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दो सांपों की कहानी – मित्रता और विश्वासघात की शिक्षा
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में दो सांप रहते थे। एक का नाम था कालिया और दूसरे का नाम था धवल। कालिया काले रंग का था और धवल सफेद रंग का। दोनों बचपन से ही मित्र थे और एक ही पेड़ की जड़ों के नीचे बने बिल में रहते थे।
कालिया बहुत ही दयालु और मेहनती था। वह हमेशा अपने मित्र धवल की सहायता करता था। जब भी धवल को भोजन की तलाश में परेशानी होती, कालिया अपना भोजन उसके साथ बांटता था। “मित्र, हमें हमेशा एक-दूसरे का साथ देना चाहिए,” कालिया अक्सर कहता था।
धवल दिखने में तो सुंदर था, लेकिन उसके मन में ईर्ष्या और लालच भरा हुआ था। वह हमेशा सोचता था कि कालिया उससे अधिक चतुर क्यों है और जंगल के अन्य जानवर उसका अधिक सम्मान क्यों करते हैं।
एक दिन जंगल में एक बूढ़ा साधु आया। उसके पास एक जादुई रत्न था जो किसी भी सांप को अमर बना सकता था। साधु ने घोषणा की, “जो सांप सबसे अच्छा काम करेगा, उसे यह रत्न मिलेगा।”
यह सुनकर दोनों सांपों में होड़ लग गई। कालिया ने सोचा कि वह अच्छे कार्य करके रत्न जीतेगा। उसने जंगल के छोटे जानवरों की सहायता करना शुरू किया। वह खरगोश के बच्चों को शिकारियों से बचाता, चिड़ियों के घोंसले गिरने से रोकता, और बीमार जानवरों की देखभाल करता।
धवल ने एक चालाकी भरी योजना बनाई। उसने सोचा, “अगर मैं कालिया को हरा दूं, तो रत्न मेरा हो जाएगा।” वह रात के अंधेरे में साधु के पास गया और झूठ बोला कि कालिया दुष्ट है और छोटे जानवरों को डराता है।
अगले दिन साधु ने कालिया को बुलाया और कहा, “मुझे तुम्हारे बारे में बुरी बातें सुनने को मिली हैं।” कालिया हैरान रह गया। उसने सच्चाई बताने की कोशिश की, लेकिन साधु ने उसकी बात नहीं सुनी।
उसी रात, जंगल में आग लग गई। सभी जानवर डर गए थे। धवल डरकर अपने बिल में छुप गया, लेकिन कालिया तुरंत बाहर निकला। उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए छोटे जानवरों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। वह बार-बार आग में जाकर जानवरों को बचाता रहा।
साधु ने यह सब देखा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने समझ लिया कि धवल ने झूठ बोला था। जब आग बुझ गई, तो साधु ने सभी जानवरों को इकट्ठा किया।
साधु ने कहा, “आज मैंने देखा है कि सच्चा वीर कौन है। कालिया ने अपनी जान की परवाह न करते हुए सबकी रक्षा की है। धवल ने झूठ बोलकर अपने मित्र को बदनाम करने की कोशिश की।”
सभी जानवरों ने कालिया की प्रशंसा की। साधु ने जादुई रत्न कालिया को दिया। धवल को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह कालिया के पास गया और माफी मांगी।
कालिया ने कहा, “मित्र, मैं तुम्हें माफ करता हूं। लेकिन याद रखो, सच्ची मित्रता में ईर्ष्या और धोखे की कोई जगह नहीं होती।” उसने रत्न को तोड़कर दो हिस्से किए और एक हिस्सा धवल को भी दे दिया।
इस घटना के बाद धवल बदल गया। उसने अपनी बुरी आदतें छोड़ दीं और कालिया के साथ मिलकर जंगल की सेवा करने लगा। दो सांपों की कहानी जंगल में प्रसिद्ध हो गई।
शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता में ईर्ष्या, लालच और धोखे की कोई जगह नहीं होती। अच्छे कार्य करने वाले व्यक्ति को हमेशा सम्मान मिलता है। माफ करना और दूसरे मौके देना भी महत्वपूर्ण गुण हैं। हमें हमेशा सच्चाई के साथ खड़े रहना चाहिए और दूसरों की भलाई के लिए काम करना चाहिए। सच्ची मित्रता और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा हमें इस कहानी से मिलती है।












