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राजा विक्रम और बेताल की पहली मुलाकात
बहुत समय पहले की बात है, जब उज्जैन नगरी में एक महान राजा का शासन था। उसका नाम था राजा विक्रमादित्य। वह अपनी न्याय प्रियता, वीरता और दानवीरता के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध था। राजा विक्रम की कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी।
एक दिन राजा विक्रम के दरबार में एक अजीब सा साधु आया। वह रोज़ राजा को एक फल भेंट करता था। राजा उस फल को अपने खजांची को दे देता था। यह सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा।
एक दिन जब राजा दरबार में बैठा था, तो वह फल उसके हाथ से गिर गया। फल के टूटने पर उसमें से एक चमकदार मणि निकली। राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने तुरंत खजांची को बुलाया और पूछा कि पहले के सभी फलों का क्या हुआ।
“महाराज, मैंने सभी फल खजाने में रख दिए थे,” खजांची ने कहा। जब खजाना खोला गया तो वहाँ ढेर सारी कीमती मणियाँ मिलीं।
अगले दिन जब साधु आया, तो राजा विक्रम ने उससे पूछा, “हे साधु महाराज, आप इतनी कीमती मणियाँ क्यों दे रहे हैं? आपको मुझसे क्या चाहिए?”
साधु ने कहा, “राजन, मुझे आपकी सहायता चाहिए। कल रात अमावस्या है। आपको श्मशान में आना होगा। वहाँ एक पुराना पीपल का पेड़ है, उस पर एक बेताल लटका रहता है। आपको उसे उतारकर मेरे पास लाना है।”
राजा विक्रम ने बिना किसी डर के हाँ कह दी। अमावस्या की रात को राजा अकेले श्मशान पहुँचा। वहाँ का माहौल बहुत डरावना था। हवा में अजीब सी आवाज़ें आ रही थीं।
राजा ने देखा कि पीपल के पेड़ पर एक काला सा प्राणी उल्टा लटक रहा था। यही था बेताल। राजा विक्रम ने हिम्मत करके पेड़ पर चढ़कर बेताल को उतारा और अपने कंधे पर लादकर चल पड़ा।
कुछ दूर चलने के बाद बेताल बोला, “राजा विक्रम, रास्ता लंबा है। मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।”
बेताल ने एक रोचक कहानी सुनाई और अंत में एक प्रश्न पूछा। राजा विक्रम ने सोच-समझकर उत्तर दिया। जैसे ही राजा ने जवाब दिया, बेताल हँसकर वापस पेड़ पर जा लटका।
राजा को फिर से वापस जाना पड़ा। यह सिलसिला बार-बार चलता रहा। हर बार बेताल एक नई कहानी सुनाता और प्रश्न पूछता। राजा के उत्तर देने पर वह वापस भाग जाता।
इस तरह राजा विक्रम और बेताल की कहानी शुरू हुई। बेताल की हर कहानी में कोई न कोई सीख छुपी होती थी। राजा विक्रम की बुद्धिमत्ता और धैर्य की परीक्षा होती रहती थी।
अंततः जब राजा ने सभी प्रश्नों के सही उत्तर दे दिए, तो बेताल ने उन्हें सच्चाई बताई। वह साधु कोई साधारण व्यक्ति नहीं था, बल्कि एक तांत्रिक था जो राजा विक्रम की शक्ति पाना चाहता था।
बेताल ने राजा को सावधान किया और उस तांत्रिक से बचने का उपाय बताया। राजा विक्रम की सच्चाई और न्याय की जीत हुई।
सीख: इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि सच्चाई, न्याय और धैर्य हमेशा जीतते हैं। राजा विक्रम की तरह हमें भी कठिन परिस्थितियों में धैर्य रखना चाहिए और सही राह पर चलना चाहिए।
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