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दो मछली और मेंढक की बुद्धिमानी की कहानी
बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव के पास एक सुंदर तालाब था। इस तालाब में दो मछली और एक मेंढक रहते थे। पहली मछली का नाम था सुनहरी, दूसरी का नाम था चाँदी, और मेंढक का नाम था बुद्धू।
सुनहरी बहुत चतुर थी और हमेशा भविष्य की योजना बनाती रहती थी। चाँदी भी समझदार थी लेकिन कभी-कभी आलस्य करती थी। बुद्धू मेंढक सबसे बुद्धिमान था और हमेशा अपने दोस्तों की सलाह सुनता था।
एक दिन बुद्धू मेंढक ने तालाब के किनारे कुछ मछुआरों को बात करते सुना। “कल सुबह हम इस तालाब में जाल डालेंगे,” एक मछुआरा कह रहा था। “यहाँ बहुत सारी मछलियाँ हैं।”
बुद्धू तुरंत पानी में गया और अपने दोस्तों को खबर दी। “सुनहरी, चाँदी! बड़ी मुसीबत आने वाली है। कल मछुआरे यहाँ जाल लेकर आएंगे।”
सुनहरी ने तुरंत कहा, “हमें अभी ही यहाँ से चले जाना चाहिए। मैं नहर के रास्ते दूसरे तालाब में जाऊंगी।”
चाँदी ने आलस्य दिखाते हुए कहा, “अरे, अभी तो शाम हो गई है। कल सुबह देखेंगे। हो सकता है मछुआरे न आएं।”
बुद्धू मेंढक ने समझाया, “मित्रों, संकट के समय देर करना ठीक नहीं। मैं भी आज ही दूसरी जगह चला जाऊंगा।”
सुनहरी और बुद्धू ने तुरंत तालाब छोड़ने का फैसला किया। सुनहरी छोटी नहर के रास्ते दूसरे बड़े तालाब में चली गई। बुद्धू मेंढक उछलते-कूदते पास के कुएं में चला गया।
चाँदी अकेली रह गई। उसने सोचा, “कल सुबह जल्दी निकल जाऊंगी। अभी तो आराम करती हूँ।”
अगली सुबह जैसे ही सूरज निकला, मछुआरे अपने जाल लेकर आ गए। चाँदी अभी भी सो रही थी। जब उसकी आँख खुली तो देखा कि चारों तरफ जाल बिछे हुए हैं।
चाँदी ने बचने की बहुत कोशिश की, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। वह जाल में फंस गई। मछुआरों ने उसे पकड़ लिया।
दूर से सुनहरी और बुद्धू ने यह सब देखा। उन्हें अपने दोस्त के लिए बहुत दुख हुआ, लेकिन वे खुश थे कि उन्होंने समय रहते सही फैसला लिया था।
कुछ दिन बाद, दो मछली और मेंढक फिर मिले। सुनहरी और बुद्धू ने चाँदी की याद में उसके लिए प्रार्थना की।
बुद्धू ने कहा, “अगर चाँदी ने हमारी बात मानी होती और समय रहते तालाब छोड़ दिया होता, तो आज वह भी हमारे साथ होती।”
नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय तुरंत सही निर्णय लेना चाहिए। आलस्य और देरी करना खतरनाक हो सकता है। जो व्यक्ति समय रहते सावधानी बरतता है, वह मुसीबतों से बच जाता है। हमें हमेशा अपने बुद्धिमान मित्रों की सलाह सुननी चाहिए और कभी भी किसी खतरे को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
इस कहानी में समझदारी और सही निर्णय लेने की महत्ता को दर्शाया गया है।












