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नाई की उच्च नियुक्ति – अकबर बीरबल की कहानी
मुगल सम्राट अकबर के दरबार में एक दिन बड़ी चहल-पहल थी। राजा अकबर अपने सिंहासन पर बैठे हुए दरबारियों की बातें सुन रहे थे। अचानक उनके मन में एक विचित्र सवाल आया।
“बीरबल!” अकबर ने आवाज लगाई। “हमारे पास एक प्रश्न है।”
बीरबल तुरंत आगे बढ़े और सम्मान से झुककर बोले, “जी हुजूर, आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?”
अकबर ने मुस्कराते हुए कहा, “हमें लगता है कि हमारे राज्य में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति कौन है? क्या तुम बता सकते हो?”
दरबार के सभी मंत्री और अमीर-उमराव अपने-अपने जवाब देने लगे। कोई कहता था कि सेनापति सबसे महत्वपूर्ण है, कोई कहता था कि मंत्री, और कोई कहता था कि खजांची।
बीरबल चुपचाप सब की बातें सुन रहे थे। जब सबने अपनी राय दे दी, तो अकबर ने बीरबल से पूछा, “तुम्हारा क्या विचार है, बीरबल?”
बीरबल ने सोचते हुए कहा, “महाराज, मेरे विचार से राज्य में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति नाई है।”
यह सुनकर पूरे दरबार में हंसी की लहर दौड़ गई। सभी दरबारी आपस में फुसफुसाने लगे। “बीरबल का दिमाग खराब हो गया है। नाई को राज्य का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति कह रहे हैं!”
अकबर भी हैरान हुए और बोले, “बीरबल, यह तुम क्या कह रहे हो? नाई राज्य का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति कैसे हो सकता है?”
बीरबल ने शांति से उत्तर दिया, “महाराज, मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि नाई की उच्च नियुक्ति होनी चाहिए। अगर आप चाहें तो मैं इसे सिद्ध कर सकता हूं।”
अकबर की जिज्ञासा बढ़ गई। उन्होंने कहा, “ठीक है, तुम्हें एक सप्ताह का समय देते हैं। सिद्ध करके दिखाओ कि नाई राज्य का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है।”
बीरबल ने सम्मान से सिर झुकाया और कहा, “जैसी आपकी आज्ञा, महाराज।”
अगले दिन से बीरबल ने अपनी योजना पर काम शुरू किया। उन्होंने गुप्त रूप से राज्य के सभी नाइयों से मिलकर कहा, “अगले तीन दिनों तक आप सभी को अपना काम बंद करना है। किसी की भी हजामत नहीं करनी है।”
नाइयों ने पूछा, “लेकिन क्यों, बीरबल साहब?”
बीरबल ने समझाया, “यह राज्य की भलाई के लिए है। आप सभी को इसके लिए पूरा पैसा मिलेगा। बस तीन दिन का धैर्य रखिए।”
पहले दिन कुछ खास नहीं हुआ। दूसरे दिन लोगों के बाल और दाढ़ी बढ़ने लगी। तीसरे दिन तक स्थिति गंभीर हो गई।
राजा अकबर के बाल और दाढ़ी भी बेतरतीब हो गए थे। दरबारियों की हालत और भी खराब थी। सभी परेशान होकर अपने-अपने नाइयों को ढूंढ रहे थे, लेकिन कोई नाई कहीं नजर नहीं आ रहा था।
चौथे दिन जब अकबर दरबार में आए, तो उनकी हालत देखकर सभी दरबारी हैरान रह गए। राजा के बाल बिखरे हुए थे और दाढ़ी अस्त-व्यस्त थी।
“यह क्या हो रहा है?” अकबर ने गुस्से से पूछा। “हमारा नाई कहां गया है? पूरे शहर में कोई नाई क्यों नजर नहीं आ रहा?”
दरबारी भी परेशान थे। सेनापति के बाल इतने बढ़ गए थे कि वह अपना हेलमेट नहीं पहन सकता था। मंत्री की दाढ़ी इतनी बढ़ गई थी कि वह ठीक से बोल नहीं सकता था।
तभी बीरबल दरबार में आए। वे भी बाकी सबकी तरह अस्त-व्यस्त दिख रहे थे।
“बीरबल!” अकबर ने आवाज लगाई। “तुम्हें पता है कि सारे नाई कहां गए हैं?”
बीरबल ने मासूमियत से कहा, “महाराज, मुझे नहीं पता। लेकिन अब आप समझ गए होंगे कि नाई की उच्च नियुक्ति क्यों जरूरी है।”
अकबर को अचानक बीरबल की बात समझ आई। उन्होंने कहा, “तुमने यह सब किया है, है ना?”
बीरबल मुस्कराए और बोले, “महाराज, मैंने सिर्फ यह सिद्ध किया है कि हर व्यक्ति का अपना महत्व है। नाई की उच्च नियुक्ति इसलिए जरूरी है क्योंकि वह समाज का एक अहम हिस्सा है।”
“देखिए महाराज,” बीरबल ने आगे समझाया, “जब नाई नहीं है तो राजा से लेकर प्रजा तक सभी परेशान हैं। सेनापति अपना हेलमेट नहीं पहन सकता, मंत्री ठीक से बोल नहीं सकता, और आप भी असहज महसूस कर रहे हैं।”
अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने कहा, “तुम सही कह रहे हो, बीरबल। हमने समझ लिया कि हर व्यक्ति का अपना महत्व है।”
बीरबल ने तुरंत सभी नाइयों को बुलवाया। जब नाई आए तो अकबर ने उनसे माफी मांगी और कहा, “आज से नाई की उच्च नियुक्ति होगी। राज्य में आप सभी को उचित सम्मान मिलेगा।”
सभी नाइयों ने खुशी से राजा की हजामत की। कुछ ही घंटों में पूरा दरबार फिर से व्यवस्थित दिखने लगा।
अकबर ने बीरबल की तारीफ करते हुए कहा, “बीरबल, तुमने एक बार फिर हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया है।”
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समाज में हर व्यक्ति का अपना महत्व है। चाहे वह राजा हो या नाई, सभी का अपना योगदान है। हमें किसी को भी छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। नाई की उच्च नियुक्ति का मतलब यह है कि हर काम करने वाले व्यक्ति को सम्मान मिलना चाहिए।













