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चतुर सियार और घमंडी हाथी की कहानी
एक घने जंगल में एक विशाल हाथी रहता था जिसका नाम गजराज था। वह अपने आकार और शक्ति पर बहुत घमंड करता था। जंगल के सभी छोटे जानवर उससे डरते थे। गजराज हमेशा अपनी सूंड हिलाकर और जोर से चिंघाड़कर सबको डराता रहता था।
उसी जंगल में एक चतुर सियार भी रहता था जिसका नाम धूर्त था। धूर्त बहुत बुद्धिमान था और हमेशा अपनी चतुराई से मुश्किलों का समाधान निकालता था। वह गजराज के घमंड से बहुत परेशान था क्योंकि हाथी छोटे जानवरों को सताता रहता था।
एक दिन गजराज ने जंगल के एकमात्र तालाब पर अपना कब्जा कर लिया। उसने घोषणा की, “अब से यह तालाब केवल मेरा है! कोई और जानवर यहाँ पानी नहीं पी सकता!”
जंगल के सभी जानवर प्यासे रह गए। छोटे खरगोश, हिरण, और पक्षी सभी परेशान हो गए। तब धूर्त सियार ने सोचा कि इस घमंडी हाथी को सबक सिखाना जरूरी है।
अगले दिन धूर्त गजराज के पास गया और बोला, “महाराज, मैंने सुना है कि आप जंगल के सबसे शक्तिशाली हैं। लेकिन क्या आप वाकई सबसे बुद्धिमान भी हैं?”
गजराज गुस्से में बोला, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बुद्धि पर सवाल उठाने की? मैं सबसे बुद्धिमान भी हूँ!”
धूर्त मुस्कराया और बोला, “तो फिर आप यह बताइए कि चाँद तालाब में क्यों दिखता है? अगर आप सच में बुद्धिमान हैं तो चाँद को तालाब से निकाल सकते हैं।”
मूर्ख गजराज ने सोचा कि यह तो बहुत आसान काम है। वह तालाब के किनारे गया और अपनी सूंड से पानी में चाँद को पकड़ने की कोशिश करने लगा। जैसे ही वह पानी छूता, चाँद का प्रतिबिंब हिल जाता।
गजराज पूरी रात चाँद को पकड़ने की कोशिश करता रहा। वह इतना थक गया कि सुबह होते-होते वह तालाब के किनारे ही गिर पड़ा। इस दौरान सभी जानवरों ने आराम से पानी पिया।
जब गजराज की आँख खुली तो उसने देखा कि सभी जानवर तालाब के चारों ओर खुशी से पानी पी रहे हैं। धूर्त सियार उसके पास आया और बोला, “गजराज जी, घमंड करना अच्छी बात नहीं है। सच्ची शक्ति दूसरों की मदद करने में है, उन्हें सताने में नहीं।”
गजराज को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सभी जानवरों से माफी माँगी और कहा, “मुझे खुशी होगी अगर आप सब इस तालाब का उपयोग करें। यह हम सबका है।”
उस दिन के बाद गजराज ने अपना घमंड छोड़ दिया और जंगल के सभी जानवरों का मित्र बन गया। धूर्त सियार और गजराज हाथी भी अच्छे दोस्त बन गए।
नैतिक शिक्षा: घमंड का नाश होता है और बुद्धि बल से बड़ी होती है। सच्ची महानता दूसरों की सेवा में है, अपने अहंकार में नहीं। छोटा हो या बड़ा, सभी को सम्मान देना चाहिए।
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