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भलाई का फल – दयालु खरगोश की कहानी

एक घने जंगल में चंचल नाम का एक छोटा खरगोश रहता था। वह बहुत ही दयालु और मददगार था। जंगल के सभी जानवर उसे बहुत प्यार करते थे क्योंकि वह हमेशा दूसरों की सहायता करने के लिए तैयार रहता था।

एक दिन जंगल में भयानक आग लग गई। सभी जानवर डरकर इधर-उधर भागने लगे। चंचल भी भागा, लेकिन रास्ते में उसे एक बूढ़ी गिलहरी दिखाई दी जो एक पेड़ के नीचे दबी हुई थी।

“बहन जी, आप ठीक तो हैं?” चंचल ने चिंता से पूछा।

“बेटा, मेरा पैर इस भारी डाली के नीचे दब गया है। मैं हिल नहीं सकती,” गिलहरी ने कराहते हुए कहा।

चंचल ने देखा कि आग तेजी से उनकी तरफ बढ़ रही थी। उसके पास दो विकल्प थे – अपनी जान बचाकर भाग जाना या गिलहरी की मदद करना। बिना सोचे-समझे, चंचल ने गिलहरी की सहायता करने का फैसला किया।

चंचल ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर डाली को हटाने की कोशिश की। “जल्दी करो बेटा, आग पास आ रही है!” गिलहरी ने घबराकर कहा।

आखिरकार चंचल ने डाली हटा दी और गिलहरी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। लेकिन इस मदद में उसका बहुत समय लग गया था। अब आग उन्हें घेर चुकी थी।

“अब हम कैसे बचेंगे?” गिलहरी ने डरते हुए पूछा।

तभी आसमान से एक बाज नीचे उतरा। “चंचल, मैंने तुम्हारी भलाई देखी है। आओ, मैं तुम दोनों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देता हूं।”

बाज ने पहले गिलहरी को और फिर चंचल को अपनी पीठ पर बिठाकर आग से दूर एक सुरक्षित पहाड़ी पर पहुंचा दिया।

“तुमने मेरी जान बचाई थी जब मैं घायल था,” बाज ने चंचल से कहा। “आज मैंने तुम्हारी भलाई का फल देखा। तुमने अपनी जान की परवाह न करते हुए गिलहरी की मदद की, इसलिए भगवान ने मुझे भेजा तुम्हें बचाने के लिए।”

जल्द ही जंगल के अन्य जानवर भी वहां पहुंचे। सभी ने चंचल की बहादुरी और दयालुता की प्रशंसा की। शेर राजा ने चंचल को जंगल का “सबसे दयालु जानवर” का खिताब दिया।

उस दिन के बाद से चंचल की और भी ज्यादा इज्जत होने लगी। जब भी कोई जानवर मुसीबत में होता, सभी चंचल को याद करते। वह हमेशा खुशी-खुशी सबकी मदद करता रहा।

कुछ महीने बाद, जंगल में भयानक अकाल पड़ा। सभी जानवरों के पास खाने की कमी हो गई। लेकिन जिन जानवरों की चंचल ने पहले मदद की थी, वे सभी उसके लिए खाना लेकर आए।

“यह है भलाई का फल,” बूढ़ी गिलहरी ने कहा। “जो दूसरों की भलाई करता है, समय आने पर सभी उसकी भलाई करते हैं।”

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि भलाई का फल हमेशा मिलता है। जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करता है, संकट के समय भगवान उसकी रक्षा करते हैं। दयालुता और परोपकार के बीज बोने वाला व्यक्ति जीवन में खुशियों की फसल काटता है। हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि भलाई का फल कभी न कभी जरूर मिलता है।

आप समझदार बंदर की कहानी भी पढ़ सकते हैं, जिसमें दयालुता और बुद्धिमानी का महत्व बताया गया है।

इसके अलावा, नीला गिलहरी की कहानी में भी भलाई का फल देखने को मिलता है।

यदि आप और भी कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं, तो बात करने वाली गुफा की कहानी जरूर देखें।

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