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हातिम ताई और नेकी कर दरिया में डाल की शिक्षा
बहुत समय पहले की बात है, जब अरब की धरती पर हातिम ताई नाम का एक महान योद्धा और दानवीर रहता था। उसकी दानवीरता और न्याय की कहानियां दूर-दूर तक फैली हुई थीं। हातिम ताई का मानना था कि नेकी कर दरिया में डाल – यही जीवन का सच्चा मार्ग है।
एक दिन हातिम ताई अपने घोड़े पर सवार होकर रेगिस्तान से गुजर रहा था। तेज धूप में उसे एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया जो प्यास से बेहाल होकर रेत पर गिरा पड़ा था। हातिम ताई तुरंत अपने घोड़े से उतरा और अपनी पानी की मशक से उस बूढ़े को पानी पिलाया।
“बेटा, तुमने मेरी जान बचाई है। मैं तुम्हें कैसे धन्यवाद दूं?” बूढ़े ने कहा।
हातिम ताई ने मुस्कराते हुए कहा, “चाचा जी, नेकी कर दरिया में डाल। मैंने जो किया है वह मेरा फर्ज था। आप धन्यवाद की बात न करें।”
बूढ़ा आदमी दरअसल एक जादूगर था जो हातिम ताई की परीक्षा ले रहा था। वह बोला, “हातिम, तुम्हारा दिल सच में साफ है। मैं तुम्हें एक जादुई अंगूठी देता हूं। यह अंगूठी तुम्हें मुसीबत के समय राह दिखाएगी।”
हातिम ताई ने विनम्रता से अंगूठी ली और आगे बढ़ गया। कुछ दूर जाने पर उसे एक गांव दिखाई दिया जहां लोग बहुत परेशान थे। गांव के मुखिया ने हातिम ताई को बताया कि एक दुष्ट राक्षस ने उनके गांव के कुएं पर कब्जा कर लिया है।
“हे वीर योद्धा, हमारे बच्चे प्यास से मर रहे हैं। कोई भी उस राक्षस से लड़ने की हिम्मत नहीं कर रहा।” मुखिया ने दुखी होकर कहा।
हातिम ताई ने तुरंत कहा, “चिंता न करें। मैं उस राक्षस से लड़ूंगा। नेकी कर दरिया में डाल – यही मेरा सिद्धांत है।”
हातिम ताई कुएं के पास पहुंचा तो देखा कि वहां एक विशालकाय राक्षस बैठा था। राक्षस ने गरजकर कहा, “कौन है जो मेरी मौत को दावत देने आया है?”
“मैं हातिम ताई हूं। तुमने निर्दोष लोगों का पानी छीना है। यह अन्याय है।” हातिम ताई ने निडरता से कहा।
भयंकर युद्ध शुरू हुआ। राक्षस बहुत शक्तिशाली था, लेकिन हातिम ताई का साहस और न्याय की शक्ति उससे भी महान थी। जब लगा कि राक्षस जीत रहा है, तो अचानक हातिम ताई की अंगूठी चमकने लगी।
अंगूठी की शक्ति से हातिम ताई को एक गुप्त मंत्र याद आया। उसने मंत्र पढ़ा और राक्षस तुरंत एक छोटे से कीड़े में बदल गया। हातिम ताई ने उस कीड़े को भी नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि उसे दूर जंगल में छोड़ दिया।
गांव वाले खुशी से नाचने लगे। वे हातिम ताई को सोना-चांदी देना चाहते थे, लेकिन उसने कहा, “नेकी कर दरिया में डाल। मैंने जो किया है वह मेरा कर्तव्य था। मुझे किसी इनाम की जरूरत नहीं।”
गांव छोड़ते समय हातिम ताई को रास्ते में एक रोती हुई लड़की मिली। उसका नाम फातिमा था। वह बताने लगी कि उसके पिता को एक जालिम राजा ने कैद कर लिया है क्योंकि वे उसे खिराज नहीं दे सकते थे।
“हे वीर, क्या आप मेरे पिता को बचा सकते हैं?” फातिमा ने आंसू भरी आंखों से पूछा।
हातिम ताई का दिल पिघल गया। उसने कहा, “बेटी, नेकी कर दरिया में डाल। तुम्हारे पिता को जरूर छुड़ाऊंगा।”
हातिम ताई उस जालिम राजा के महल पहुंचा। राजा बहुत घमंडी और क्रूर था। उसने हातिम ताई से कहा, “अगर तुम तीन कठिन परीक्षाएं पास कर लो तो मैं फातिमा के पिता को छोड़ दूंगा।”
पहली परीक्षा में हातिम ताई को एक शेर से लड़ना था। दूसरी में आग के गड्ढे को पार करना था। तीसरी में एक पहेली सुलझानी थी। हातिम ताई ने अपने साहस, बुद्धि और जादुई अंगूठी की मदद से तीनों परीक्षाएं पास कीं।
राजा को अपना वादा पूरा करना पड़ा। फातिमा के पिता को रिहा कर दिया गया। फातिमा और उसके पिता ने हातिम ताई का बहुत धन्यवाद किया।
“यह सब तुम्हारे लिए नहीं, बल्कि न्याय के लिए किया है। नेकी कर दरिया में डाल – यही जीवन का सच्चा मार्ग है।” हातिम ताई ने समझाया।
जब हातिम ताई वापस अपने घर जा रहा था, तो रास्ते में वही बूढ़ा जादूगर मिला। उसने कहा, “हातिम, तुमने सिद्ध कर दिया कि तुम्हारा दिल सोने से भी कीमती है। तुमने हर नेकी बिना किसी स्वार्थ के की।”
“चाचा जी, नेकी कर दरिया में डाल – यह सिर्फ कहावत नहीं, जीवन जीने का तरीका है। जब हम बिना किसी अपेक्षा के भलाई करते हैं, तो खुशी अपने आप मिलती है।” हातिम ताई ने कहा।
जादूगर मुस्कराया और गायब हो गया। हातिम ताई अपने घर पहुंचा और जीवन भर लोगों की मदद करता रहा। उसकी दानवीरता की कहानियां आज भी लोग सुनाते हैं।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि नेकी कर दरिया में डाल का मतलब है कि हमें बिना किसी स्वार्थ के, बिना किसी बदले की उम्मीद के दूसरों की मदद करनी चाहिए। सच्ची खुशी इसी में है।










