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दो गीदड़ों की होशियारी
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में चतुर और बुद्धिमान नाम के दो गीदड़ रहते थे। ये दोनों मित्र अपनी दो गीदड़ों की होशियारी के लिए पूरे जंगल में प्रसिद्ध थे। वे हमेशा मिलकर भोजन की तलाश करते और मुसीबतों से बचने के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करते थे।
एक दिन की बात है, दोनों मित्र भोजन की तलाश में जंगल में घूम रहे थे। अचानक उन्हें एक बड़ा सा मांस का टुकड़ा दिखाई दिया जो एक पेड़ की डाल पर लटका हुआ था। यह देखकर दोनों के मुंह में पानी आ गया।
“मित्र चतुर, यह मांस का टुकड़ा बहुत स्वादिष्ट लग रहा है,” बुद्धिमान ने कहा।
“हां मित्र, लेकिन यह इतनी ऊंचाई पर है कि हम इसे पकड़ नहीं सकते,” चतुर ने चिंता जताई।
दोनों मित्रों ने दो गीदड़ों की होशियारी का उपयोग करते हुए एक योजना बनाई। उन्होंने देखा कि पास में एक बड़ा पत्थर पड़ा था। चतुर ने कहा, “मित्र, अगर हम इस पत्थर को पेड़ के नीचे ले जाकर रखें, तो उस पर चढ़कर मांस तक पहुंच सकते हैं।”
दोनों ने मिलकर उस भारी पत्थर को धकेलकर पेड़ के नीचे पहुंचाया। फिर चतुर ने बुद्धिमान से कहा, “तुम पहले चढ़ो और मांस को गिरा दो, फिर हम दोनों मिलकर खाएंगे।”
बुद्धिमान पत्थर पर चढ़ा और मांस को पकड़ने की कोशिश करने लगा। लेकिन जैसे ही उसने मांस को छुआ, अचानक एक तेज़ आवाज़ आई। यह एक जाल था! मांस के साथ एक रस्सी बंधी थी जो एक बड़े जाल से जुड़ी थी।
“अरे नहीं!” बुद्धिमान चिल्लाया जब जाल उसके ऊपर गिरा। “चतुर मित्र, मैं जाल में फंस गया हूं! मुझे बचाओ!”
चतुर ने तुरंत स्थिति को समझा। यह शिकारियों का जाल था। उसने दो गीदड़ों की होशियारी का प्रयोग करते हुए कहा, “घबराओ मत मित्र! मैं तुम्हें बचाऊंगा।”
चतुर ने देखा कि जाल की रस्सी एक खूंटी से बंधी थी। उसने अपने तेज़ दांतों से रस्सी को काटना शुरू किया। लेकिन रस्सी बहुत मोटी थी और समय लग रहा था।
तभी उन्हें शिकारियों के आने की आवाज़ सुनाई दी। “जल्दी करो चतुर! शिकारी आ रहे हैं!” बुद्धिमान ने डरते हुए कहा।
चतुर ने दो गीदड़ों की होशियारी से एक और तरकीब सोची। उसने ज़ोर से चिल्लाकर कहा, “अरे! यहां बाघ आ रहा है! भागो! भागो!”
शिकारी डर गए और वापस भाग गए। इस बीच चतुर ने रस्सी काट दी और बुद्धिमान जाल से मुक्त हो गया।
“धन्यवाद मित्र,” बुद्धिमान ने राहत की सांस लेते हुए कहा। “तुमने मेरी जान बचाई।”
“यही तो है सच्ची मित्रता,” चतुर ने मुस्कराते हुए कहा। “मुसीबत में काम आना ही असली दोस्ती है।”
दोनों मित्र वहां से सुरक्षित निकल गए। रास्ते में उन्हें कुछ फल मिले जिन्हें उन्होंने मिलकर खाया।
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दो गीदड़ों की होशियारी की तरह, सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं। लालच में आकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और मुसीबत के समय धैर्य रखकर बुद्धि का उपयोग करना चाहिए। सच्ची मित्रता में त्याग और सहयोग होता है।
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