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गधे की आत्मा और सच्चाई की शक्ति

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक गधा रहता था। मोहन बहुत ही मेहनती और ईमानदार था, लेकिन दूसरे जानवर उसे मूर्ख समझते थे।

एक दिन जंगल में एक बड़ी सभा हुई। सभी जानवर इकट्ठे हुए थे क्योंकि जंगल का राजा शेर सिंहराज एक महत्वपूर्ण घोषणा करने वाला था।

“मेरे प्रिय मित्रों,” सिंहराज ने कहा, “हमारे जंगल में एक जादुई फल का पेड़ है जो केवल सच्चे दिल वाले को दिखाई देता है। जो भी उस फल को लाएगा, उसे जंगल का सबसे बुद्धिमान जानवर घोषित किया जाएगा।”

यह सुनकर चालाक लोमड़ी चतुरी और घमंडी बंदर बंटी खुश हो गए। वे दोनों सोचने लगे कि वे ही सबसे चतुर हैं।

चतुरी ने कहा, “मैं तो बहुत चालाक हूँ, मुझे वह फल जरूर मिल जाएगा।”

बंटी ने अकड़ते हुए कहा, “नहीं नहीं, मैं सबसे तेज़ हूँ। मैं पहले पहुँचकर फल ले आऊंगा।”

मोहन चुपचाप सब सुन रहा था। उसने सोचा, “मैं तो सिर्फ एक साधारण गधा हूँ, लेकिन फिर भी कोशिश करनी चाहिए।”

अगली सुबह सभी जानवर फल की तलाश में निकले। चतुरी ने जंगल के हर कोने में झाँका, लेकिन उसे कोई जादुई पेड़ नज़र नहीं आया। बंटी ने पेड़ों पर चढ़कर दूर-दूर तक देखा, पर उसे भी कुछ नहीं मिला।

मोहन धीरे-धीरे जंगल में घूम रहा था। रास्ते में उसे एक बूढ़ी खरगोश दिखी जो प्यास से परेशान थी।

“दादी माँ, आप ठीक तो हैं?” मोहन ने पूछा।

“बेटा, मुझे बहुत प्यास लगी है, लेकिन पानी बहुत दूर है,” खरगोश ने कहा।

मोहन ने तुरंत खरगोश को अपनी पीठ पर बिठाया और पानी तक पहुँचाया। खरगोश ने आशीर्वाद देते हुए कहा, “तुम्हारी गधे की आत्मा में सच्चाई और दया है। भगवान तुम्हारा भला करे।”

आगे चलकर मोहन ने देखा कि एक छोटा हिरण कांटों में फंसा हुआ है। बिना सोचे-समझे उसने हिरण को छुड़ाया, हालांकि उसके मुंह में कांटे चुभ गए।

हिरण ने कहा, “तुम्हारे जैसा दयालु जानवर मैंने नहीं देखा। तुम्हारी गधे की आत्मा में सच्ची करुणा है।”

शाम होते-होते मोहन एक पुराने बरगद के पेड़ के पास पहुँचा। अचानक उस पेड़ पर एक सुनहरा फल चमकने लगा। मोहन की आँखें चौंधिया गईं।

एक मधुर आवाज़ आई, “मोहन, तुमने आज जो दया और सेवा दिखाई है, वही तुम्हारी असली बुद्धिमत्ता है। तुम्हारी गधे की आत्मा में छुपी सच्चाई ने तुम्हें यह फल दिलाया है।”

मोहन ने विनम्रता से फल लिया और वापस सभा में पहुँचा। सभी जानवर हैरान रह गए।

सिंहराज ने कहा, “मोहन, तुमने सिद्ध कर दिया कि सच्चाई और दया ही असली बुद्धिमत्ता है। तुम्हारी गधे की आत्मा में जो सच्चाई है, वही तुम्हें सबसे बुद्धिमान बनाती है।”

चतुरी और बंटी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने मोहन से माफी मांगी।

नैतिक शिक्षा: सच्ची बुद्धिमत्ता चालाकी या घमंड में नहीं, बल्कि दया, सच्चाई और सेवा भावना में छुपी होती है। हमारी आत्मा में जो सच्चाई और दया है, वही हमें वास्तव में महान बनाती है।

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