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हकीम लुकमान की बुद्धि और जादुई इलाज
बहुत समय पहले, अरब के एक छोटे से गाँव में हकीम लुकमान नाम का एक बुद्धिमान डॉक्टर रहता था। वह न केवल बीमारियों का इलाज करता था, बल्कि लोगों के दिलों की परेशानियों का भी समाधान करता था। उसकी बुद्धि और ज्ञान की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी।
एक दिन, गाँव के राजा का बेटा राजकुमार अहमद बहुत बीमार पड़ गया। राज्य के सभी वैद्यों और हकीमों ने उसका इलाज करने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राजकुमार दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था।
राजा ने अपने मंत्री से कहा, “मैंने सुना है कि हकीम लुकमान की बुद्धि अद्भुत है। उसे तुरंत महल में बुलाओ।”
जब हकीम लुकमान महल पहुँचा, तो उसने राजकुमार को देखा। राजकुमार का चेहरा पीला था और वह बहुत कमजोर लग रहा था। हकीम लुकमान ने राजकुमार की नाड़ी देखी, उसकी आँखें देखीं, और फिर राजा से पूछा, “महाराज, क्या राजकुमार कुछ दिनों से उदास रहता है?”
राजा ने हैरानी से कहा, “हाँ, वह पिछले महीने से बहुत उदास है। लेकिन इसका उसकी बीमारी से क्या संबंध?”
हकीम लुकमान की बुद्धि से वह समझ गया था कि राजकुमार की बीमारी शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक थी। उसने राजकुमार से धीरे से पूछा, “बेटे, तुम्हारे मन में कोई बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है?”
राजकुमार ने आँसू भरी आँखों से कहा, “हकीम साहब, मैंने गलती से अपने सबसे अच्छे दोस्त को बुरा-भला कह दिया था। अब वह मुझसे बात नहीं करता। मैं बहुत शर्मिंदा हूँ और उससे माफी माँगने की हिम्मत नहीं कर पा रहा।”
यह सुनकर बुद्धिमान डॉक्टर मुस्कराया। उसने राजकुमार से कहा, “बेटे, तुम्हारी बीमारी का इलाज मेरे पास है, लेकिन तुम्हें मेरी बात माननी होगी।”
राजकुमार ने उत्सुकता से पूछा, “क्या करना होगा, हकीम साहब?”
हकीम लुकमान ने कहा, “तुम्हें अपने दोस्त के पास जाकर दिल से माफी माँगनी होगी। गर्व और अहंकार को छोड़कर, सच्चे दिल से उससे कहना होगा कि तुमसे गलती हुई है।”
राजकुमार ने हिचकिचाते हुए कहा, “लेकिन अगर वह मुझे माफ नहीं करे तो?”
हकीम लुकमान की बुद्धि से भरपूर उत्तर मिला, “बेटे, माफी माँगना तुम्हारा काम है, माफ करना उसका। तुम अपना काम करो, बाकी अल्लाह पर छोड़ दो। सच्ची माफी हमेशा दिल को छूती है।”
राजकुमार ने हिम्मत जुटाई और अपने दोस्त के घर गया। उसने दिल से माफी माँगी और अपनी गलती स्वीकार की। दोस्त का दिल पिघल गया और उसने राजकुमार को गले लगा लिया।
जैसे ही राजकुमार महल वापस आया, उसका चेहरा खुशी से चमक रहा था। उसकी बीमारी गायब हो गई थी। राजा हैरान रह गया।
हकीम लुकमान ने राजा को समझाया, “महाराज, कभी-कभी मन की बीमारी शरीर को भी बीमार कर देती है। अपराध-बोध, शर्म, और दुख से इंसान का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। जब मन स्वस्थ हो जाता है, तो शरीर भी ठीक हो जाता है।”
राजा ने प्रभावित होकर कहा, “हकीम लुकमान, आपकी बुद्धि वास्तव में अद्भुत है। आपने मेरे बेटे को न केवल स्वस्थ किया है, बल्कि एक महत्वपूर्ण जीवन सबक भी दिया है।”
उस दिन के बाद, राजकुमार ने कभी भी अपने दोस्तों से झगड़ा नहीं किया। उसने सीखा कि गलती करना इंसानी फितरत है, लेकिन उसे स्वीकार करना और माफी माँगना बहादुरी है।
हकीम लुकमान ने राजकुमार को अंतिम नैतिक शिक्षा देते हुए कहा, “बेटे, याद रखना – सच्ची दोस्ती में अहंकार की कोई जगह नहीं होती। जब हम अपनी गलती मान लेते हैं, तो हमारे रिश्ते और भी मजबूत हो जाते हैं।”
इस प्रकार, हकीम लुकमान की बुद्धि ने न केवल राजकुमार को स्वस्थ किया, बल्कि उसे जीवन का एक अनमोल सबक भी दिया। गाँव के लोग आज भी इस कहानी को सुनाते हैं और बच्चों को सिखाते हैं कि सच्ची बुद्धि वही है जो दिल को समझे और रिश्तों को जोड़े। सच्ची दोस्ती और जीवन के सबक पर और कहानियाँ पढ़ें।











