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चूहे और हाथी की मित्रता – पंचतंत्र की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक विशाल हाथी रहता था। उसका नाम गजराज था। गजराज बहुत दयालु और शांत स्वभाव का था, लेकिन उसका आकार इतना बड़ा था कि छोटे जानवर उससे डरते थे।

उसी जंगल में एक छोटा सा चूहा भी रहता था जिसका नाम चिंकू था। चिंकू बहुत चतुर और फुर्तीला था। वह हमेशा भोजन की तलाश में इधर-उधर घूमता रहता था।

एक दिन की बात है, गजराज अपने पसंदीदा तालाब के पास आराम कर रहा था। अचानक उसे अपने पैर के पास कुछ हिलने की आवाज सुनाई दी। उसने देखा कि चिंकू चूहा एक जाल में फंस गया था जो शिकारियों ने बिछाया था।

“अरे छोटे दोस्त, तुम इस जाल में कैसे फंस गए?” गजराज ने दयालुता से पूछा.

चिंकू डर के मारे कांप रहा था। उसने सोचा कि यह बड़ा हाथी उसे नुकसान पहुंचाएगा। लेकिन गजराज की आवाज में दया थी।

“मैं… मैं भोजन ढूंढ रहा था और इस जाल में फंस गया,” चिंकू ने कांपती आवाज में कहा।

गजराज ने तुरंत अपनी सूंड से जाल को तोड़ दिया और चिंकू को मुक्त कर दिया। चूहे की आंखों में खुशी के आंसू आ गए।

“धन्यवाद महाराज! आपने मेरी जान बचाई है। यदि कभी आपको मेरी जरूरत हो तो मैं हाजिर हूं,” चिंकू ने कृतज्ञता से कहा.

गजराज मुस्कराया, “अरे छोटे मित्र, तुम इतने छोटे हो, मेरी क्या मदद करोगे? फिर भी तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है।”

उस दिन के बाद से चूहे और हाथी में गहरी मित्रता हो गई। चिंकू रोज गजराज से मिलने आता और वे साथ में समय बिताते।

कुछ महीने बाद, एक दिन शिकारी जंगल में आए। उन्होंने गजराज को पकड़ने के लिए एक बहुत मजबूत रस्सी का जाल बिछाया। जब गजराज पानी पीने गया तो वह उस जाल में फंस गया।

गजराज ने बहुत कोशिश की लेकिन वह जाल से निकल नहीं पाया। रस्सियां बहुत मजबूत थीं। वह परेशान होकर चिल्लाने लगा।

चिंकू ने अपने मित्र की आवाज सुनी और तुरंत दौड़ता हुआ आया। उसने देखा कि उसका प्रिय मित्र हाथी मुसीबत में है।

“घबराओ मत गजराज भाई! मैं तुम्हें छुड़ाता हूं,” चिंकू ने हिम्मत से कहा.

छोटे चूहे ने अपने तेज दांतों से रस्सियों को कुतरना शुरू किया। वह रात भर काम करता रहा। सुबह होते-होते उसने सभी रस्सियों को काट दिया।

गजराज आजाद हो गया। उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। “चिंकू मित्र, तुमने मेरी जान बचाई है। मैंने तुम्हें छोटा समझा था, लेकिन आज पता चला कि दोस्ती में आकार का कोई महत्व नहीं होता।”

चिंकू मुस्कराया, “गजराज भाई, जब आपने मुझे जाल से बचाया था, तब मैंने कहा था कि मैं आपकी मदद करूंगा। आज मैंने अपना वादा पूरा किया।”

उस दिन के बाद से चूहे और हाथी की मित्रता और भी गहरी हो गई। जंगल के सभी जानवर उनकी मित्रता की मिसाल देते थे.

कहानी की सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची मित्रता में आकार, जाति या रूप-रंग का कोई भेद नहीं होता। छोटे से छोटा व्यक्ति भी बड़े से बड़े काम आ सकता है। हमें किसी को उसके आकार या रूप के आधार पर छोटा नहीं समझना चाहिए। दया, करुणा और सहायता की भावना ही सच्ची मित्रता का आधार है.

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