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राजा और चार मंत्री – बुद्धिमानी की कहानी
बहुत समय पहले, एक घने जंगल में एक शक्तिशाली राजा शेर रहता था। उसके पास चार मंत्री थे – चतुर लोमड़ी, बुद्धिमान हाथी, तेज़ बाज़ और धैर्यवान कछुआ। ये सभी मंत्री अपनी-अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध थे।
एक दिन जंगल में भयानक सूखा पड़ा। नदियाँ सूख गईं, पेड़ों के पत्ते मुरझा गए और सभी जानवर परेशान हो गए। राजा शेर ने अपने चार मंत्रियों को बुलाया और कहा, “मेरे प्रिय मंत्रियों, हमारे जंगल पर संकट आ गया है। आप सभी अपनी-अपनी सलाह दें कि इस समस्या का समाधान कैसे करें।”
चतुर लोमड़ी ने तुरंत कहा, “महाराज, हमें दूसरे जंगल पर आक्रमण करना चाहिए और उनके पानी के स्रोत पर कब्जा कर लेना चाहिए। यही सबसे तेज़ उपाय है।”
तेज़ बाज़ ने अपने पंख फैलाते हुए कहा, “राजन्, मैं आकाश से देख सकता हूँ। हमें तुरंत यहाँ से कहीं और चले जाना चाहिए जहाँ पानी हो।”
बुद्धिमान हाथी ने धीरे से कहा, “महाराज, हमें धैर्य रखना चाहिए। मैं अपनी सूंड से गहरी खुदाई कर सकता हूँ। शायद भूमिगत जल मिल जाए।”
अंत में धैर्यवान कछुए ने कहा, “राजा जी, हमें सभी जानवरों के साथ मिलकर एक योजना बनानी चाहिए। अकेले कोई भी समस्या का समाधान नहीं कर सकता।”
राजा शेर ने सभी चार मंत्रियों की बात सुनी। उसे लगा कि हर मंत्री की अपनी सोच है, लेकिन कोई भी पूर्ण समाधान नहीं दे रहा।
राजा ने कहा, “मैं आप सभी की सलाह को मिलाकर एक योजना बनाता हूँ। बाज़, तुम आकाश से पानी के स्रोत खोजो। हाथी, तुम अपनी शक्ति से खुदाई करो। लोमड़ी, तुम अन्य जंगलों से मित्रता का प्रस्ताव लेकर जाओ, युद्ध का नहीं। और कछुए, तुम सभी जानवरों को संगठित करो।”
सभी मंत्रियों ने मिलकर काम किया। बाज़ ने दूर एक छुपा हुआ झरना खोजा। हाथी ने अपनी शक्ति से रास्ता बनाया। लोमड़ी ने पड़ोसी जंगल के राजा से मित्रता की और पानी साझा करने का समझौता किया। कछुए ने सभी जानवरों को व्यवस्थित तरीके से पानी बांटने की योजना बनाई।
कुछ ही दिनों में जंगल में फिर से खुशहाली लौट आई। सभी जानवर राजा शेर और उसके चार मंत्रियों की प्रशंसा करने लगे।
राजा ने अपने मंत्रियों से कहा, “आज मैंने सीखा कि अकेली बुद्धि से बड़ी कोई शक्ति नहीं, लेकिन सामूहिक बुद्धि से भी बड़ी शक्ति है – एकता और सहयोग।”
नैतिक शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि हर व्यक्ति की अपनी विशेषता होती है। जब हम सभी की क्षमताओं को मिलाकर काम करते हैं, तो कोई भी समस्या का समाधान संभव है। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता, लेकिन मिलकर हम पहाड़ भी हिला सकते हैं। सच्चा नेतृत्व वही है जो सभी की राय सुनकर सबसे अच्छा निर्णय ले।
सामाजिक बुद्धिमानी और सामूहिक प्रयास की कहानियाँ भी इसी तरह की सीख देती हैं।












