Summarize this Article with:

ब्राह्मण और तीन ठग – बुद्धिमान बकरी की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में पंडित विद्यानंद नाम का एक सीधा-सादा ब्राह्मण रहता था। वह बहुत ही भोला और दयालु था। एक दिन उसे यज्ञ के लिए एक स्वस्थ बकरी की आवश्यकता हुई।

पंडित जी बाजार गए और एक सुंदर, मोटी-ताजी बकरी खरीदी। वह बकरी को कंधे पर लादकर घर की ओर चल पड़े। रास्ते में तीन चालाक ठग उन्हें देख रहे थे।

“देखो, यह ब्राह्मण कितना भोला लग रहा है,” पहले ठग ने कहा। “इसकी बकरी हमें मिल जाए तो कितना अच्छा होगा!”

तीनों ठगों ने एक योजना बनाई। वे अलग-अलग रास्तों पर छुप गए।

जब पंडित जी पहले ठग के पास से गुजरे, तो वह बोला, “अरे पंडित जी! आप इस कुत्ते को कंधे पर क्यों लादे हुए हैं? यह तो बहुत गंदा लग रहा है।”

पंडित जी ने कहा, “यह कुत्ता नहीं, बकरी है भाई।”

ठग हंसकर बोला, “आपकी मर्जी, लेकिन मुझे तो यह कुत्ता ही दिख रहा है।”

पंडित जी आगे बढ़े। थोड़ी देर बाद दूसरा ठग मिला। वह भी चिल्लाया, “हे भगवान! पंडित जी, आप मरे हुए बछड़े को क्यों ढो रहे हैं? यह तो बहुत अशुभ है!”

अब पंडित जी को थोड़ा संदेह हुआ। उन्होंने बकरी को देखा, लेकिन वह तो वैसी ही थी।

जब तीसरा ठग मिला और बोला, “अरे पंडित जी! यह गधा आपको कहां मिला? इसे कंधे पर लादकर आप कहां जा रहे हैं?”

अब ब्राह्मण और तीन ठग की इस चाल से पंडित जी पूरी तरह भ्रमित हो गए। उन्होंने सोचा कि शायद कोई जादू-टोना हो गया है। डरकर उन्होंने बकरी को वहीं छोड़ दिया और तेजी से घर की ओर भागे।

तीनों ठग खुशी से नाचने लगे। वे बकरी को लेकर जंगल की ओर चल पड़े। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वह बकरी कोई साधारण बकरी नहीं थी।

वह बकरी दरअसल बुद्धिमती नाम की एक जादुई बकरी थी, जो इंसानों की भाषा समझती थी। उसने तीनों ठगों की पूरी बातचीत सुनी थी।

जब ठग जंगल में आराम करने के लिए रुके, तो बुद्धिमती ने अपनी योजना बनाई। वह चुपचाप वहां से निकलकर गांव के मुखिया के पास गई और अपनी आवाज बदलकर एक बूढ़े आदमी की तरह बोली।

“मुखिया जी! जंगल में तीन चोर छुप रहे हैं। वे गांव वालों का माल चुराते रहते हैं। आज उन्होंने पंडित विद्यानंद की बकरी चुराई है।”

मुखिया ने तुरंत गांव के जवानों को बुलाया। वे सब मिलकर जंगल की ओर चल पड़े।

इधर तीनों ठग बकरी को देखकर लड़ने लगे। पहला ठग बोला, “मैंने सबसे अच्छा अभिनय किया है, इसलिए बकरी मेरी है।”

दूसरा बोला, “नहीं, मैंने ब्राह्माण को सबसे ज्यादा डराया है।”

तीसरा चिल्लाया, “तुम दोनों गलत कह रहे हो, बकरी सिर्फ मेरी है!”

वे आपस में लड़ते-झगड़ते रहे। तभी गांव वाले वहां पहुंच गए। तीनों ठगों को पकड़ लिया गया।

बुद्धिमती खुशी से पंडित जी के पास वापस चली गई। पंडित जी उसे देखकर बहुत खुश हुए।

बुद्धिमती ने पंडित जी को सारी कहानी सुनाई। पंडित जी समझ गए कि वे ब्राह्मण और तीन ठग की चाल में फंस गए थे।

कहानी का नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरों की बातों में आकर अपना फैसला नहीं बदलना चाहिए। साथ ही यह भी सिखाती है कि बुराई का अंत हमेशा बुरा ही होता है। सच्चाई और ईमानदारी की हमेशा जीत होती है।

जो व्यक्ति धैर्य रखता है और सोच-समझकर काम करता है, वह कभी भी धोखेबाजों के जाल में नहीं फंसता।

Summarize this Article with:

About Me

Welcome to StoriesPub.com We started in 2019 with a simple idea to provide our readers with useful and interesting information. Our team is dedicated to curating a wide range of captivating content in different categories, including inspirational stories, funny tales, Parenting, Kids’ products, Educational AI content, Tech content, coloring books, how to draw, and more.