5 Panchatantra stories in hindi ❘ 5 बेहतरीन पंचतंत्र की कहानियां
1. आलसी गधे की कहानी
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक व्यापारी रहता था।
व्यापारी अपने घर का खर्च चलाने के लिए बाजार में तरह-तरह की चीजों का व्यापार करता था।
व्यापारी के पास एक गधा था, वह गधे की पीठ पर सामान की बोरियां डालता, और उन्हें बेचने के लिए बाजार में ले जाता।
वो व्यापारी काफी दयालु था, और वह अपने गधे की अच्छे से देखभाल करता था।
व्यापारी जानता था कि गधा उसके व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए व्यापारी हमेशा अपने गधे को साफ सुथरा रखता था।
वह उसे अच्छा खाना देता था, अच्छा खाना और सही देखभाल की वजह से वो गधा काफी मजबूत हो गया था, गधा कई कई बोरे अपनी पीठ पर लादकर बाजार तक ले जाता था।
लेकिन उस गधे में एक बहुत बड़ी कमी थी वह बहुत आलसी था, और उसे काम करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, वह केवल आराम करना, सपने देखना, खाना, और सोना चाहता था।
रोज गधा यही सोचता था की, ‘आज फिर बाजार जाना पड़ेगा क्या? मालिक को कुछ दिनों की छुट्टिया क्यों नहीं ले लेते है? मुझे छुट्टियाँ पसंद हैं!”
लेकिन गधे को यह समझ नहीं आया कि व्यापारी छुट्टी नहीं ले सकता, व्यापारी बाजार नहीं जाएगा तो उनकी कमाई नहीं होगी, तब व्यापारी और गधे के लिए खाना भी नहीं होगा।
बाजार के हिसाब से व्यापारी चीज, दाल, अनाज और सब्जी बेचता था।
उन लोगो को बाजार पहुंचने के लिए उन्हें एक नदी पार करनी पड़ती थी, और व्यापारी नदी पार करते समय गधे का विशेष ध्यान रखता था ।
एक दिन, एक दोस्त ने व्यापारी को बताया, “नमक की भारी मांग है, मुझे लगता है कि आपको नमक का व्यापार शुरू कर देना चाहिए।”
व्यापारी बोलता है “टिप के लिए धन्यवाद, मेरे दोस्त, मुझे जल्द ही नमक बेचना शुरू कर देना चाहिए।”
जल्द ही व्यापारी ने 12 बोरी नमक बेचने की व्यवस्था की, और वह छह बोरी नमक लेकर गधे की पीठ पर लादने लगा।
व्यापारी ने महसूस किया कि बोरे भारी हैं, और गधे को चलने में दिक्कत हो रही थी।
अरे बेचारा जानवर! यह चल भी नहीं सकता है ; और इसको चोट भी लग सकती है मुझे एक बोरी उतारनी चाहिए, ये सोच कर व्यापारी ने गधे की पीठ से एक बोरी उतार लिया।
लेकिन, गधा काम करने को भी तैयार नहीं था, व्यापारी जानता था कि गधा आलसी है, और उसने अपनी छड़ी निकाली और उसे थपथपाया।
“ओह, अब चलो। इतना आलसी मत बनो। तुम आराम कर चुके हो, हमें बाजार जाने की जरूरत है।
उस दिन व्यापारी ने नमक के अपने सारे बोरे बाजार में बेच दिए।
ओह! मेरा दोस्त सही था। नमक की मांग सचमुच बढ़ रही है।
अब व्यापारी रोज नमक बेचने लगा, वह नमक के बोरे भरकर गधे पर लाद देता था।
गधे को कभी बाजार में पांच तो कभी छह बोरी नमक ले जाना पड़ता था।
कुछ दिन बीत गए, एक दिन व्यापारी ने छह बोरी नमक लादकर बाजार के लिए प्रस्थान किया।
जैसे ही वे नदी के पास पहुंचे, व्यापारी ने देखा कि पानी थोड़ा अधिक था।
“चलो आज बहुत धीरे चलते हैं।” मैं इस पानी में फिसल कर गिरना नहीं चाहता।
जैसे ही वे बीच नदी में पहुंचते है, अचानक गधा बड़े पत्थर की चपेट में आकर फिसल कर गिर जाता है।
व्यापारी किसी तरह गधे को खींच कर नदी पार करवाता है, गधा इस घटना के बाद बहुत डर जाता है, लेकिन तभी उसे महसूस होता है की बोरे अभी भी मेरी पीठ पर हैं, पर फिर भी इनका वजन इतना कम कैसे लग रहा है?
