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चिड़िया और बंदर की अनोखी मित्रता

एक घने जंगल में एक विशाल बरगद का पेड़ था। इस पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर सुनहरी चिड़िया रानी का सुंदर घोंसला था। रानी बहुत मेहनती और बुद्धिमान थी। वह हर सुबह मधुर आवाज में गाती और जंगल के सभी जानवरों का दिन खुशी से शुरू होता।

उसी पेड़ के नीचे चंचल बंदर चिंटू रहता था। चिंटू बहुत शरारती था और हमेशा दूसरों को परेशान करने में मजा लेता था। वह पेड़ों पर कूदता-फांदता रहता और फल खाकर छिलके इधर-उधर फेंकता रहता।

एक दिन चिंटू ने रानी के घोंसले के नीचे आम के छिलके फेंके। रानी ने विनम्रता से कहा, “चिंटू भाई, कृपया यहां गंदगी न फैलाएं। इससे हमारा घर गंदा हो जाता है।”

चिंटू ने हंसते हुए कहा, “अरे छोटी चिड़िया! तुम मुझे क्या सिखाओगी? मैं जो चाहूं करूंगा।” और वह और भी ज्यादा गंदगी फैलाने लगा।

रानी दुखी हो गई लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। वह चुपचाप अपना काम करती रही।

कुछ दिन बाद, जंगल में भयंकर तूफान आया। तेज हवा और बारिश से सभी जानवर डर गए। चिंटू का पेड़ के नीचे का आश्रय बह गया और वह बुरी तरह भीग रहा था। वह ठंड से कांप रहा था और उसे कहीं शरण नहीं मिल रही थी।

रानी ने अपने घोंसले से चिंटू की दुर्दशा देखी। उसका दिल पिघल गया। उसने तुरंत अपने घोंसले का एक हिस्सा चिंटू के लिए खाली कर दिया और नीचे उड़कर कहा, “चिंटू भाई, ऊपर आ जाइए। मेरे घोंसले में जगह है।”

चिंटू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह बोला, “रानी, मैंने तुम्हारे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया है। तुम फिर भी मेरी मदद कर रही हो?”

रानी ने मुस्कराते हुए कहा, “चिंटू भाई, सच्ची मित्रता में बदला नहीं, सहयोग होता है। मुसीबत में एक-दूसरे का साथ देना ही असली धर्म है।”

तूफान के बाद, चिंटू पूरी तरह बदल गया। उसने रानी से माफी मांगी और वादा किया कि वह अब कभी गंदगी नहीं फैलाएगा। उसने पेड़ के आसपास सफाई की और रानी के घोंसले की सुरक्षा के लिए मजबूत टहनियों का सहारा लगाया।

अब चिड़िया और बंदर सच्चे मित्र बन गए। रानी चिंटू को मीठे फलों के बारे में बताती और चिंटू रानी के घोंसले की रक्षा करता। दोनों मिलकर जंगल के अन्य जानवरों की भी मदद करते। जंगल के सभी जानवर उनकी मित्रता की मिसाल देते और कहते कि सच्ची मित्रता जाति, आकार या स्वभाव से नहीं, बल्कि दिल की अच्छाई से बनती है।

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें सिखाया जाता है कि सच्ची मित्रता में क्षमा, दया और निस्वार्थ सेवा होती है। बुराई का बदला भलाई से देना चाहिए। जब हम दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, तो वे भी हमारे सच्चे मित्र बन जाते हैं। मुसीबत के समय एक-दूसरे का साथ देना ही सच्ची मानवता है। सच्ची मित्रता का यह उदाहरण हमें हमेशा याद रखना चाहिए।

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