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दो सांप और मेंढक की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक छोटा सा तालाब था। इस तालाब के किनारे दो सांप रहते थे – एक का नाम था कालिया और दूसरे का नाम था नागराज। दोनों सांप बहुत ही घमंडी और क्रूर स्वभाव के थे।

उसी तालाब में एक छोटा सा मेंढक रहता था जिसका नाम था मित्रू। मित्रू बहुत ही दयालु और मिलनसार था। वह हमेशा दूसरे जीवों की मदद करने के लिए तैयार रहता था।

एक दिन कालिया और नागराज ने आपस में बात की, “यह छोटा मेंढक हमारे तालाब में बहुत खुशी से रहता है। क्यों न हम इसे परेशान करें और अपना मनोरंजन करें?”

अगले दिन से दो सांप मित्रू को परेशान करने लगे। वे उसके सोने की जगह पर कब्जा कर लेते, उसका खाना छीन लेते और हमेशा उसे डराते रहते।

मित्रू बहुत परेशान हो गया। उसने सांपों से विनती की, “भाई, मैंने आपका क्या बिगाड़ा है? कृपया मुझे शांति से रहने दें।”

लेकिन दोनों सांप हंसते हुए बोले, “तू तो बहुत छोटा है। यह तालाब हमारा है, तू यहां से चला जा!”

मित्रू ने सोचा कि अकेले इन दो सांपों का सामना करना मुश्किल है। उसने अपने मित्र गिलहरी से सलाह ली।

गिलहरी ने कहा, “मित्रू, तुम्हें बुद्धि से काम लेना चाहिए। मैंने सुना है कि जंगल के राजा शेर महाराज न्याय प्रिय हैं।”

अगले दिन मित्रू ने हिम्मत जुटाई और शेर महाराज के पास गया। उसने अपनी सारी समस्या बताई।

शेर महाराज ने कहा, “मित्रू, मैं तुम्हारी मदद करूंगा। लेकिन पहले मैं स्वयं देखना चाहता हूं कि वे सांप कैसा व्यवहार करते हैं।”

अगले दिन शेर महाराज छुपकर तालाब के पास आए। उन्होंने देखा कि दो सांप और मेंढक के बीच क्या हो रहा है। कालिया और नागराज मित्रू को बहुत परेशान कर रहे थे।

तभी एक अजीब घटना हुई। तालाब के पास एक बड़ा बाज आया और उसकी नजर कालिया पर पड़ी। बाज ने झपट्टा मारा और कालिया को अपने पंजों में दबोच लिया।

कालिया चिल्लाया, “बचाओ! कोई मेरी मदद करो!”

नागराज डर गया और छुप गया। लेकिन मित्रू का दिल दया से भर गया। उसने तुरंत पास के कीचड़ में छलांग लगाई और बाज की आंखों में कीचड़ फेंक दिया।

बाज की आंखें धुंधली हो गईं और उसने कालिया को छोड़ दिया। कालिया की जान बच गई।

यह सब देखकर शेर महाराज बहुत प्रभावित हुए। वे सामने आए और बोले, “मित्रू, तुमने अपने दुश्मन की भी जान बचाई। यह सच्ची महानता है।”

कालिया और नागराज शर्म से पानी-पानी हो गए। उन्होंने मित्रू से माफी मांगी और कहा, “मित्रू, हमें माफ कर दो। हमने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया है।”

मित्रू ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं तुम्हें माफ करता हूं। आओ, हम सब मिलकर इस तालाब में खुशी से रहें।”

शेर महाराज ने कहा, “आज से यह तालाब तुम तीनों का है। लेकिन याद रखना, यहां केवल प्रेम और सहयोग का राज चलेगा।”

उस दिन के बाद से दो सांप और मेंढक अच्छे मित्र बन गए। वे एक-दूसरे की मदद करते और खुशी से रहते।

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दया और क्षमा सबसे बड़े गुण हैं। जब हम अपने दुश्मनों के साथ भी अच्छा व्यवहार करते हैं, तो वे हमारे मित्र बन जाते हैं। घमंड और क्रूरता से कभी कुछ अच्छा नहीं होता, लेकिन प्रेम और दया से सबसे कठोर दिल भी पिघल जाता है।

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