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हनुमान जी के जन्म की भविष्यवाणी – पवनपुत्र का आगमन

बहुत समय पहले की बात है, जब धरती पर अधर्म का राज था और असुरों का आतंक चारों ओर फैला हुआ था। उस समय देवताओं के राजा इंद्र देव बहुत चिंतित थे। वे जानते थे कि आने वाले समय में एक महान योद्धा की आवश्यकता होगी जो धर्म की रक्षा करे।

एक दिन इंद्र देव ने सभी देवताओं को अपनी सभा में बुलाया। “हे देवगण!” इंद्र देव ने कहा, “मैंने एक दिव्य दृश्य देखा है। पृथ्वी पर एक ऐसे वीर का जन्म होगा जो अपनी शक्ति और भक्ति से संसार का कल्याण करेगा।”

ब्रह्मा जी ने पूछा, “हे इंद्र! बताइए, यह महान आत्मा कौन होगी?”

इंद्र देव ने गंभीर स्वर में कहा, “यह हनुमान जी के जन्म की भविष्यवाणी है। पवन देव के आशीर्वाद से एक ऐसे पुत्र का जन्म होगा जो अपनी अद्भुत शक्तियों से प्रसिद्ध होगा।”

उसी समय पवन देव वहाँ प्रकट हुए। उनका तेजस्वी रूप देखकर सभी देवता नतमस्तक हो गए। पवन देव ने कहा, “हे देवराज! मैं जानता हूँ कि आप किस बात की चर्चा कर रहे हैं। मेरे आशीर्वाद से जो पुत्र जन्म लेगा, वह केवल बलवान ही नहीं, बल्कि महान भक्त भी होगा।”

तभी आकाशवाणी हुई, “जब धरती पर श्री राम का अवतार होगा, तब पवनपुत्र हनुमान उनके सबसे प्रिय भक्त बनेंगे। वे राम जी की सेवा में अपना जीवन समर्पित करेंगे।”

इस हनुमान जी के जन्म की भविष्यवाणी को सुनकर सभी देवता प्रसन्न हो गए। वे जानते थे कि आने वाला समय कितना कठिन होगा और एक महान योद्धा की आवश्यकता होगी।

कुछ समय बाद, किष्किंधा राज्य में राजा केसरी और रानी अंजना रहते थे। रानी अंजना एक महान तपस्विनी थीं। वे प्रतिदिन भगवान शिव की आराधना करती थीं। उनकी भक्ति देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए।

एक दिन भगवान शिव ने रानी अंजना को दर्शन दिए और कहा, “हे देवी! तुम्हारी तपस्या से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ। तुम्हें एक ऐसा पुत्र प्राप्त होगा जो तीनों लोकों में प्रसिद्ध होगा।”

रानी अंजना ने हाथ जोड़कर कहा, “हे प्रभु! यदि आप प्रसन्न हैं तो मुझे एक ऐसा पुत्र दें जो धर्म का रक्षक हो और भगवान का सच्चा भक्त हो।”

भगवान शिव मुस्कराए और बोले, “तुम्हारा पुत्र न केवल महान योद्धा होगा, बल्कि वह भगवान राम का सबसे प्रिय भक्त भी बनेगा। उसकी गर्जना से शत्रु काँप उठेंगे और उसकी भक्ति से भगवान राम प्रसन्न होंगे।”

इस प्रकार हनुमान जी के जन्म की भविष्यवाणी पूरी हुई। जब हनुमान जी का जन्म हुआ, तो पूरा आकाश दिव्य प्रकाश से भर गया। देवताओं ने आकाश से पुष्प वर्षा की और गंधर्वों ने मधुर संगीत बजाया।

नवजात हनुमान को देखकर पवन देव अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने पुत्र को अनेक वरदान दिए। “मेरे पुत्र!” पवन देव ने कहा, “तुम आकाश में उड़ सकोगे, पर्वतों को उठा सकोगे, और किसी भी रूप में बदल सकोगे।”

इंद्र देव ने भी आशीर्वाद दिया, “तुम वज्र के समान कठोर होगे और कोई अस्त्र-शस्त्र तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।”

ब्रह्मा जी ने कहा, “तुम्हें मृत्यु का भय नहीं होगा और तुम चिरंजीवी रहोगे।”

सूर्य देव ने आशीर्वाद दिया, “तुम्हारा तेज सूर्य के समान होगा और तुम सभी विद्याओं में पारंगत होगे।”

इस प्रकार सभी देवताओं के आशीर्वाद से हनुमान जी महान शक्तियों के स्वामी बने। जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, उनकी शक्ति और भक्ति की कहानियाँ चारों ओर फैलने लगीं।

एक दिन जब हनुमान जी बालक थे, तो उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगलने की कोशिश की। यह देखकर सभी देवता चकित रह गए। उन्हें एहसास हुआ कि हनुमान जी के जन्म की भविष्यवाणी सच में पूरी हो रही है।

समय बीतता गया और जब भगवान राम का अवतार हुआ, तो हनुमान जी ने उनकी सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे राम जी के सबसे विश्वसनीय भक्त और सेवक बने।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हम सच्चे मन से भगवान की भक्ति करते हैं, तो भगवान हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। हनुमान जी की तरह हमें भी धर्म का पालन करना चाहिए और हमेशा सत्य के साथ खड़े रहना चाहिए। इस प्रकार की अन्य कहानियों में भी हमें भक्ति और धर्म का महत्व समझने को मिलता है।

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