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भेड़िया और सारस की कहानी – पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कथा

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक भेड़िया रहता था। वह बहुत ही लालची और स्वार्थी था। उसे केवल अपने पेट की चिंता रहती थी और दूसरों की मदद करने में उसका कोई विश्वास नहीं था।

एक दिन भेड़िया को बहुत तेज़ भूख लगी। वह शिकार की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। अचानक उसे एक मरा हुआ हिरण दिखाई दिया। भेड़िया खुशी से उछल पड़ा और तुरंत उस पर टूट पड़ा।

अपनी भूख के कारण भेड़िया ने बहुत जल्दी-जल्दी खाना शुरू किया। वह इतनी तेज़ी से खा रहा था कि एक बड़ी हड्डी उसके गले में अटक गई। हड्डी इतनी गहराई तक फंस गई कि वह न तो निगल सकता था और न ही उगल सकता था।

“हाय! मैं मर जाऊंगा!” भेड़िया दर्द से कराहने लगा। उसकी सांस फूलने लगी और वह बेचैनी से इधर-उधर दौड़ने लगा।

तभी उसे एक सारस दिखाई दिया जो तालाब के किनारे मछली पकड़ रहा था। भेड़िया ने सोचा कि सारस की लंबी चोंच उसकी समस्या का समाधान हो सकती है।

भेड़िया ने सारस के पास जाकर कहा, “हे सारस भाई! मैं बहुत मुसीबत में हूं। मेरे गले में एक हड्डी फंस गई है। कृपया अपनी लंबी चोंच से इसे निकाल दो। मैं तुम्हें इसका अच्छा इनाम दूंगा।”

सारस एक दयालु पक्षी था। उसने भेड़िया की हालत देखी तो उसे दया आ गई। हालांकि वह जानता था कि भेड़िया उसका दुश्मन है, फिर भी उसने मदद करने का फैसला किया।

“ठीक है भेड़िया जी, मैं आपकी मदद करूंगा।” सारस ने कहा। “लेकिन आप अपना मुंह खुला रखिए और हिलिए मत।”

सारस ने सावधानी से अपनी लंबी चोंच भेड़िया के मुंह में डाली और हड्डी को पकड़कर बाहर निकाल दिया। भेड़िया को तुरंत राहत मिली और वह आराम से सांस लेने लगा।

अब सारस ने कहा, “भेड़िया जी, अब मेरा इनाम दे दीजिए जैसा कि आपने वादा किया था।”

लेकिन भेड़िया का रवैया अब बदल गया था। वह अकड़कर बोला, “इनाम? तुम्हें और क्या इनाम चाहिए? मैंने तुम्हारा सिर अपने मुंह में होते हुए भी नहीं काटा। यही तुम्हारे लिए सबसे बड़ा इनाम है!”

सारस को भेड़िया की इस बात से बहुत दुख हुआ। उसे एहसास हुआ कि उसने एक गलत व्यक्ति की मदद की है। वह चुपचाप वहां से उड़ गया।

कुछ दिन बाद, भेड़िया फिर से मुसीबत में पड़ गया। इस बार वह एक शिकारी के जाल में फंस गया था। उसने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया। सारस ने उसकी आवाज़ सुनी लेकिन इस बार वह मदद के लिए नहीं आया।

“मैंने पहले भी इसकी मदद की थी लेकिन इसने मेरे साथ धोखा किया था। अब मैं इसकी मदद नहीं करूंगा।” सारस ने मन में सोचा और वहां से उड़ गया।

भेड़िया को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। शिकारी आया और उसे पकड़ ले गया।

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कृतघ्नता एक बहुत बुरी आदत है। जो व्यक्ति दूसरों की मदद का एहसान नहीं मानता और धोखा देता है, वह अंत में अकेला रह जाता है। हमें हमेशा उन लोगों का आभारी होना चाहिए जो हमारी मुसीबत में काम आते हैं। भेड़िया और सारस की यह कहानी हमें सिखाती है कि अच्छे कर्म का फल अच्छा और बुरे कर्म का फल बुरा होता है।

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