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श्री कृष्ण का जन्म – भगवान कृष्ण की जन्म कथा
बहुत समय पहले की बात है, जब धरती पर अधर्म और अत्याचार का राज था। मथुरा नगरी में एक क्रूर राजा कंस का शासन था। वह अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था, लेकिन एक दिन आकाशवाणी ने उसे बताया कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा।
यह सुनकर कंस का हृदय भय से भर गया। उसने तुरंत अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को कारागार में डाल दिया। “मैं तुम्हारे हर बच्चे को मार डालूंगा!” कंस ने क्रोध में कहा।
समय बीतता गया और देवकी के सात पुत्र हुए। दुष्ट कंस ने एक-एक करके सभी को मार डाला। देवकी और वासुदेव का हृदय दुःख से भर गया था, लेकिन वे भगवान विष्णु पर भरोसा रखते थे।
जब देवकी आठवीं बार गर्भवती हुई, तो स्वयं भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए। “हे देवकी! मैं तुम्हारे गर्भ में आ रहा हूं। डरो मत, सब कुछ ठीक हो जाएगा।” भगवान ने आश्वासन दिया।
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात, जब चारों ओर घनघोर बारिश हो रही थी, श्री कृष्ण का जन्म हुआ। जैसे ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, कारागार में अद्भुत प्रकाश फैल गया।
नन्हे कृष्ण के मुख पर मुस्कान थी और उनकी आंखों में दिव्य तेज था। देवकी और वासुदेव को लगा जैसे साक्षात भगवान विष्णु उनके सामने खड़े हों। भगवान कृष्ण ने अपने माता-पिता से कहा, “मुझे तुरंत गोकुल ले जाओ, जहां यशोदा मैया ने एक कन्या को जन्म दिया है।”
अचानक कारागार के सभी दरवाजे खुल गए और पहरेदार गहरी नींद में सो गए। वासुदेव जी ने नन्हे कृष्ण को एक टोकरी में रखा और यमुना नदी की ओर चल पड़े।
रास्ते में यमुना नदी में बाढ़ आई हुई थी। वासुदेव जी परेशान हो गए, लेकिन जैसे ही उन्होंने नदी में कदम रखा, पानी अपने आप कम हो गया। शेषनाग ने अपने फन से नन्हे कृष्ण को बारिश से बचाया।
गोकुल पहुंचकर वासुदेव जी ने देखा कि नंद बाबा और यशोदा मैया गहरी नींद में सो रहे थे। उन्होंने चुपचाप कृष्ण को यशोदा मैया के पास रखा और उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस मथुरा चल दिए।
सुबह होते ही कंस को पता चल गया कि देवकी का आठवां बच्चा पैदा हुआ है। वह तुरंत कारागार पहुंचा और बच्चे को मारने के लिए उठाया। लेकिन वह कन्या उसके हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और बोली, “अरे मूर्ख कंस! तेरा काल तो पहले से ही जन्म ले चुका है और सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया है।”
इधर गोकुल में यशोदा मैया की आंखें खुलीं तो उन्होंने देखा कि उनके पास एक सुंदर बालक है। उनका हृदय प्रेम से भर गया। “हे नंद जी! देखिए, हमारे घर कितना प्यारा बेटा आया है!” यशोदा मैया ने खुशी से कहा।
नंद बाबा भी बहुत खुश हुए। पूरे गोकुल में खुशी का माहौल था। गोपियां मिठाई बांट रही थीं और सभी श्री कृष्ण के जन्म का जश्न मना रहे थे।
इस प्रकार भगवान कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया। उन्होंने अपने जन्म से ही दिखा दिया कि वे कोई साधारण बालक नहीं हैं। उनका जन्म अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था।
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान हमेशा अच्छे लोगों की रक्षा करते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। जब भी धरती पर अधर्म बढ़ता है, भगवान किसी न किसी रूप में आकर धर्म की रक्षा करते हैं।











