Summarize this Article with:

व्यापारी और उसका बेटा – बुद्धिमान तोते की कहानी

एक समय की बात है, एक धनी व्यापारी था जिसका नाम रामदास था। उसका एक बेटा था मोहन, जो बहुत ही आलसी और अहंकारी था। व्यापारी अपने बेटे की इस आदत से बहुत परेशान रहता था।

रामदास के घर में एक बुद्धिमान तोता रहता था जिसका नाम मित्रु था। मित्रु बहुत समझदार था और हमेशा अच्छी बातें कहता था। एक दिन व्यापारी ने अपनी परेशानी मित्रु से कही।

“मित्रु, मैं बहुत चिंतित हूँ। मेरा बेटा मोहन दिन भर आराम करता है और काम से जी चुराता है। मैं नहीं जानता कि उसे कैसे सुधारूँ।”

बुद्धिमान तोते ने कहा, “रामदास जी, चिंता न करें। मैं आपके बेटे को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाऊंगा।”

अगले दिन जब मोहन सो रहा था, मित्रु ने जोर से चिल्लाना शुरू किया। मोहन की नींद टूट गई और वह गुस्से में बोला, “यह तोता क्यों इतना शोर मचा रहा है?”

मित्रु ने कहा, “मोहन बेटा, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ। सुनो, जंगल में दो चींटियाँ रहती थीं – मेहनती चींटी रानी और आलसी चींटी सोनी।”

“गर्मियों में रानी दिन भर मेहनत करके अनाज इकट्ठा करती थी, जबकि सोनी आराम करती रहती थी। जब सर्दी आई, तो रानी के पास खाने के लिए पर्याप्त अनाज था, लेकिन सोनी के पास कुछ नहीं था।”

मोहन ने कहा, “तो क्या हुआ? मेरे पिता जी के पास तो बहुत पैसा है।”

मित्रु मुस्कराया और बोला, “बेटा, एक दिन तुम्हारे पिता जी ने सपना देखा कि वे बहुत बूढ़े हो गए हैं और अब काम नहीं कर सकते। उन्होंने देखा कि तुम अभी भी आलस्य में डूबे हो और व्यापार की कोई जानकारी नहीं है।”

“सपने में उन्होंने देखा कि धीरे-धीरे सारा धन समाप्त हो गया और तुम भूखे रह गए। तब तुम्हें एहसास हुआ कि मेहनत का महत्व क्या होता है।”

यह सुनकर मोहन को बहुत डर लगा। उसने पूछा, “मित्रु, क्या यह सच में हो सकता है?”

तोते ने समझाया, “हाँ बेटा, जो व्यक्ति मेहनत नहीं करता, वह कभी भी सफल नहीं हो सकता। तुम्हारे पिता जी ने मेहनत करके यह सब कमाया है। अगर तुम भी मेहनत नहीं करोगे, तो यह सब खो जाएगा।”

उसी दिन से मोहन ने अपनी आदतें बदल दीं। वह रोज सुबह जल्दी उठने लगा और अपने पिता के साथ व्यापार सीखने लगा। व्यापारी रामदास बहुत खुश हुआ जब उसने देखा कि उसका बेटा बदल गया है।

कुछ महीनों बाद, मोहन एक कुशल व्यापारी बन गया। उसने अपने पिता का व्यापार और भी बढ़ाया। व्यापारी और उसका बेटा दोनों मिलकर बहुत सफल हुए।

एक दिन मोहन ने मित्रु से कहा, “धन्यवाद मित्रु, तुमने मुझे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सबक सिखाया है।”

नैतिक शिक्षा: मेहनत और परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। आलस्य व्यक्ति को बर्बादी की ओर ले जाता है। जो व्यक्ति समय रहते मेहनत करना सीख जाता है, वही जीवन में सफल होता है। माता-पिता की मेहनत का सम्मान करना और उनसे सीखना हर बच्चे का कर्तव्य है।

अधिक प्रेरणादायक कहानियों के लिए व्यापारी के उदय और पतन की कहानी पढ़ें।

यदि आप और भी शिक्षाप्रद कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं, तो समझदार बंदर की कहानी देखें।

और दो सिर वाले बच्चे की कहानी भी अवश्य पढ़ें।

Summarize this Article with:

About Me

Welcome to StoriesPub.com We started in 2019 with a simple idea to provide our readers with useful and interesting information. Our team is dedicated to curating a wide range of captivating content in different categories, including inspirational stories, funny tales, Parenting, Kids’ products, Educational AI content, Tech content, coloring books, how to draw, and more.