लोमड़ी और कौवे की कहानी

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एक समय की बात है, एक जंगल में काफी तरह के जानवर साथ में रहते थे. उस जंगल में एक बहुत ही बुद्धिमान और समझदार कौवा भी रहता था, सारे जानवर उस कौवे का काफी सम्मान करते थे, और अपनी समस्याओ के समाधान के लिए उसके पास जाते थे.


उसी जंगल में एक बहुत चालाक लोमड़ी भी रहती थी जो की बहुत मौकापरस्त थी, वो जंगल के जानवरो को तरह तरह से बेवकूफ बनाकर उनका सामान हड़प लेती थी.


एक दिन की बात है कौवा काफी भूखा था, और वो खाने की तलाश में इधर उधर भटक रहा था, उड़ते उड़ते वो एक गांव के पास पंहुचा तो उसने देखा की एक घर के बाहर एक काफी बड़ी रोटी का टुकड़ा पड़ा है, कौवा तुरंत उस रोटी के टुकड़े को चोंच में दबाकर उड़ जाता है.


कौवा रोटी के इतने बड़े टुकड़े को पा कर बहुत खुश हो जाता है, और सोचता है की किसी एकांत जगह पर आराम से मज़े लेकर वो इस रोटी को खाएगा।


कौवा एक पेड़ पर बैठ जाता है, तभी उधर से वो चालाक लोमड़ी गुजर रही होती है, कौवे के मुँह में इतनी बड़ी रोटी का टुकड़ा देख कर उसके मुँह में पानी आ जाता है, और वो उसको हथियाने का सोचने लगती है.


लोमड़ी कौवे के पास जाकर बोलती है, नमस्ते कौवे जी. कौवा लोमड़ी की बात का कुछ जवाब नहीं देता है.


लोमड़ी आगे बोलती है, कौवे भाई आपके पंख कितने चमकदार है, आप कितने हट्टे कट्टे हो और कितने सुन्दर दिखते हो, आप कितना तेज़ और ऊँचा उड़ लेते हो, आपको तो पंछियो का राजा होना चाहिए.


कौवा इतना सब सुनने के बाद भी कुछ नहीं बोलता है.


लोमड़ी आगे बोलती है, मै दावे के साथ कह सकती हूँ की जो देखने में इतना खूबसूरत है, उसकी आवाज़ उस्से भी ज्यादा मीठी और मधुर होगी, कौवे भाई क्या आप मुझे अपनी मीठी आवाज़ में एक गाना सुना सकते है?


कौवा लोमड़ी की चालाकी समझ जाता है, वो जान जाता है की लोमड़ी ये सब चापलूसी उस्से रोटी का टुकड़ा पाने के लिए कर रही है.


अब कौवा लोमड़ी को सबक सिखाने की ठान लेता है.


कौवा अपने मुँह में दबी रोटी को अपने पैर से पकड़ लेता है, और बोलता है, “धन्यवाद लोमड़ी” आज तक किसी ने मेरी इतनी ज्यादा तारीफ़ नहीं की है.


मै आपसे बहुत खुश हूँ और आज मै आपको अपना पसंदीदा गाना सुनाऊंगा.


लोमड़ी कौए की समझदारी देख कर चकरा जाती है, और वह से जाने लगती है, कौवा बोलता है बहन लोमड़ी कहा जा रही हो गाना तो सुनती जाओ.


लोमड़ी जवाब देती है, कौवे भाई आज गाना नहीं सुन सकती जरूरी काम याद आ गया है, और ये बोलकर भाग जाती है.


कौवा लोमड़ी को भागता देख कर हंसने लगता है.


चालक लोमड़ी और समझदार कौवे की कहानी से शिक्षा – हमें कभी चापलूस लोगो की बातो में नहीं आना चाहिए.

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