और वो सोचता है “ओह! जरूर इस नदी में कोई जादुई शक्ति है।”
उस गधे को क्या पता था कि नदी में कोई जादू नहीं है, जब वह गिरा तो सारा नमक नदी में घुल गया। इसलिए गधे को अपनी पीठ पर भार महसूस नहीं हुआ।
व्यापारी बोलता है की “बोरियों में नमक नहीं बचा है, बाजार जाने का कोई मतलब नहीं है; चलो घर चलें।”
गधा सोचता है, पीठ पर कोई भर भी नहीं है, और कुछ काम भी नहीं करना है, ये तो सचमुच जादू है!
अगले दिन व्यापारियों ने फिर से गधे की पीठ पर नमक के सभी छह बोरे लाद दिए और बाजार की ओर चल पड़ा।
वे फिर नदी पार करने लगते है और गधा फिर नदी में गिर जाता है।
व्यापारी समझ जाता है की इस बार गधे ने जानभूझ कर पानी में गिरा है, और वो उस आलसी जानवर को सबक सिखाने का सोचता है।
अगली सुबह व्यापारी ने गधे की पीठ पर आठ बोरे लाद दिए।
लेकिन गधे ने शिकायत नहीं की। ओह! आठ बोरी।
लेकिन आज मुझे कोई बोझ महसूस क्यों नहीं हो रहा है? जरूर नदी की चमत्कारी शक्ति मेरी मदद कर रही है, और मैं वैसे भी बाजार नहीं जा रहा हूं।
व्यापारी चुपचाप गधे को नदी की ओर ले गया। वह जानता था कि गधा उसे धोखा देगा।
इसलिए इस बार व्यापारी नमक की जगह गधे की पीठ पर रुई लादता हैं।
गधा जैसे ही पानी में बैठा, रुई पानी सोखकर भारी हो गई।
व्यापारी ये देख कर हंसने लगता है “हाहाहा!” तुमने सोचा था कि तुम मुझे बेवकूफ बना सकते हो? अब इन आठ बोरियों को लेकर बाजार चलकर घर वापस जाना होगा।
गधा सोचता है की “अरे नहीं,” इसके वजन से तो मेरी पीठ टूट जायगी।
गधे को पता चल गया की नदी के पानी में कोई जादू नहीं था, और अब उसको अपने किये का फल भुगतना पड़ेगा।
वह रुई के आठ भारी बोरे बाजार में ले जाने पड़े और वापस लेकर आने पड़े।
उस दिन के बाद से गधे ने फिर कभी पानी में बैठने की हिम्मत नहीं की, और अपने आलस हमेशा के लिए छोड़ दिया.
2. लालची कुत्ते की कहानी
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लालची,आवारा कुत्ता रहता था। उसे रोज सड़क पर या कूड़ेदान में खाना ढूंढ़ना पड़ता था, कभी-कभी कुछ लोग उसपर दया दिखाकर खाना खिला देते थे।
एक दिन वह चिकन की दुकान से गुजर रहा था, तभी उसने देखा कि दुकान पर कोई नहीं है।
उस लालची कुत्ते ने मन ही मन सोचा, “दुकान में घुसने का यह अच्छा मौका है” और कुत्ता चोरीछुपे दुकान में घुस गया।
सामने स्वादिष्ट मांस के टुकड़े को लटका हुआ देखकर वह ख़ुशी से पागल हो गया।
लेकिन लटका हुआ मांस उसकी पहुंच से बहुत दूर था, लेकिन उसने हार नहीं मानी, वह खाने की खोज में जमींन के चारों तरफ देखने लगा.
