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चतुर सियार और घमंडी मुर्गे की कहानी

एक समय की बात है, एक घने जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था। उसके पास बहुत से मुर्गे और मुर्गियाँ थीं। इन सभी में से एक मुर्गा था जिसका नाम था राजा। राजा बहुत ही सुंदर और बलवान था, लेकिन वह अत्यधिक घमंडी भी था।

राजा मुर्गा हमेशा अपनी सुंदरता और ताकत का घमंड करता रहता था। वह दूसरे मुर्गों को नीचा दिखाता और कहता, “देखो मेरी सुनहरी पूंछ कितनी खूबसूरत है! मेरी आवाज़ कितनी मधुर है! इस पूरे गाँव में मेरे जैसा कोई नहीं है।”

उसी जंगल में धूर्त नाम का एक चालाक सियार रहता था। वह रोज़ गाँव के आस-पास घूमता और खाने की तलाश में रहता था। एक दिन उसने राजा मुर्गे को देखा और सोचा कि यह तो बहुत स्वादिष्ट लग रहा है।

धूर्त सियार ने एक योजना बनाई। अगले दिन वह राजा मुर्गे के पास गया और बोला, “अरे वाह! आप तो वास्तव में बहुत सुंदर हैं। मैंने सुना है कि आपकी आवाज़ बहुत मधुर है। क्या आप मुझे अपना गाना सुना सकते हैं?”

राजा मुर्गे को यह बात बहुत अच्छी लगी। उसने गर्व से कहा, “हाँ हाँ, बिल्कुल! मैं पूरे जंगल का सबसे अच्छा गायक हूँ।”

सियार ने चालाकी से कहा, “लेकिन मैंने सुना है कि सच्चे कलाकार आँखें बंद करके गाते हैं। क्या आप ऐसा कर सकते हैं?”

घमंडी राजा मुर्गे ने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं और जोर से बांग देने लगा। “कुकड़ूँ कूँ! कुकड़ूँ कूँ!”

यही मौका था जिसका सियार इंतज़ार कर रहा था। वह झपटा और राजा मुर्गे को पकड़ने की कोशिश की। लेकिन राजा मुर्गे की आँखें खुल गईं और वह तुरंत उड़कर एक ऊँचे पेड़ पर जा बैठा।

सियार नीचे खड़ा होकर बोला, “अरे राजा जी, आप तो डर गए! मैं तो सिर्फ आपकी प्रशंसा करना चाहता था।”

राजा मुर्गे को अब समझ आ गया था कि सियार उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा था। उसने कहा, “धूर्त सियार! तुम मुझे धोखा देना चाहते थे। लेकिन अब मैं तुम्हारी चालाकी समझ गया हूँ।”

सियार ने हार नहीं मानी। उसने दूसरी चाल चली और बोला, “राजा जी, आप बहुत बुद्धिमान हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जंगल के राजा शेर ने आपके बारे में क्या कहा है?”

राजा मुर्गे की जिज्ञासा बढ़ गई। उसने पूछा, “क्या कहा है शेर ने?”

चालाक सियार बोला, “शेर ने कहा है कि राजा मुर्गा सिर्फ दिखने में अच्छा है, लेकिन उसमें साहस नहीं है। वह कभी जमीन पर आकर लड़ने की हिम्मत नहीं कर सकता।”

यह सुनकर राजा मुर्गे का घमंड जाग गया। वह गुस्से में बोला, “क्या कहा? मुझमें साहस नहीं है? मैं अभी दिखाता हूँ!”

और वह पेड़ से नीचे कूद गया। सियार खुश हो गया और राजा मुर्गे पर हमला करने के लिए दौड़ा।

लेकिन इस बार राजा मुर्गे ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया। उसने तुरंत अपने तेज़ पंजों से सियार पर हमला किया और अपनी चोंच से उसे जोर से मारा। सियार दर्द से चिल्लाया और भागने लगा।

राजा मुर्गे ने उसके पीछे दौड़ते हुए कहा, “अब पता चला तुझे कि मुझमें कितना साहस है! फिर कभी किसी को धोखा देने की कोशिश मत करना।”

सियार भागते-भागते बोला, “माफ करो राजा जी! मैं फिर कभी ऐसी गलती नहीं करूंगा।”

इस घटना के बाद राजा मुर्गे को एहसास हुआ कि घमंड कितना खतरनाक हो सकता है। उसने सोचा कि अगर वह अपने घमंड में न आता तो सियार उसे धोखा नहीं दे पाता।

उस दिन के बाद से राजा मुर्गे ने अपना व्यवहार बदल दिया। वह दूसरे मुर्गों के साथ दयालुता से पेश आने लगा और अपने घमंड को छोड़ दिया। वह समझ गया था कि सच्ची ताकत विनम्रता और बुद्धिमानी में है, घमंड में नहीं।

नैतिक शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि घमंड हमेशा हमारे पतन का कारण बनता है। चालाक लोग हमारे घमंड का फायदा उठाकर हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए और अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही यह भी सिखाती है कि धोखाधड़ी करने वालों का अंत हमेशा बुरा होता है।

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