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चूहा जो सिंह बना – एक पंचतंत्र कहानी
बहुत समय पहले, एक घने जंगल में चिंकू नाम का एक छोटा चूहा रहता था। चिंकू बहुत ही डरपोक और कमजोर था। जब भी कोई बिल्ली या कुत्ता दिखाई देता, वह तुरंत अपने बिल में छुप जाता था।
एक दिन चिंकू जंगल में घूम रहा था कि अचानक उसे एक तपस्वी ऋषि दिखाई दिए। ऋषि जी अपनी तपस्या में लीन थे। चिंकू ने सोचा, “काश मैं भी इन ऋषि जी की तरह शक्तिशाली होता!”
ऋषि जी ने चिंकू की आवाज सुनी और आंखें खोलीं। उन्होंने पूछा, “क्या बात है छोटे चूहे? तुम इतने उदास क्यों लग रहे हो?”
चिंकू ने कहा, “हे ऋषि जी! मैं बहुत कमजोर हूं। सभी जानवर मुझसे बड़े और मजबूत हैं। मैं हमेशा डरा रहता हूं। काश मैं भी कोई बड़ा और शक्तिशाली जानवर होता!”
दयालु ऋषि ने चिंकू पर तरस खाया। उन्होंने अपनी जादुई शक्ति का प्रयोग करके चिंकू को एक बिल्ली बना दिया। चिंकू खुशी से नाच उठा!
अब चिंकू बिल्ली बन गया था, लेकिन कुछ दिन बाद उसे एक कुत्ता दिखाई दिया। कुत्ते को देखकर वह फिर डर गया। वह दौड़कर ऋषि जी के पास गया और बोला, “ऋषि जी, मुझे कुत्ता बना दीजिए!”
ऋषि जी ने उसे कुत्ता बना दिया। अब चिंकू कुत्ता बन गया था। कुछ दिन बाद उसे एक तेंदुआ मिला। तेंदुए को देखकर वह फिर घबरा गया और ऋषि जी से तेंदुआ बनने की विनती की।
ऋषि जी ने उसकी बात मानकर उसे तेंदुआ बना दिया। लेकिन जब चिंकू को जंगल का राजा सिंह दिखाई दिया, तो वह फिर डर गया। वह दौड़कर ऋषि जी के पास गया।
“ऋषि जी, कृपया मुझे सिंह बना दीजिए! तब मैं जंगल का राजा बन जाऊंगा और कोई भी मुझसे नहीं डरेगा!” चिंकू ने विनती की.
ऋषि जी ने उसे सिंह बना दिया। अब चूहा जो सिंह बना था, वह जंगल में घूमने लगा। सभी जानवर उससे डरने लगे। चिंकू को लगा कि अब वह सबसे शक्तिशाली है।
लेकिन कुछ दिन बाद, चिंकू के मन में अहंकार आ गया। वह सोचने लगा, “अब मैं जंगल का राजा हूं। ये ऋषि जी भी मुझसे छोटे हैं। मैं इन्हें खा जाऊंगा!”
जब चिंकू ऋषि जी को खाने के लिए उनकी तरफ बढ़ा, तो ऋषि जी समझ गए कि चिंकू के दिल में अहंकार और बुराई भर गई है। उन्होंने तुरंत अपनी शक्ति का प्रयोग किया।
“तू अपना असली रूप भूल गया है!” ऋषि जी ने कहा और चिंकू को वापस छोटा चूहा बना दिया।
चिंकू फिर से छोटा चूहा बन गया। वह बहुत शर्मिंदा हुआ और ऋषि जी से माफी मांगी। “ऋषि जी, मुझे माफ कर दीजिए। मैं अहंकार में अंधा हो गया था।”
ऋषि जी ने समझाया, “बेटा, बाहरी रूप बदलने से कुछ नहीं होता। असली ताकत मन की होती है। साहस, दया, और विनम्रता ही सच्ची शक्ति है।”
चिंकू ने ऋषि जी की बात समझी। उसने निश्चय किया कि वह अब अपने छोटे रूप में ही खुश रहेगा और अच्छे कर्म करेगा।
शिक्षा: इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि बाहरी रूप या शक्ति से व्यक्ति महान नहीं बनता। सच्ची महानता अच्छे गुणों, विनम्रता और सदाचार में है। अहंकार हमेशा पतन का कारण बनता है। हमें अपने असली स्वरूप को स्वीकार करके अच्छे कर्म करने चाहिए।
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