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कौओं और उल्लुओं की शत्रुता – पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में पक्षियों का एक बड़ा राज्य था। सभी पक्षी मिल-जुलकर खुशी से रहते थे। लेकिन कौओं और उल्लुओं की शत्रुता के कारण पूरे जंगल में अशांति फैली हुई थी।
कौओं का राजा काकराज बहुत बुद्धिमान और न्यायप्रिय था। वहीं उल्लुओं का राजा उलूकराज अपने घमंड और क्रोध के लिए प्रसिद्ध था। दोनों के बीच यह शत्रुता कई वर्षों से चली आ रही थी।
एक दिन उलूकराज ने अपने सैनिकों से कहा, “आज रात हम कौओं पर आक्रमण करेंगे। मैं इस जंगल में केवल उल्लुओं का राज चाहता हूं।”
रात के अंधेरे में उल्लुओं की सेना ने कौओं के घोंसलों पर हमला कर दिया। कई कौए घायल हो गए और उनके घोंसले नष्ट हो गए। काकराज को बहुत दुख हुआ, लेकिन वह जानता था कि क्रोध से कोई समस्या हल नहीं होती।
अगली सुबह काकराज ने अपने मंत्रियों को बुलाया। सबसे बुजुर्ग मंत्री ने सुझाव दिया, “महाराज, हमें बुद्धि से काम लेना चाहिए। मैं एक योजना बनाता हूं।”
योजना के अनुसार, काकराज का एक विश्वस्त मित्र चिड़िया रानी के रूप में उल्लुओं के पास गया। उसने उलूकराज से कहा, “महाराज, मैं कौओं से तंग आ गई हूं। क्या आप मुझे अपने राज्य में शरण देंगे?”
उलूकराज खुश हो गया और चिड़िया रानी को अपने महल में रहने की अनुमति दे दी। धीरे-धीरे चिड़िया रानी ने उल्लुओं की सभी गुप्त योजनाओं की जानकारी इकट्ठी की।
कुछ दिनों बाद चिड़िया रानी ने काकराज को बताया कि उल्लुओं की एक बड़ी कमजोरी है – वे दिन में बिल्कुल नहीं देख सकते। उसने यह भी बताया कि उलूकराज एक गुफा में छुपकर रहता है।
काकराज ने तुरंत योजना बनाई। अगले दिन सूर्योदय के समय, जब सभी उल्लू सो रहे थे, कौओं की पूरी सेना ने उनकी गुफा को घेर लिया। काकराज ने ऊंची आवाज में कहा, “उलूकराज! बाहर आओ और अपनी गलती मानो।”
उल्लू घबरा गए क्योंकि दिन की रोशनी में वे कुछ भी नहीं देख सकते थे। उलूकराज को समझ आ गया कि उसकी हार हो गई है।
तभी काकराज ने कहा, “मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि हम सभी मिलकर शांति से रहें।”
उलूकराज को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने काकराज से माफी मांगी और कहा, “मैंने घमंड में आकर गलत काम किया है। आज से हमारी शत्रुता समाप्त।”
दोनों राजाओं ने मित्रता का हाथ बढ़ाया। कौओं और उल्लुओं की शत्रुता समाप्त हो गई और जंगल में फिर से शांति छा गई। सभी पक्षी खुशी से नाचने लगे।
काकराज ने चिड़िया रानी की बुद्धिमानी की प्रशंसा की और उसे अपना विशेष सलाहकार बनाया। उल्लुओं ने भी अपने घमंड को त्यागकर दूसरे पक्षियों के साथ मित्रता की।
शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि घमंड और क्रोध से केवल नुकसान होता है। बुद्धि, धैर्य और क्षमा से हर समस्या का समाधान मिल सकता है। शत्रुता से कभी कुछ अच्छा नहीं होता, बल्कि मित्रता से सभी का भला होता है। हमें हमेशा शांति और सद्भावना का रास्ता चुनना चाहिए।











