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भगवान विष्णु के अन्य प्रमुख अवतार की गाथा
बहुत समय पहले की बात है, जब धरती पर अधर्म का राज था और असुरों का आतंक फैला हुआ था। उस समय भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए कई अन्य प्रमुख अवतार लिए थे। आज हम उन्हीं अवतारों की रोमांचक कहानी सुनेंगे।
सबसे पहले हयग्रीव अवतार की कथा है। जब दैत्यराज मधु और कैटभ ने वेदों को चुराकर समुद्र की गहराई में छुपा दिया था, तब ब्रह्माजी बहुत परेशान हो गए। उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की।
“हे प्रभु! वेदों के बिना सृष्टि का कल्याण कैसे होगा?” ब्रह्माजी ने कहा।
तब भगवान विष्णु ने घोड़े के सिर वाला हयग्रीव अवतार लिया। उनका मुख सफेद घोड़े की तरह था और शरीर दिव्य था। हयग्रीव भगवान ने समुद्र में जाकर दोनों दैत्यों से युद्ध किया और वेदों को वापस लाकर ब्रह्माजी को सौंप दिया।
इसके बाद धन्वंतरि अवतार की महिमा देखिए। समुद्र मंथन के समय जब देवता और असुर मिलकर अमृत निकालने का प्रयास कर रहे थे, तो समुद्र से कई अनमोल रत्न निकले। उसी समय भगवान विष्णु ने धन्वंतरि अवतार लिया।
धन्वंतरि भगवान के हाथों में अमृत कलश था। वे आयुर्वेद के देवता थे। उन्होंने संसार को रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए आयुर्वेद का ज्ञान दिया। आज भी डॉक्टर और वैद्य धन्वंतरि भगवान की पूजा करते हैं। आज की कहानी में भी हमें स्वास्थ्य का महत्व समझने को मिलता है।
“मैं सभी प्राणियों के रोगों का नाश करूंगा,” धन्वंतरि भगवान ने कहा था।
फिर आया मोहिनी अवतार का समय। जब देवता और असुर अमृत के लिए लड़ने लगे, तो भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया। मोहिनी का रूप इतना मनमोहक था कि सभी असुर उसे देखकर मोहित हो गए।
मोहिनी ने कहा, “मैं सबको न्याय से अमृत बांटूंगी।” लेकिन चतुराई से उन्होंने सारा अमृत देवताओं को पिला दिया। केवल राहु नामक असुर ने छल से अमृत पिया था, जिसका सिर सुदर्शन चक्र से काट दिया गया।
इन अन्य प्रमुख अवतार के अलावा नृसिंह अवतार की गाथा भी अद्भुत है। हिरण्यकशिपु नामक दैत्यराज ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रयास किए, क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था।
हिरण्यकशिपु को वरदान था कि वह न दिन में मरेगा, न रात में, न घर में, न बाहर, न किसी हथियार से, न किसी जानवर से, न किसी इंसान से। इस वरदान के कारण वह बहुत अहंकारी हो गया था।
जब हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा, “तेरा भगवान कहां है?” तो प्रह्लाद ने कहा, “पिताजी, भगवान सर्वत्र हैं।”
“क्या इस खंभे में भी है?” हिरण्यकशिपु ने गुस्से में खंभे पर मुक्का मारा।
तभी खंभे से भगवान नृसिंह प्रकट हुए। वे आधे सिंह और आधे इंसान थे। संध्या के समय, दरवाजे की देहली पर, अपनी गोद में हिरण्यकशिपु को रखकर, अपने नाखूनों से उसका वध किया।
वामन अवतार की कहानी भी बहुत प्रेरणादायक है। राजा बलि बहुत दानवीर था लेकिन उसने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था। देवता परेशान होकर भगवान विष्णु के पास गए।
भगवान विष्णु ने एक छोटे ब्राह्मण बालक वामन का रूप धारण किया। वे राजा बलि के यज्ञ में गए और तीन पग भूमि मांगी।
राजा बलि ने हंसते हुए कहा, “ब्राह्मण देव, आप जितनी चाहें भूमि ले सकते हैं।”
तब वामन भगवान ने अपना विराट रूप दिखाया। पहले पग में उन्होंने पूरी पृथ्वी नाप ली, दूसरे पग में स्वर्ग लोक। जब तीसरे पग के लिए जगह नहीं बची, तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया।
भगवान ने प्रसन्न होकर बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया। यह अन्य प्रमुख अवतार में से एक महत्वपूर्ण अवतार था।
परशुराम अवतार की गाथा भी वीरता से भरी है। जब क्षत्रिय राजा अत्याचारी हो गए और ब्राह्मणों पर अत्याचार करने लगे, तब भगवान विष्णु ने परशुराम का अवतार लिया।
परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि थे। राजा कार्तवीर्य अर्जुन ने उनकी हत्या कर दी थी। इससे क्रोधित होकर परशुराम ने प्रतिज्ञा की कि वे पृथ्वी को अत्याचारी क्षत्रियों से मुक्त करेंगे।
परशुराम ने अपने फरसे से इक्कीस बार पृथ्वी को अत्याचारी क्षत्रियों से मुक्त किया। वे भगवान शिव के परम भक्त थे और उन्होंने शिवजी से दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए थे।
कूर्म अवतार की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है। जब देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे, तो मंदराचल पर्वत डूबने लगा। तब भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया और अपनी पीठ पर मंदराचल पर्वत को स्थिर किया।
इस प्रकार कूर्म अवतार की सहायता से समुद्र मंथन संपन्न हुआ और अमृत, लक्ष्मी जी, कल्पवृक्ष जैसे अनमोल रत्न प्राप्त हुए।
वराह अवतार में भगवान ने सुअर का रूप धारण किया था। हिरण्याक्ष नामक दैत्य ने पृथ्वी को समुद्र में छुपा दिया था। तब भगवान वराह ने समुद्र में जाकर पृथ्वी को अपने दांतों पर उठाया और हिरण्याक्ष का वध किया।
ये सभी अन्य प्रमुख अवतार हमें सिखाते हैं कि भगवान विष्णु हमेशा धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। जब भी पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तो वे किसी न किसी रूप में आकर भक्तों की रक्षा करते हैं।
हर अवतार का अपना विशेष उद्देश्य था। हयग्रीव ने ज्ञान की रक्षा की, धन्वंतरि ने स्वास्थ्य का वरदान दिया, मोहिनी ने न्याय स्थापित किया, नृसिंह ने भक्त की रक्षा की, वामन ने विनम्रता का पाठ पढ़ाया, परशुराम ने अन्याय का विनाश किया।
बच्चों, इन कहानियों से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा सच्चाई और धर्म का साथ देना चाहिए। भगवान विष्णु के ये अन्य प्रमुख अवतार हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
जब भी हम मुश्किल में होते हैं, तो भगवान विष्णु के इन अवतारों को याद करके हमें साहस मिलता है। वे हमें सिखाते हैं कि बुराई पर अच्छाई की जीत होती है।
इसलिए हमें भी अपने जीवन में धर्म का पालन करना चाहिए और दूसरों की सहायता करनी चाहिए। भगवान विष्णु के ये सभी अवतार हमारे आदर्श हैं और हमें सही राह दिखाते हैं।