वह सूँघता हुआ टेबल की और चला गया अचानक उसे एक बड़ी हड्डी दिखाई दी, हड्डी को देखते ही उसके मुँह से लार टपकने लगी और वह ख़ुशी से चीख पड़ा, हे भगवान! आज का दिन कितना अच्छा है! इतने बड़े टुकड़े से मेरा पेट जरूर भर जायगा।
उसने हड्डी को अपने मुंह में पकड़ लिया और सोचा, “मैं इसे किसी शांत जगह पर जाकर खाऊंगा” जहां कोई मुझे परेशान ना करे।
लालची कुत्ते ने हड्डी ली और एक शांत जगह की तलाश करने लगा, वह गाँव को पार करके जंगल चला गया।
भागते भागते उसे जंगल में एक नदी मिली। उसने नदी पार करने की सोची, नदी पार करते समय उसने पानी के तरफ देखा तब उसे नदी में अपनी ही परछाई दिखाई दी।
अपनी परछाई को देखकर वह चकित हो गया, कोई दूसरा कुत्ता समझकर कर वो मन ही मन में सोचने लगा, एक और कुत्ता!!
परछाई के मुँह में दबी हड्डी उसे कुछ ज्यादा ही लज़ीज़ लगने लगी और उसके मन में लालच पैदा हो गया।
लालची कुत्ते ने सोचा कि उसका प्रतिद्वंद्वी कमजोर दिख रहा है, इसलिए वह आसानी से उसके मुँह से लजीज़ हड्डी छीन सकता है, और उसी क्षण, लालची कुत्ते ने दूसरे कुत्ते पर भौंकना शुरू किया, और उसके मुँह में दबी हड्डी नदी में गिर गई।
लालची कुत्ते को बाद में पता चला की, वह कोई और कुत्ता नहीं बल्कि उसकी ही परछाई थी, और लालच में उसने अपनी हड्डी भी खो दी।
लालची कुत्ता उदास होकर वहां से चला गया और उसको अपने लालच का फल भी भुगतना पड़ा।
3. बातूनी कछुए की कहानी
बहुत समय पहले एक जंगल में तालाब के पास एक कछुआ रहता था, एक दिन उसकी मुलाकात हंसों के एक जोड़े से होती है जो हर रोज़ तालाब से पानी पीने आते थे।
उनको देखते ही कछुआ बोला, “कितना खूबसूरत दिन है! “हंसों ने जवाब दिया और पुछा की, “तुम कहाँ रहते हो?” कछुआ बोला, “इसी तालाब में”.
एक हंस बोला, लेकिन आज से पहले हमने तुमको कभी देखा ही नहीं, कछुआ बोलता है “ओह, ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं ज्यादातर घर पर ही रहता हूं।”
कुछ समय बाद ,कछुआ और हंस बहुत अच्छे दोस्त बन गए और साथ में बहुत समय बिताने लगे.
वे जंगल में काफी दूर तक घूमने लगे और लम्बी लम्बी सैर करने लगे. दोनों हंस अब तालाब के पास ज्यादा से ज्यादा समय बिताते थे, वे तीनो काफी खुश रहते थे और उनका समय बहुत अच्छे से बीत रहा था.
