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कृष्णा जन्मस्थान की कथा – गुरु नानक की शिक्षा

बहुत समय पहले की बात है, जब गुरु नानक देव जी अपनी यात्राओं के दौरान मथुरा नगरी पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि लोग कृष्णा जन्मस्थान की महिमा के बारे में चर्चा कर रहे थे। एक छोटा बालक रामू अपनी मां के साथ मंदिर जा रहा था।

रामू ने अपनी मां से पूछा, “मां, यह कृष्णा जन्मस्थान क्यों इतना पवित्र है?” मां ने कहा, “बेटा, यहीं पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।”

गुरु नानक जी ने यह सुना और मुस्कराते हुए रामू के पास आए। उन्होंने कहा, “बेटा, क्या तुम कृष्णा जन्मस्थान की कथा सुनना चाहोगे?”

रामू खुशी से बोला, “हां गुरु जी, कृपया बताइए!”

गुरु नानक जी ने कहानी शुरू की: “सुनो बेटा, बहुत पुराने समय में मथुरा में कंस नाम का एक अत्याचारी राजा था। उसकी बहन देवकी का विवाह वसुदेव से हुआ था।”

“जब कंस अपनी बहन को विदा कर रहा था, तब आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। यह सुनकर कंस डर गया और उसने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया।”

रामू ने पूछा, “फिर क्या हुआ गुरु जी?”

गुरु नानक जी ने आगे कहा, “कंस ने देवकी के सात पुत्रों को मार डाला। जब आठवां पुत्र जन्म लेने वाला था, तो सारी प्रकृति में अद्भुत परिवर्तन हुए। कृष्णा जन्मस्थान पर दिव्य प्रकाश फैल गया।”

“श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात, जब घोर वर्षा हो रही थी, तब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। जन्म के समय वे चतुर्भुज रूप में प्रकट हुए, हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल लिए हुए।”

रामू की आंखें चमक उठीं। गुरु जी ने कहा, “वसुदेव जी ने भगवान से प्रार्थना की कि वे सामान्य बालक का रूप धारण करें। तब कृष्ण जी एक सुंदर बालक बन गए।”

“उसी रात वसुदेव जी कृष्ण को लेकर यमुना पार करके गोकुल गए। यमुना जी ने अपना जल स्तर कम कर दिया और शेषनाग ने छत्र बनाकर बालक कृष्ण की रक्षा की।”

रामू ने पूछा, “गुरु जी, कृष्णा जन्मस्थान की कथा से हमें क्या सीख मिलती है?”

गुरु नानक जी ने समझाया, “बेटा, यह कथा हमें सिखाती है कि ईश्वर हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करता है। जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान अवतार लेकर आते हैं।”

“कृष्ण जी का जन्म कारागार में हुआ, लेकिन वे संसार के लिए आनंद और प्रकाश लेकर आए। यह दिखाता है कि कठिनाइयों के बीच भी अच्छाई का जन्म होता है।”

रामू की मां ने कहा, “गुरु जी, आपने बहुत सुंदर तरीके से कृष्णा जन्मस्थान की कथा सुनाई है।”

गुरु नानक जी ने मुस्कराते हुए कहा, “माता जी, यह पवित्र स्थान हमें याद दिलाता है कि ईश्वर का प्रेम और करुणा सदैव हमारे साथ है। हमें भी अपने जीवन में धर्म और सत्य का पालन करना चाहिए।”

“जैसे कृष्ण जी ने अपने जीवन में प्रेम, करुणा और न्याय का संदेश दिया, वैसे ही हमें भी दूसरों के साथ प्रेम और दया का व्यवहार करना चाहिए।”

रामू ने हाथ जोड़कर कहा, “गुरु जी, मैं हमेशा इस शिक्षा को याद रखूंगा। कृष्णा जन्मस्थान की यह कथा मेरे दिल में बस गई है।”

गुरु नानक जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा, “बेटा, जब भी तुम कोई कठिनाई में हो, तो इस कथा को याद करना। ईश्वर का प्रेम तुम्हारे साथ है।”

इस प्रकार गुरु नानक देव जी ने कृष्णा जन्मस्थान की कथा के माध्यम से रामू और उसकी मां को जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षा दी। यह कथा आज भी हमें सिखाती है कि ईश्वर का प्रेम और सुरक्षा हमेशा हमारे साथ है।

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