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दुष्ट भेड़िया और बुराई का अंत
एक समय की बात है, घने जंगल में अनेक जानवर मिल-जुलकर रहते थे। उस जंगल में एक बहुत ही दुष्ट और क्रूर भेड़िया रहता था जिसका नाम था कालू। कालू अपनी बुराई के लिए पूरे जंगल में कुख्यात था।
कालू हमेशा छोटे और कमजोर जानवरों को परेशान करता रहता था। वह खरगोशों के बच्चों को डराता, हिरणों का खाना छीन लेता, और बिना किसी कारण के सभी पर गुर्राता रहता था। जंगल के सभी जानवर उससे बहुत डरते थे।
एक दिन कालू ने देखा कि एक छोटी गिलहरी अपने बच्चों के लिए फल इकट्ठा कर रही है। दुष्ट भेड़िया तुरंत वहाँ पहुँचा और बोला, “अरे छोटी गिलहरी! ये सारे फल मुझे दे दे, नहीं तो मैं तुझे खा जाऊँगा।”
डरी हुई गिलहरी ने कहा, “कृपया मुझे माफ कर दो। ये फल मेरे छोटे बच्चों के लिए हैं। वे भूखे हैं।”
लेकिन कालू ने उसकी एक न सुनी और सारे फल छीन लिए। गिलहरी रोते हुए अपने घर चली गई।
इसी तरह कालू रोज किसी न किसी को परेशान करता रहता था। जंगल के बुजुर्ग हाथी दादाजी ने सभी जानवरों की सभा बुलाई। उन्होंने कहा, “मित्रों, कालू की बुराई अब हद से गुजर गई है। हमें मिलकर इसका समाधान निकालना होगा।”
चतुर लोमड़ी चंचल ने एक योजना सुझाई। उसने कहा, “दादाजी, मैंने सुना है कि जंगल के उस पार एक जादुई कुआँ है। जो भी उसमें झाँकता है, उसे अपना सच्चा रूप दिखाई देता है। अगर हम कालू को वहाँ ले जा सकें तो शायद वह अपनी गलती समझ जाए।”
सभी जानवरों ने इस योजना को मान लिया। अगले दिन चंचल लोमड़ी कालू के पास गई और बोली, “कालू भाई, मैंने सुना है कि तुम बहुत बहादुर हो। क्या तुम उस जादुई कुएँ तक जाने की हिम्मत कर सकते हो?”
अहंकारी कालू ने तुरंत कहा, “मैं किसी से नहीं डरता! चल, दिखा मुझे वह कुआँ।”
चंचल उसे उस जादुई कुएँ के पास ले गई। जैसे ही कालू ने कुएँ में झाँका, उसे अपना असली रूप दिखाई दिया। वह देख सका कि उसके चेहरे पर कितनी क्रूरता और बुराई थी। उसे एहसास हुआ कि वह कितना डरावना और घिनौना लग रहा था।
अचानक कुएँ से एक आवाज आई, “कालू, तुमने अपनी बुराई से सभी को दुखी किया है। अब तुम्हें अपने कर्मों का फल भुगतना होगा।”
उसी समय कालू को लगा जैसे उसके शरीर में कुछ बदलाव हो रहा है। वह छोटा होता जा रहा था और उसकी आवाज भी बदल रही थी। जादुई कुएँ ने उसे एक छोटे से कीड़े में बदल दिया था।
अब कालू को समझ आया कि बुराई का अंत हमेशा बुरा ही होता है। वह रोते हुए बोला, “मुझे माफ कर दो! मैं अब कभी किसी को परेशान नहीं करूँगा।”
जादुई कुएँ की आवाज फिर आई, “अगर तुम सच्चे दिल से सभी से माफी माँगो और आगे से अच्छे काम करने का वादा करो, तो मैं तुम्हें वापस भेड़िया बना दूँगा।”
कालू ने तुरंत सभी जानवरों से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब सबकी मदद करेगा। जादुई कुएँ ने उसे वापस भेड़िया बना दिया, लेकिन अब उसका दिल साफ हो गया था।
उस दिन के बाद कालू ने अपना नाम बदलकर मित्र रख लिया। वह सभी छोटे जानवरों की रक्षा करता और जरूरतमंदों की मदद करता। जंगल में फिर से खुशी और शांति छा गई।
नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुराई का अंत हमेशा बुरा ही होता है। जो व्यक्ति दूसरों को दुख देता है, उसे अंत में अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। लेकिन अगर हम सच्चे दिल से अपनी गलती मान लें और सुधार करने की कोशिश करें, तो हमें दूसरा मौका मिल सकता है। हमें हमेशा दयालु और मददगार बनना चाहिए। सामाजिकता की कहानी और व्यापारी की कहानी भी हमें इसी बात की सीख देती हैं।