कुछ समय के बाद अचानक उस बड़े जंगल में सूखा पड़ गया, तालाब और नदी का पानी सूख गया; बिना खाने और बिना पानी के जंगल के सारे पशु-पक्षी मर रहे थे; वे भोजन और पानी की तलाश में जंगल छोड़ने लगे।
हंसों ने भी जंगल छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने किसी और जंगल में अच्छा सा घर ढूंढ़ने का फ़ैसला किया, लेकिन जाने से पहले वे कछुए के पास उससे मिलने के लिए गए; हंस ने कहा, “अलविदा, मेरे प्यारे दोस्त, हम जंगल छोड़ रहे हैं, यहां जीना बहुत मुश्किल हो गया है, हम तुम्हारे अच्छे भाग्य की कामना करते हैं।”
यह सुनकर कछुआ रोने लगा और बोला: “क्या! तुम मुझे इस संकट की घडी में अकेला छोड़ कर जा रहे हो! तुम किस तरह के दोस्त हो? मुझे बहुत डर लग रहा है, मुझे भी अपने साथ ले चलो”।
यह सुनकर हंस उदास हो गए; हंसों ने कहा, “हम तुम्हे कैसे ले जा सकते हैं” कछुए ने कहा, “मुझे पता है कि मैं उड़ नहीं सकता, लेकिन मेरे पास एक योजना है।”
एक मजबूत छड़ी लो और उसे अपनी चोंच में पकड़ो। मैं इसे अपने मुंह में रखूंगा। तब तुम मुझे अपने साथ लेकर उड़ सकते हो।
इस योजना को सुनकर दोनों हंस खुश हो गए और एक मजबूत छड़ी की तलाश में निकल पड़े। कुछ देर खोजने के बाद उन्हें एक मजबूत छड़ी मिली, जो कछुए को आसानी से ले जा सकती थी।
हंस छड़ी ले आया और कछुए को चेतावनी दी कि इस यात्रा के दौरान तुम्हे अपना मुँह बंद रखना है, अगर तुमने अपना मुंह खोला, तो तुम नीचे गिर जाओगे और तुम्हारी मौत हो जायगी और हम अपना एक प्यारा दोस्त खो देंगे।
कछुआ बोला, हाँ, बिल्कुल, मैं मूर्ख नहीं हूँ;। अच्छा, ठीक है, चलो चलते हैं।
तभी एक हंस बोलता है मैंने दूसरे जंगल में एक सुंदर तालाब ढूंढा है, उम्मीद करता हू तुम सबको वो पसंद आएगा, और वहा हम सब ख़ुशी ख़ुशी साथ में रह सकते हैं जैसे हम पहले यहां रहते थे।
जल्द ही उन्होंने नए घर की यात्रा शुरू की, कछुआ बहुत खुश हुआ और हंसों द्वारा दी गई चेतावनी को भूल गया।
कुछ समय बाद उड़ते उड़ते वे एक खेल के मैदान के ऊपर से जा रहे थे। उन्हें ऐसे उड़ते देख कर देखकर नीचे खेल रहे बच्चो को बहुत आश्चर्य हुआ और मज़ा भी आया, सारे बच्चे खुश होकर तालीया बजाने लगे।
यह देखकर कछुए को बहुत गुस्सा आ गया, मूर्ख कछुआ ये भी भूल गया कि वह खतरनाक तरीके से लटक रहा है।
वो बच्चो पर चिल्लाया क्या तुमने कभी उड़ता हुआ कछुआ नहीं देखा है क्या?लेकिन ये क्या गुस्से में कछुआ ये भी भूल गया की उसने छड़ी अपने मुँह से पकड़ी हुई थी, फिर क्या कछुए की पकड़ छड़ी से छूट गयी और वो जमीन पर बहुत जोर से गिर गया, और उसकी तुरंत मृत्यु हो गयी।
हमें बातूनी कछुए की कहानी से क्या शिक्षा मिलती है :- हमें हमेशा अपने क्रोध पर नियंत्रड रखना चाहिए, कम बोलना चाहिए और हमेशा दुसरो को बात को ध्यान से सुनना चाहिए।
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5. जिसकी लाठी उसकी भैंस
एक समय की बात है एक गांव में रामू नाम का आदमी रहता था, उसके पास पहुत सारी गाये और भैसे थी, वो अपने गायो और भैसो का बहुत ख्याल रखता था, क्योकि वो उनका दूध बेचकर अपना घर चलता था, उस गांव में रामू की बहुत इज़्ज़त थी और लोग उसको काफी प्यार भी करते थे।
हर साल उस गाँव में जानवरो का बाज़ार लगता था, और रामू हर साल की तरह इस साल भी उस जानवरो के बाज़ार में और गाये खरीदने जाता है.
