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राजा और तोता – बुद्धिमान पक्षी की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक समृद्ध राज्य में राजा विक्रमादित्य का शासन था। राजा और तोता की यह कहानी उस समय की है जब राजा के महल में एक अनोखा हरा तोता रहता था। इस तोते का नाम था मित्रू।
मित्रू कोई साधारण तोता नहीं था। वह बहुत बुद्धिमान था और मनुष्यों की भाषा समझता था। राजा विक्रमादित्य को इस तोते से बहुत प्रेम था। वे रोज सुबह अपने बगीचे में बैठकर मित्रू से बातें करते थे।
एक दिन राजा ने देखा कि मित्रू बहुत उदास लग रहा था। उसके चमकीले पंख मुरझाए हुए थे और वह अपने सुनहरे पिंजरे में चुपचाप बैठा था।
“क्या बात है मित्रू? तुम इतने उदास क्यों हो?” राजा ने प्रेम से पूछा।
मित्रू ने धीरे से कहा, “महाराज, मैं अपने परिवार को बहुत याद कर रहा हूं। मेरे माता-पिता और भाई-बहन जंगल में रहते हैं। मैं उनसे मिलना चाहता हूं।”
राजा को बहुत दुख हुआ। उन्होंने सोचा कि वे मित्रू को खुश रखने के लिए उसे सुंदर पिंजरा, स्वादिष्ट भोजन और सभी सुविधाएं दे रहे हैं, लेकिन फिर भी वह खुश नहीं है।
राजा और तोता के बीच एक लंबी बातचीत हुई। राजा ने कहा, “मित्रू, तुम्हारे पास यहां सब कुछ है। सुंदर पिंजरा, अच्छा खाना, सुरक्षा। जंगल में तो तुम्हें कई खतरों का सामना करना पड़ेगा।”
मित्रू ने विनम्रता से उत्तर दिया, “महाराज, आपका प्रेम और देखभाल के लिए मैं आपका आभारी हूं। लेकिन स्वतंत्रता का कोई विकल्प नहीं है। सुनहरा पिंजरा भी पिंजरा ही होता है। मैं अपने पंखों को खुले आकाश में फैलाना चाहता हूं।”
राजा को मित्रू की बात समझ में आई। उन्होंने महसूस किया कि सच्चा प्रेम वह है जो दूसरे की खुशी को अपनी खुशी से ऊपर रखे।
अगले दिन सुबह, राजा ने मित्रू के पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। “जाओ मित्रू, तुम स्वतंत्र हो। अपने परिवार से मिलो और खुश रहो।”
मित्रू की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। वह राजा के कंधे पर बैठा और बोला, “महाराज, आप सच्चे राजा हैं। आपने मुझे सबसे बड़ा उपहार दिया है – स्वतंत्रता का उपहार।”
मित्रू ने अपने पंख फैलाए और आकाश में उड़ गया। लेकिन वह रोज शाम को राजा से मिलने आता था। अब वह अपनी मर्जी से आता था, किसी मजबूरी से नहीं।
कुछ दिनों बाद, मित्रू अपने पूरे परिवार को लेकर राजा के पास आया। उसके माता-पिता और भाई-बहन सभी ने राजा को धन्यवाद दिया।
राजा ने देखा कि अब मित्रू पहले से कहीं ज्यादा खुश और स्वस्थ था। उसके पंख चमक रहे थे और उसकी आंखों में जीवन की चमक थी।
कहानी की सीख:
इस राजा और तोता की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा प्रेम वह है जो दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान करे। चाहे हमारे पास कितनी भी सुविधाएं हों, स्वतंत्रता से बढ़कर कुछ नहीं है। जब हम किसी को सच्चे दिल से स्वतंत्र करते हैं, तो वह हमारे और भी करीब आता है। राजा विक्रमादित्य ने यह साबित कर दिया कि एक सच्चा राजा वह है जो अपनी प्रजा की खुशी को अपनी खुशी समझे।
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