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चतुर व्यापारी और लालची बंदर की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में रामदास नाम का एक ईमानदार व्यापारी रहता था। वह अपने व्यापार के लिए दूर-दूर के शहरों में जाता था और हमेशा अच्छी गुणवत्ता का सामान बेचता था।
एक दिन रामदास अपने सामान के साथ एक घने जंगल से गुजर रहा था। रास्ते में उसे बहुत प्यास लगी। उसने एक पेड़ के नीचे अपना सामान रखा और पानी की तलाश में गया। उस पेड़ पर चंचल नाम का एक बंदर रहता था।
चंचल ने व्यापारी का सामान देखा तो उसकी आँखें चमक उठीं। उसने सोचा, “वाह! कितना सुंदर सामान है। मैं इसमें से कुछ ले लूँगा।”
जब रामदास पानी पीकर वापस आया, तो उसने देखा कि उसका कुछ सामान गायब है। उसने ऊपर देखा तो बंदर को अपना सामान लेकर पेड़ पर बैठे देखा.
“अरे बंदर भाई!” रामदास ने कहा, “यह मेरा सामान है। कृपया वापस कर दो।”
चंचल ने मुँह बनाते हुए कहा, “नहीं! अब यह मेरा है। तुमने इसे यहाँ छोड़ा था, तो मैंने उठा लिया।”
व्यापारी समझ गया कि यह बंदर बहुत चालाक है। उसने सोचा कि गुस्से से काम नहीं चलेगा। उसने शांति से कहा, “ठीक है मित्र, लेकिन क्या तुम्हें पता है कि इस सामान का सही उपयोग कैसे करते हैं?”
चंचल को लगा कि व्यापारी उसे बेवकूफ समझ रहा है। वह बोला, “मैं सब जानता हूँ! मैं बहुत चतुर हूँ।”
रामदास मुस्कराया और बोला, “अच्छा, तो फिर तुम इस दर्पण का उपयोग दिखाओ।” उसने अपने बैग से एक चमकदार दर्पण निकाला.
चंचल का ध्यान तुरंत दर्पण की तरफ गया। उसने अपना चेहरा दर्पण में देखा और डर गया। “अरे! यह कौन है? यह मुझे घूर क्यों रहा है?”
व्यापारी ने समझाया, “यह जादुई दर्पण है। जो भी इसमें देखता है, उसे अपनी सच्चाई दिखाई देती है।”
चंचल डर गया और बोला, “यह तो बहुत डरावना है! मैं इसे नहीं चाहता।”
तब रामदास ने कहा, “देखो मित्र, हर चीज़ का अपना उपयोग होता है। तुम्हें जो चीज़ें अच्छी लगती हैं, हो सकता है वे तुम्हारे काम की न हों। मैं तुम्हें कुछ मीठे फल दे सकता हूँ, जो तुम्हारे लिए ज्यादा उपयोगी होंगे।”
चंचल को एहसास हुआ कि उसने गलती की है। व्यापारी सच कह रहा था। उसने शर्मिंदगी से कहा, “माफ करना व्यापारी जी। मैंने लालच में आकर गलत काम किया। यह आपका सामान है।”
रामदास ने मुस्कराते हुए कहा, “कोई बात नहीं मित्र। गलती का एहसास होना ही सबसे बड़ी बात है।” उसने चंचल को कुछ मीठे फल दिए.
चंचल ने खुशी से फल खाए और व्यापारी का सामान वापस कर दिया। उसने कहा, “आपने मुझे बिना गुस्सा किए समझाया। आप वाकई एक अच्छे इंसान हैं।”
रामदास ने अपना सामान समेटा और चंचल से विदा ली। चंचल ने उसे रास्ता दिखाया और सुरक्षित बाहर पहुँचाया.
कहानी की सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच हमेशा नुकसान पहुँचाता है। दूसरों की चीज़ों को बिना पूछे लेना गलत है। साथ ही यह भी सिखाता है कि धैर्य और समझदारी से हर समस्या का समाधान हो सकता है। व्यापारी ने गुस्सा न करके बंदर को प्यार से समझाया, जिससे दोनों को फायदा हुआ। हमें हमेशा ईमानदारी का रास्ता अपनाना चाहिए और दूसरों के साथ दयालुता से पेश आना चाहिए.
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इसके अलावा, व्यापारी का उदय और पतन कहानी भी बहुत शिक्षाप्रद है।
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