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मित्र की परीक्षा – सच्चे दोस्त की कहानी
एक घने जंगल में चिंटू खरगोश और मिंटू गिलहरी रहते थे। दोनों बचपन से ही सबसे अच्छे मित्र थे। वे साथ खेलते, साथ खाना खाते और हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे।
एक दिन जंगल में शेरू शेर आया। वह बहुत ही चालाक और धूर्त था। शेरू ने देखा कि चिंटू और मिंटू की दोस्ती कितनी मजबूत है। उसके मन में एक बुरा विचार आया।
“मैं इन दोनों की दोस्ती तोड़ दूंगा,” शेरू ने मन में सोचा। “फिर मैं आसानी से इन्हें अपना शिकार बना सकूंगा।”
अगले दिन शेरू चिंटू के पास गया और बोला, “चिंटू भाई, तुम्हारा दोस्त मिंटू तुम्हारे बारे में बुरी बातें कहता है। वह कहता है कि तुम बहुत आलसी हो और हमेशा उसका खाना चुराते हो।”
चिंटू को बहुत दुख हुआ। लेकिन वह समझदार था। उसने सोचा, “मिंटू मेरा सच्चा दोस्त है। मुझे पहले उससे बात करनी चाहिए।”
उसी समय शेरू मिंटू के पास भी गया और झूठ बोला, “मिंटू, तुम्हारा दोस्त चिंटू कहता है कि तुम बहुत छोटे हो और कमजोर हो। वह तुम्हें अपना दोस्त नहीं मानता।”
मिंटू भी दुखी हो गया, लेकिन वह भी बुद्धिमान था। उसने सोचा, “यह बात सच नहीं लग रही। चिंटू ऐसा कभी नहीं कह सकता।”
शाम को दोनों दोस्त अपनी रोज की तरह मिले। चिंटू ने कहा, “मिंटू, आज शेरू ने मुझसे कहा कि तुम मेरे बारे में बुरा कहते हो। क्या यह सच है?”
मिंटू हंसा और बोला, “अरे यार, मुझसे भी उसने यही कहा था कि तुम मेरे बारे में बुरा कहते हो। लगता है वह हमारी दोस्ती तोड़ना चाहता है।”
दोनों दोस्तों ने समझ लिया कि यह मित्र की परीक्षा का समय है। उन्होंने मिलकर एक योजना बनाई।
अगले दिन चिंटू ने शेरू से कहा, “शेरू भाई, आपकी बात सच थी। मिंटू वाकई बुरा दोस्त है। मैं उससे दोस्ती तोड़ना चाहता हूं।”
मिंटू भी शेरू के पास गया और बोला, “आप सही कह रहे थे। चिंटू अच्छा दोस्त नहीं है। मैं उससे नाराज हूं।”
शेरू बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि उसकी चाल सफल हो गई है। उसने दोनों से कहा, “कल शाम जंगल के बीच वाले मैदान में आना। मैं तुम दोनों को अलग-अलग रास्ते दिखाऊंगा।”
अगली शाम शेरू मैदान में इंतजार कर रहा था। अचानक चिंटू और मिंटू साथ-साथ आते दिखे। वे हंस रहे थे और बात कर रहे थे।
शेरू हैरान रह गया। चिंटू ने कहा, “शेरू जी, हमने आपकी चाल समझ ली थी। आप हमारी दोस्ती तोड़ना चाहते थे।”
मिंटू ने जोड़ा, “सच्चे दोस्त कभी एक-दूसरे पर बिना पूछे विश्वास नहीं खोते। हमारी दोस्ती इतनी कमजोर नहीं है।”
शेरू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने माफी मांगी और वादा किया कि वह फिर कभी किसी की दोस्ती तोड़ने की कोशिश नहीं करेगा।
इस तरह चिंटू और मिंटू ने मित्र की परीक्षा में सफलता पाई। उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो गई।
नैतिक शिक्षा: सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। किसी और की बात सुनकर अपने दोस्त पर संदेह नहीं करना चाहिए। पहले अपने मित्र से बात करके सच्चाई जानना बेहतर होता है। सच्ची मित्रता हर परीक्षा में खरी उतरती है।
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