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व्यापारी के पुत्र और बंदर की अनोखी मित्रता

बहुत समय पहले की बात है, एक समृद्ध नगर में रामदास नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। उसका एक पुत्र था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत ही दयालु और बुद्धिमान बालक था, परंतु वह अकेलेपन से परेशान रहता था।

एक दिन अर्जुन अपने घर के बगीचे में टहल रहा था, तभी उसने देखा कि एक छोटा बंदर पेड़ से गिरकर घायल हो गया है। बंदर दर्द से कराह रहा था और उसके पैर में चोट लगी थी।

“अरे! यह तो बहुत घायल है,” अर्जुन ने मन में सोचा और तुरंत बंदर के पास गया। उसने प्रेम से बंदर को उठाया और घर ले आया।

अर्जुन ने बंदर के घावों की देखभाल की, उसे दवा लगाई और खाना दिया। धीरे-धीरे बंदर स्वस्थ होने लगा। कुछ दिनों बाद बंदर पूरी तरह ठीक हो गया।

अब व्यापारी के पुत्र और बंदर के बीच गहरी मित्रता हो गई थी। बंदर अर्जुन के साथ खेलता, उसके कंधे पर बैठता और हमेशा उसके आसपास रहता। अर्जुन ने बंदर का नाम चंचल रखा था।

एक दिन रामदास को व्यापार के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा। उसने अर्जुन से कहा, “बेटा, मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं। घर की देखभाल करना और सावधान रहना।”

अर्जुन ने कहा, “पिताजी, चिंता न करें। चंचल मेरे साथ है, हम दोनों मिलकर घर की रक्षा करेंगे।”

रामदास के जाने के बाद, एक रात कुछ चोर घर में सेंध लगाने आए। वे चुपचाप घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे। चंचल की तेज़ आंखों ने चोरों को देख लिया।

चंचल ने तुरंत “चीं-चीं, चीं-चीं” की आवाज़ निकालकर अर्जुन को जगाया। अर्जुन समझ गया कि कुछ गड़बड़ है। उसने चंचल के साथ मिलकर एक योजना बनाई।

चंचल ने चोरों पर पत्थर फेंके और शोर मचाया, जबकि अर्जुन ने पड़ोसियों को आवाज़ लगाई। चोर डरकर भाग गए और घर की संपत्ति सुरक्षित रह गई।

जब रामदास वापस आया और पूरी घटना सुनी, तो वह बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा, “अर्जुन, तुमने और चंचल ने मिलकर हमारे घर की रक्षा की है। सच्ची मित्रता का यही तो मतलब है।”

उस दिन के बाद, व्यापारी के पुत्र और बंदर की मित्रता और भी मजबूत हो गई। चंचल हमेशा अर्जुन के साथ रहता और वे दोनों एक-दूसरे की मदद करते रहते।

समय बीतता गया और अर्जुन बड़ा होकर एक सफल व्यापारी बना। चंचल भी उसके साथ-साथ बड़ा हुआ और हमेशा उसका वफादार साथी बना रहा।

कहानी की सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची मित्रता जाति, रंग या रूप को नहीं देखती। जब हम किसी की निस्वार्थ भाव से सहायता करते हैं, तो वह व्यक्ति या जीव हमेशा हमारे काम आता है। दया, करुणा और प्रेम से बनी मित्रता जीवन भर चलती है और मुश्किल समय में हमारी रक्षा करती है। सच्ची मित्रता का एक और उदाहरण है।

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