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उल्लुओं और कौओं की लड़ाई – बुद्धि की जीत
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में उल्लुओं और कौओं की लड़ाई चली आ रही थी। यह लड़ाई कई वर्षों से चल रही थी और दोनों पक्षों के अनेक पक्षी इसमें अपनी जान गंवा चुके थे।
कौओं का राजा मेघवर्ण बहुत चतुर और बुद्धिमान था। वह अपनी प्रजा की सुरक्षा के लिए हमेशा चिंतित रहता था। दूसरी ओर, उल्लुओं का राजा अरिमर्दन बहुत शक्तिशाली और क्रूर था। वह रात के अंधेरे में कौओं पर आक्रमण करता रहता था।
एक दिन राजा मेघवर्ण ने अपने मंत्रियों की सभा बुलाई। सबसे बुजुर्ग मंत्री स्थिरजीवी ने कहा, “महाराज, यह उल्लुओं और कौओं की लड़ाई हमारे लिए विनाशकारी है। हमें कोई उपाय सोचना होगा।”
राजा मेघवर्ण ने पूछा, “क्या उपाय है, मंत्री जी?”
स्थिरजीवी ने एक चतुर योजना सुझाई। उन्होंने कहा, “महाराज, मैं उल्लुओं के पास जाकर आपके विरुद्ध षड्यंत्र करूंगा। वे मुझ पर विश्वास कर लेंगे और मैं उनके सभी भेद जान लूंगा।”
योजना के अनुसार, राजा मेघवर्ण ने स्थिरजीवी को सभी कौओं के सामने बुरी तरह डांटा और उसे निकाल दिया। स्थिरजीवी दुखी होकर उल्लुओं के राज्य में पहुंचा।
राजा अरिमर्दन ने जब स्थिरजीवी को देखा तो पूछा, “तुम यहां क्यों आए हो?”
स्थिरजीवी ने झूठे आंसू बहाते हुए कहा, “महाराज, मेघवर्ण ने मुझे निकाल दिया है। मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं और इस उल्लुओं और कौओं की लड़ाई में आपकी मदद करना चाहता हूं।”
अरिमर्दन खुश हो गया और स्थिरजीवी को अपना सलाहकार बना लिया। कुछ महीनों तक स्थिरजीवी ने उल्लुओं की पूरी जानकारी इकट्ठी की। उसने उनके गुप्त ठिकाने, उनकी कमजोरियां और उनकी रणनीति के बारे में सब कुछ जान लिया।
एक दिन स्थिरजीवी ने देखा कि सभी उल्लू एक गुफा में सो रहे हैं। यह उनका मुख्य निवास स्थान था। उसने तुरंत राजा मेघवर्ण को संदेश भेजा।
राजा मेघवर्ण ने अपनी पूरी सेना के साथ उस गुफा को घेर लिया। कौओं ने गुफा के मुंह पर सूखी लकड़ियां और पत्ते डालकर आग लगा दी। धुएं से सभी उल्लू बेहोश हो गए।
इस प्रकार उल्लुओं और कौओं की लड़ाई समाप्त हो गई। राजा अरिमर्दन और उसके सभी सैनिक मारे गए। स्थिरजीवी सुरक्षित बाहर निकल आया और राजा मेघवर्ण के पास वापस लौट गया।
राजा मेघवर्ण ने स्थिरजीवी की बुद्धिमानी की प्रशंसा की। पूरे कौआ राज्य में खुशी मनाई गई।
नैतिक शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि और चतुराई से बड़े से बड़े शत्रु को भी हराया जा सकता है। केवल शारीरिक शक्ति से नहीं, बल्कि सोच-समझकर काम करने से सफलता मिलती है। धैर्य और योजनाबद्ध तरीके से काम करना हमेशा फायदेमंद होता है।
सामाजिक बुद्धिमत्ता की कहानी में भी इसी तरह की चतुराई का उदाहरण मिलता है।











