बोलने वाली गुफा की कहानी | Talking Cave Story in Hindi (Hindi Panchatantra Story)

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बोलने वाली गुफा की कहानी | Podcast

एक समय की बात है, एक जंगल में एक बहुत चालाक और समझदार लोमड़ी रहती थी. जंगल के काफी सारे जानवर उस समझदार लोमड़ी से सुझाव लेने आते रहते थे, और वो लोमड़ी सबको उचित समाधान भी देती थी.

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लोमड़ी रोज खाने की तलाश में जंगल में जाती थी, और पेट भर कर खाना खा कर वापस अपनी गुफा में आ जाती थी, वो काफी मज़े से अपने दिन गुजार रही थी. लेकिन एक साल जंगल में बहुत कम बारिश हुई, जिसकी वजहा से सारे जानवरो को बहुत दिक्कत होने लगी, और रही सही कसर गर्मी के मौसम में पूरी हो गयी.

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गर्मी की वजहा से सारे नदी, नाले, और पोखर सूख गए जिसकी वजहा से बहुत सारे जानवरो को अपनी जान बचाने के लिए उस जंगल को छोड़ कर दूसरे जंगल में जाना पड़ा.

खाने की कमी की वजहा से जंगल में रहने वाले जानवरो को काफी तकलीफ हो रही थी, और उनको कई कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता था, इन मुसीबतो के बावजूद भी कई सारे जानवर अपने घर, और जंगल को छोड़ कर नहीं जाना चाहते थे.

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लोमड़ी भी रोज खाने की तलाश में जंगल में भटकी थी, कभी उसको थोड़ा खाना मिल जाता तो कभी उसको भूखा ही रहना पड़ता, ऐसे ही एक दिन लोमड़ी अपनी गुफा से निकल कर जंगल में खाना तलाशने गयी. 

उस दिन लोमड़ी की गुफा के पास से एक भूखा शेर गुजर गुजर रहा था, वो शेर भी खाना ना मिलने की वजहा से कई दिनों से भूखा था, लोमड़ी की गुफा देखकर वो रुक जाता है, और गुफा में खाने की तलाश में चला जाता है.

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गुफा के अंदर उसको खाने को तो कुछ नहीं मिलता, लेकिन गुफा से उसको लोमड़ी की महक आती है और वो समझ जाता है की ये एक लोमड़ी की गुफा है. वो जनता है लोमड़ी अपने घर वापस जरूर आएगी और वो उसी गुफा में छुपकर कर लोमड़ी का इंतजार करने लगता है.

शाम तक भूखी लोमड़ी अपनी गुफा के पास वापस आती है, उस दिन भी उसको कुछ खाने को नहीं मिला था. लेकिन गुफा के पास पहुंचते ही उसको शेर के पंजो के निशान दिखते है जो गुफा के अंदर तो जा रहे थे लेकिन बाहर आने का कोई निशान नहीं था.

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लोमड़ी तुरंत समझ जाती है की उसकी गुफा के अंदर कोई शेर छुपा बैठा है, वो थोड़ी देर बाहर रुक कर सोचती है की कैसे पता किया जाए की गुफा के अंदर कोई शेर है या नहीं. काफी देर सोचने के बाद उसको एक उपाय सूझता है, और वो जोर से बोलती है, “मेरी प्यारी गुफा तुम कैसी हो, और आज का दिन कैसा था?”

शेर लोमड़ी की आवाज़ सुनकर समझ जाता है की उस गुफा की मालिक लोमड़ी वापस आ गयी है, खाना मिलने की उम्मीद में शेर के मुँह में पानी आ जाता है, और वो चुपचाप छुप कर गुफा में बैठा रहता है.

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बाहर से लोमड़ी वापस बोलती है, “मेरी प्यारी गुफा तुम कैसी हो, और आज का दिन कैसा था?” क्या हुआ आज तुम बात क्यों नहीं कर रही हो? क्या तुम गुस्सा हो या मेरी गुफा में कोई और है?

अगर तुम मेरी बात का जवाब नहीं दोगी तो मै समझ जाऊंगा की मेरी गुफा में कोई और है.

उसकी बात सुनकर शेर बहुत हैरान रह जाता है, और सोचता है की कही गुफा भी बोलती है?

उधर लोमड़ी वापस अपनी बात दोहराती है, “प्यारी गुफा आज तुम कोई जवाब क्यों है दे रही हो? ठीक है मै वापस चली जाती हू.”

उसकी बात सुनकर शेर से बर्दाश्त नहीं हुआ, उसको लगा कही हाँथ आया शिकार निकल ना जाये।

शेर अपनी आवाज़ बदल कर बोलता है, “मेरी प्यारी लोमड़ी मै अच्छी हूँ, और आज का दिन भी बहुत अच्छा था, मै सो गयी थी इसलिए तुम्हारी बात का जवाब नहीं दे पायी।”

लोमड़ी ने जैसे ही शेर की आवाज़ सुनी, वो समझ गयी की उसकी गुफा में कोई शेर छुप कर बैठा है, वो तुरंत अपनी जान बचा कर वहा से भाग खड़ी होती है, वही शेर काफी देर तक लोमड़ी का का इंतज़ार करने के बाद अपनी किस्मत को कोसता हुआ वहा से वापस चला जाता है. 

इस तरह उस समझदार लोमड़ी में बोलने वाली गुफा की सहायता से अपनी जान बचा ली.

कहानी से शिक्षा – हमें बुरे से बुरे समय में भी अपना विवेक नहीं खोना चाहिए.

बोलने वाली गुफा

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