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सुनार और कौआ की मित्रता – पंचतंत्र की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में रामदास नाम का एक सुनार रहता था। वह बहुत ही कुशल कारीगर था और सोने-चाँदी के सुंदर आभूषण बनाता था। उसकी दुकान गाँव के मुख्य बाज़ार में थी।

उसी गाँव में एक पुराने बरगद के पेड़ पर काला नाम का एक कौआ रहता था। यह कौआ बहुत ही चतुर और बुद्धिमान था। रोज़ सुबह वह सुनार की दुकान के पास आकर बैठता और उसे काम करते देखता।

एक दिन सुनार ने कौए से पूछा, “अरे काले! तुम रोज़ यहाँ क्यों आते हो? क्या तुम्हें मेरा काम देखना अच्छा लगता है?”

कौआ बोला, “हाँ सुनार जी! मुझे आपका काम देखना बहुत पसंद है। आप कितनी सुंदरता से सोने को आकार देते हैं।”

इस तरह धीरे-धीरे सुनार और कौआ में दोस्ती हो गई। सुनार रोज़ कौए के लिए दाना-पानी रखता और कौआ उसे अपनी मधुर आवाज़ में कहानियाँ सुनाता।

एक दिन की बात है, सुनार अपनी दुकान में एक महंगा सोने का हार बना रहा था। काम पूरा करके वह खाना खाने घर चला गया और दुकान का दरवाज़ा बंद करना भूल गया।

तभी वहाँ एक चोर आया। उसने देखा कि दुकान खुली है और अंदर सोने का हार रखा है। वह चुपके से अंदर घुसा और हार चुराने लगा।

यह सब कौआ पेड़ से देख रहा था। उसने तुरंत ज़ोर से आवाज़ लगाई, “चोर! चोर! सुनार की दुकान में चोर घुसा है!”

कौए की आवाज़ सुनकर आस-पास के लोग दौड़े आए। चोर डर गया और हार वहीं छोड़कर भाग गया। लोगों ने सुनार को बुलाया और सारी बात बताई।

सुनार बहुत खुश हुआ। उसने कौए से कहा, “मित्र, तुमने मेरी बहुत बड़ी मदद की है। तुम्हारी वजह से मेरा महंगा हार बच गया।”

कौआ मुस्कराया और बोला, “यही तो दोस्ती है सुनार जी! दोस्त मुसीबत में एक-दूसरे का साथ देते हैं।”

कुछ दिन बाद, कौए पर मुसीबत आई। एक शिकारी ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया। कौआ उस जाल में फँस गया और निकलने की कोशिश करने लगा।

सुनार ने यह देखा तो तुरंत अपने औज़ार लेकर दौड़ा। उसने सावधानी से जाल काटा और अपने मित्र कौए को आज़ाद कराया।

कौआ बहुत आभारी था। उसने कहा, “धन्यवाद मित्र! आपने मेरी जान बचाई है।”

सुनार ने जवाब दिया, “यह कोई धन्यवाद की बात नहीं है। तुमने पहले मेरी मदद की थी, अब मैंने तुम्हारी। यही तो सच्ची मित्रता है।”

उस दिन के बाद सुनार और कौआ की दोस्ती और भी मज़बूत हो गई। वे हमेशा एक-दूसरे का साथ देते रहे।

कहानी की सीख: सच्चा मित्र वही होता है जो मुसीबत के समय साथ खड़ा रहे। जाति, रंग या रूप से मित्रता नहीं होती, बल्कि दिल की अच्छाई से होती है। हमें सभी के साथ प्रेम और सहयोग से रहना चाहिए। सच्ची मित्रता का यह उदाहरण हमें याद दिलाता है कि दोस्ती का असली मतलब क्या होता है।

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