता है, और ऐसे ही सारे लकड़हारे अपनी अपनी पसंद के पेड़ चुन लेते है. तभी एक लकड़हारे की नजर उस बदसूरत पेड़ पर भी पड़ती है और वो बोलता हैं की इतना बदसूरत पेड़! इस पेड़ को काटने का भी कोई फायदा नहीं है इसमें से तो लकड़ी या फल कुछ भी नहीं मिलेगा और वो उस पेड़ को छोड़ देते हैं.

लकड़हारे जैसे ही अपनी कुल्हाड़ी का वार पेड़ों पर करना शुरू करते हैं सारे पेड़ एक साथ चीखे और रोने लगते हैं, और बोलते है हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है जो तुम हमें काट रहे हो? लेकिन लकड़हारे उनकी एक नहीं सुनते और उनके ऊपर कुल्हाड़ी से वार करते रहते है, और कुछ ही समय में वो सारे पेड़ कट कर जमीन पर गिर जाते है. फिर लकड़हारे उन पेड़ो के छोटे छोटे टुकड़े करके गठर में बांध कर चले जाते है.

बदसूरत पेड़ यह सब कुछ देख रहा था. उस दिन उसको पहली बार एहसास हुआ की अगर वह बदसूरत ना होता तो आज वह भी इन्हीं पेड़ों की तरह छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है. उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया, और उस दिन के बाद से उसे अपने रूप रंग को लेकर कोई भी शिकायत नहीं थी. उसको एक बात और समझ में आ गयी की बाहरी रूप सिर्फ दिखावे का ही होता है, जो कभी भी मिट सकता है.

बच्चो हमें बदसूरत पेड़ की कहानी (Ugly Tree Story in Hindi) से ये शिक्षा मिलती है, की हमें कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, बाहरी ख़ूबसूरती कभी भी ख़त्म हो सकती है.

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