वहा बहुत सारे व्यापारी अपनी गाये बेचने आये थे, और वो रामू को अच्छी तरह से जानते थे।
रामू के काफी खोज बीन के बाद उसको एक गाये पसंद आ जाती है, जो की काफी हट्टी कट्टी होती है, गाये का मालिक रामू को बताता है की इस गाये का नाम राधा होता है और ये काफी दूध देती है।
रामू गाये के मालिक को पैसा देकर राधा को खरीद लेता है।
अब रामू राधा के लेकर पैदल अपने घर के लिए निकल जाता है, उसके घर के रास्ते में एक घना जंगल पड़ता है, रामू जब जंगल पार कर रहा होता है तो वो देखता है की सामने से एक आदमी हाँथ में लाठी लेकर बहुत तेजी से उसकी तरफ आ रहा था।
वो आदमी रामू को देखते ही बोलता है, ” ऐ रामू इस गाये को मेरे हवाले कर दे” रामू पूछता है “क्यों भाई मै अभी अभी इस गाये को खरीद कर ला रहा हूँ, मै तुमको क्यों दे दू।”
अब वो आदमी गुस्से से रामू की तरफ देख कर बोलता है, “ये लाठी देखी है इसके एक ही वार से तुम्हारा सर फोड़ दूंगा और फिर इस गाये को जाऊंगा”.
रामू समझ जाता है की इस समय इस इंसान से लड़कर नहीं जीता जा सकता है, तो वो उस लुटेरे को बोलता है, ठीक है तुम गाये ले जा सकते हो और आज से तुम इस गये के मालिक हो, इसका अच्छे से ख्याल रखना।
लुटेरा रामू के इस मित्रतापूर्वक व्यवहार से काफी अचंभित रह जाता है, और गाये को लेकर आगे जाने लगता है, तभी रामू बोलता है, “गाये तो तुम ले जा रहे हो मै खाली हाँथ घर कैसे जाऊं सभी लोग मेरा मज़ाक उड़ाएंगे।”
ये बात सुनकर वो लुटेरा रुक जाता है और पूछता है की तुम मुझसे क्या चाहते हो?
रामू बोलता है की तुम मुझको अपना डंडा देदो, मै वही लेकर अपने घर चला जाऊंगा कम से कम लोग मेरे ऊपर हसेंगे तो नहीं।
लुटेरे थोड़ी देर सोचता है, और उसको रामू की बात सही लगती है, वो सोचता है की गाये तो मैंने ले ही है अब इस डंडे का क्या काम? और वो डंडा रामू को दे देता है।
रामू के हाँथ में डंडा आते ही उसके तेवर बदल जाते है, और वो लुटेरे को बोलता है की “सुन लुटेरे शराफत से गाये को मेरे हवाले कर दे वरना इस डंडे से तेरा सर फोड़ दूंगा।”
लुटेरा रामू के इस बर्ताव से काफी हैरान रह जाता है, और पूछता है रामू तुम ये क्या कह रहे हो? ये तो गलत बात है तुम्हारे बोलने पर ही मैंने डंडा तुमको दिया अब तुम मुझे ही उस्से डरा रहे हो।”
रामू बोलता है की मै कुछ भी गलत नहीं कर रहा हूँ, मै तो सिर्फ वही कर रहा हूँ जो थोड़ी देर पहले तुमने मेरे साथ किया था।
लुटेरा समझ जाता है रामू को उसकी गाये वापस करने में ही उसकी भलाई है , और वो चुपचाप गाये रामू को वापस कर देता है।
गाये देने के बाद लुटेरा रामू से बोलता है की मैंने तुम्हारी गाये वापस कर दी है अब तुम मुझको मेरा डंडा वापस कर दो।
ये बात सुनकर रामू हंसने लगता है, और बोलता है की मई इतना बेवकूफ नहीं हूँ, तुमने सुना नहीं है क्या जिसके पास ताकत होती है वो ही सही होता है।
अब तुम्हारी भलाई इसी में है की तुम यहाँ से चुपचाप चले जाओ, वरना डंडे से तुम्हारा सर फोड़ दूंगा।
लुटेरा रामू की बात सुनकर वहा से चला जाता है, और रामू हंसी ख़ुशी अपने घर की तरफ चला जाता है, आज तो उसको गाये के साथ डंडा मुफ्त में मिल गया था।
बच्चो इसी कहानी से ये कहावत चली है, जिसकी लाठी उसकी भैंस।
Wow nice story
wah kya baat hai
waah nice story
Nice!