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चतुर कौए की चाल – बुद्धिमानी की जीत
एक समय की बात है, एक घने जंगल में काला नाम का एक बहुत ही चतुर कौआ रहता था। वह अपनी बुद्धिमानी के लिए पूरे जंगल में प्रसिद्ध था। जंगल के सभी जानवर उसकी चतुर कौए की चाल की प्रशंसा करते थे।
उसी जंगल में एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था, जिस पर मीठू नाम का एक तोता रहता था। मीठू बहुत ही घमंडी था और हमेशा अपनी सुंदरता का बखान करता रहता था। वह कहता था, “मैं जंगल का सबसे सुंदर पक्षी हूँ। मेरे जैसा कोई नहीं है।”
एक दिन जंगल में एक बड़ी समस्या आई। एक शिकारी ने जंगल के मुख्य जल स्रोत के पास जाल बिछा दिया था। कई छोटे पक्षी और जानवर उस जाल में फंस गए थे। सभी जानवर परेशान थे कि इस समस्या का समाधान कैसे करें।
मीठू तोता चिल्लाया, “मैं इतना सुंदर हूँ कि शिकारी मुझे देखकर अपना जाल हटा देगा।” लेकिन जब वह शिकारी के पास गया, तो शिकारी ने उसे पकड़ने की कोशिश की। मीठू डरकर भाग आया।
तब काला कौए ने कहा, “मित्रों, केवल सुंदरता से काम नहीं चलता। यहाँ बुद्धि की जरूरत है।” उसने अपनी चतुर कौए की चाल के बारे में सोचा और एक योजना बनाई।
काला ने जंगल के सभी कौओं को इकट्ठा किया और अपनी योजना बताई। उसने कहा, “हम सभी मिलकर शिकारी को परेशान करेंगे। जब वह परेशान होकर जाल छोड़कर भागेगा, तब हम अपने फंसे हुए मित्रों को बचा लेंगे।”
अगली सुबह, काला की चतुर कौए की चाल शुरू हुई। सभी कौए मिलकर शिकारी के सिर पर मंडराने लगे। वे जोर-जोर से काँव-काँव करने लगे। कुछ कौए उसके खाने पर झपट्टा मारने लगे, तो कुछ उसके कपड़े खींचने लगे।
शिकारी बहुत परेशान हो गया। वह कौओं को भगाने की कोशिश करता रहा, लेकिन कौए उसे चैन से बैठने नहीं दे रहे थे। आखिरकार परेशान होकर शिकारी ने अपना जाल समेटा और वहाँ से भाग गया।
जैसे ही शिकारी गया, काला और उसके साथी कौओं ने जल्दी-जल्दी सभी फंसे हुए जानवरों को जाल से मुक्त कराया। छोटे खरगोश, गिलहरी, और कई पक्षी बच गए।
सभी जानवरों ने काला की चतुर कौए की चाल की बहुत प्रशंसा की। मीठू तोता भी शर्मिंदा होकर काला के पास आया और कहा, “काला भाई, मैं समझ गया कि केवल सुंदरता से काम नहीं चलता। बुद्धि और एकता ही सच्ची शक्ति है।”
काला ने मुस्कराते हुए कहा, “मीठू भाई, हर किसी में कोई न कोई खूबी होती है। जरूरत है तो बस मिलजुलकर काम करने की।”
उस दिन के बाद से मीठू का घमंड खत्म हो गया। वह भी काला के साथ मिलकर जंगल की समस्याओं का समाधान करने लगा। चतुर कौए की चाल ने न केवल जानवरों को बचाया बल्कि मीठू को भी एक अच्छा मित्र बना दिया।
नैतिक शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि और एकता में बहुत शक्ति होती है। घमंड करने से कोई फायदा नहीं होता। मुश्किल समय में मिलजुलकर काम करना ही सफलता की कुंजी है। चतुर कौए की चाल की तरह, हमें भी समस्याओं का समाधान बुद्धिमानी से करना चाहिए।
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हमेशा याद रखें कि सच्ची शक्ति एकता में होती है।














