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व्यापारी और लोहे का गोला

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में रामदास नाम का एक ईमानदार व्यापारी रहता था। वह अपनी मेहनत और सच्चाई के लिए पूरे गांव में प्रसिद्ध था। रामदास के पास एक बहुत ही कीमती लोहे का गोला था, जो उसके दादाजी की निशानी था।

एक दिन रामदास को व्यापार के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा। उसने अपने मित्र कालूराम से कहा, “मित्र, मैं कुछ दिनों के लिए शहर जा रहा हूं। क्या तुम मेरे इस कीमती लोहे के गोले की देखभाल कर सकते हो?”

कालूराम ने खुशी से हामी भरी और कहा, “चिंता मत करो मित्र, तुम्हारा लोहे का गोला मेरे पास बिल्कुल सुरक्षित रहेगा।”

रामदास निश्चिंत होकर व्यापार के लिए चला गया। कई महीने बाद जब वह वापस लौटा, तो कालूराम से अपना लोहे का गोला वापस मांगा।

कालूराम ने चालाकी से कहा, “मित्र, मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि तुम्हारा लोहे का गोला चूहों ने खा लिया है।”

रामदास समझ गया कि उसका मित्र झूठ बोल रहा है, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। वह मन ही मन एक योजना बनाने लगा।

अगले दिन रामदास ने कालूराम से कहा, “मित्र, मैं नदी पर स्नान करने जा रहा हूं। क्या तुम्हारा बेटा मोहन मेरे साथ आ सकता है?”

कालूराम ने खुशी से अपने बेटे को रामदास के साथ भेज दिया। रामदास मोहन को एक गुफा में छुपा आया और शाम को अकेला वापस लौट आया।

जब कालूराम ने अपने बेटे के बारे में पूछा, तो रामदास ने कहा, “मित्र, बहुत दुख की बात है। नदी के पास एक बाज़ आया और तुम्हारे बेटे को उठाकर ले गया।”

कालूराम गुस्से से चिल्लाया, “यह कैसे हो सकता है? भला कोई बाज़ एक बच्चे को कैसे उठा सकता है?”

रामदास ने शांति से कहा, “मित्र, जब चूहे लोहे का गोला खा सकते हैं, तो बाज़ एक बच्चे को क्यों नहीं उठा सकता?”

कालूराम को अपनी गलती का एहसास हो गया। वह समझ गया कि रामदास ने उसे सबक सिखाने के लिए यह किया है।

कालूराम ने शर्मिंदगी से कहा, “मित्र, मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है। मैंने तुम्हारा लोहे का गोला बेच दिया था। कृपया मुझे माफ कर दो और मेरे बेटे को वापस कर दो।”

रामदास ने मुस्कराते हुए कहा, “मित्र, मैंने तुम्हारे बेटे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। वह सुरक्षित है। लेकिन अब तुम समझ गए होगे कि झूठ बोलना कितना गलत है।”

कालूराम ने तुरंत लोहे के गोले की कीमत रामदास को लौटा दी और अपनी गलती के लिए माफी मांगी। रामदास ने उसे माफ कर दिया और मोहन को सुरक्षित घर पहुंचा दिया।

इस घटना के बाद कालूराम ने कभी भी किसी के साथ धोखा नहीं किया और हमेशा सच बोलने का संकल्प लिया।

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ बोलना और धोखा देना गलत है। जो व्यक्ति दूसरों के साथ छल-कपट करता है, उसे एक दिन अपनी गलती का फल भुगतना पड़ता है। हमें हमेशा ईमानदारी और सच्चाई का रास्ता अपनाना चाहिए, क्योंकि सच्चाई की जीत हमेशा होती है।

इस कहानी के समान व्यापारी का उदय और पतन की कहानी भी हमें सच्चाई और ईमानदारी का महत्व सिखाती है।

यदि आप और भी शिक्षाप्रद कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं, तो समझदार बंदर की कहानी देखें।

किसी भी स्थिति में धोखा देने के परिणामों को समझने के लिए बिल्ली और चूहों की कहानी पढ़ें।

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