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महाराज की खांसी और बीरबल की चतुराई
बादशाह अकबर के दरबार में एक दिन सभी दरबारी अपने-अपने काम में व्यस्त थे। अचानक महाराज की खांसी शुरू हो गई। खांसी इतनी तेज़ थी कि पूरा दरबार गूंज उठा।
“खांस… खांस… खांस…” बादशाह अकबर लगातार खांस रहे थे। सभी दरबारी चिंतित हो गए। हकीम को तुरंत बुलाया गया।
हकीम ने बादशाह की जांच की और कहा, “हुजूर, यह सर्दी की वजह से हुई खांसी है। कुछ दिन आराम करें और दवा लें।”
लेकिन महाराज की खांसी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। रात में भी खांसी के कारण उनकी नींद उड़ जाती थी। दरबार के सभी हकीम और वैद्य आए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
एक सप्ताह बाद, बीरबल दरबार में आया। उसने देखा कि बादशाह बहुत परेशान लग रहे हैं और बार-बार खांस रहे हैं।
“हुजूर, क्या बात है? आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं?” बीरबल ने विनम्रता से पूछा।
बादशाह ने कहा, “बीरबल, यह खांसी मुझे बहुत परेशान कर रही है। कोई दवा काम नहीं कर रही। रात में सो भी नहीं पाता।”
बीरबल ने ध्यान से महाराज की खांसी सुनी। फिर उसने चारों ओर देखा। दरबार में सभी दरबारी चुप-चाप बैठे थे, कोई भी आवाज़ नहीं कर रहा था।
अचानक बीरबल की आंखों में चमक आई। उसने कहा, “हुजूर, मैं आपकी खांसी का इलाज जानता हूं, लेकिन यह थोड़ा अलग तरीका है।”
बादशाह ने उत्सुकता से पूछा, “कैसा तरीका, बीरबल?”
बीरबल ने कहा, “हुजूर, कल से आप दरबार में जब भी खांसें, तो सभी दरबारियों को भी आपके साथ खांसना होगा। यह एक नया नियम होगा।”
सभी दरबारी हैरान रह गए। यह कैसा अजीब इलाज था! लेकिन बादशाह ने बीरबल पर भरोसा करते हुए इस नियम को मान लिया।
अगले दिन दरबार लगा। जैसे ही महाराज की खांसी शुरू हुई, बीरबल ने इशारा किया और सभी दरबारी भी खांसने लगे।
“खांस… खांस… खांस…” पूरा दरबार खांसी की आवाज़ से गूंज उठा। यह दृश्य बहुत ही अजीब था।
दूसरे दिन भी यही हुआ। जब बादशाह खांसे, तो सभी दरबारी भी खांसने लगे। तीसरे दिन भी यही नियम चला।
चौथे दिन एक अजीब बात हुई। महाराज की खांसी बिल्कुल बंद हो गई! पूरा दिन बीत गया, लेकिन बादशाह ने एक बार भी नहीं खांसा।
शाम को बादशाह ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, यह कमाल कैसे हुआ? मेरी खांसी कैसे ठीक हो गई?”
बीरबल मुस्कराया और कहा, “हुजूर, दरअसल आपकी खांसी शारीरिक बीमारी नहीं थी। यह एक मानसिक आदत बन गई थी।”
“मतलब?” बादशाह ने पूछा।
बीरबल ने समझाया, “हुजूर, जब दरबार में सन्नाटा होता था, तो आप बेचैनी महसूस करते थे और खांसने लगते थे। यह एक अनजाने में बनी आदत थी। जब सभी दरबारी आपके साथ खांसने लगे, तो आपको एहसास हुआ कि यह कितना अजीब लग रहा है। इसलिए आपका मन अपने आप खांसना बंद कर दिया।”
बादशाह अकबर को बीरबल की बुद्धिमत्ता पर बहुत गर्व हुआ। उन्होंने कहा, “वाह बीरबल! तुमने बिना किसी दवा के मेरी समस्या हल कर दी।”
उस दिन के बाद महाराज की खांसी कभी वापस नहीं आई। सभी दरबारी बीरबल की चतुराई की प्रशंसा करने लगे।
बादशाह ने बीरबल को इनाम देते हुए कहा, “बीरबल, तुमने मुझे सिखाया कि कभी-कभी समस्या का हल बहुत सरल होता है। बस सही तरीके से सोचना पड़ता है।”
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर समस्या का समाधान होता है। कभी-कभी हमें अलग तरीके से सोचना पड़ता है। बुद्धि और धैर्य से हर मुश्किल को हल किया जा सकता है। साथ ही यह भी सिखाता है कि मानसिक समस्याओं को समझना और उनका सही इलाज करना बहुत जरूरी है।
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