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अकबर का साला और बीरबल की चतुराई

मुगल दरबार में एक दिन बादशाह अकबर अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे। दरबार में सभी मंत्री और दरबारी उपस्थित थे। अचानक अकबर के साले मिर्जा हसन दरबार में प्रवेश किया। वह बहुत ही घमंडी और अहंकारी स्वभाव का था।

“आदाब बादशाह सलामत!” मिर्जा हसन ने कहा और अकबर के पास जाकर बैठ गया।

अकबर ने प्रेम से उसका स्वागत किया। मिर्जा हसन ने दरबार में बैठे सभी लोगों को देखा और फिर अकबर से बोला, “जहांपनाह, आपके दरबार में तो बहुत से बुद्धिमान लोग बैठे हैं। लेकिन मैं समझता हूं कि सबसे बुद्धिमान तो मैं ही हूं।”

यह सुनकर दरबारियों में फुसफुसाहट शुरू हो गई। बीरबल मुस्कराते हुए चुप रहे। अकबर को अपने साले की यह बात अच्छी नहीं लगी, लेकिन वे कुछ नहीं बोले।

मिर्जा हसन ने आगे कहा, “बादशाह सलामत, मैं चुनौती देता हूं कि इस दरबार में कोई भी व्यक्ति मुझसे बुद्धि की बाजी में नहीं जीत सकता।”

अकबर ने बीरबल की ओर देखा। बीरबल समझ गए कि अकबर का साला अपनी चतुराई दिखाना चाहता है। बीरबल ने विनम्रता से कहा, “मिर्जा साहब, आप सच कह रहे हैं। आप बहुत बुद्धिमान हैं।”

मिर्जा हसन खुश हो गया और बोला, “देखा बादशाह सलामत! यहां तक कि आपका प्रसिद्ध बीरबल भी मान गया है कि मैं सबसे बुद्धिमान हूं।”

बीरबल ने कहा, “जी हां मिर्जा साहब। लेकिन एक छोटा सा सवाल है। क्या आप बता सकते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा मूर्ख कौन है?”

मिर्जा हसन ने तुरंत जवाब दिया, “यह तो बहुत आसान सवाल है। जो व्यक्ति अपने से बुद्धिमान को मूर्ख समझे, वही सबसे बड़ा मूर्ख है।”

बीरबल मुस्कराए और बोले, “बहुत खूब मिर्जा साहब! अब मैं एक और सवाल पूछता हूं। अगर कोई व्यक्ति यह दावा करे कि वह दुनिया का सबसे बुद्धिमान है, तो वह कैसा व्यक्ति है?”

मिर्जा हसन सोच में पड़ गया। उसे समझ आ गया कि बीरबल उसे फंसाने की कोशिश कर रहा है। अगर वह कहता कि ऐसा व्यक्ति मूर्ख है, तो वह खुद को मूर्ख कह रहा होता। अगर वह कहता कि ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान है, तो उसका दावा झूठा साबित हो जाता।

पूरा दरबार मिर्जा हसन का जवाब सुनने के लिए इंतजार कर रहा था। अकबर का साला पसीने से तरबतर हो गया। वह कुछ भी जवाब नहीं दे पा रहा था।

बीरबल ने धीरे से कहा, “मिर्जा साहब, आपने खुद ही कहा था कि जो व्यक्ति अपने से बुद्धिमान को मूर्ख समझे, वही सबसे बड़ा मूर्ख है। आपने दरबार के सभी बुद्धिमान लोगों को अपने से कम बुद्धिमान बताया है।”

अकबर समझ गए कि बीरबल ने बहुत ही चतुराई से अकबर के साले की असलियत सबके सामने उजागर कर दी है। मिर्जा हसन का सिर शर्म से झुक गया।

अकबर ने कहा, “मिर्जा हसन, सच्ची बुद्धिमानी यह है कि व्यक्ति अपनी सीमाओं को पहचाने और दूसरों का सम्मान करे। घमंड सबसे बड़ी मूर्खता है।”

मिर्जा हसन ने माफी मांगी और कहा, “बादशाह सलामत, मैंने गलती की है। बीरबल जी ने मुझे सही राह दिखाई है। मैं अब कभी घमंड नहीं करूंगा।”

बीरबल ने विनम्रता से कहा, “मिर्जा साहब, हम सभी गलतियां करते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि हम अपनी गलतियों से सीखें।”

अकबर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बीरबल की प्रशंसा की और कहा, “बीरबल, तुमने बिना किसी का अपमान किए, बहुत ही सुंदर तरीके से सच्चाई सामने लाई है।”

उस दिन के बाद से मिर्जा हसन एक बदला हुआ इंसान बन गया। वह दरबार में आने पर सभी का सम्मान करता और अपनी बुद्धि का प्रदर्शन करने के बजाय दूसरों से सीखने की कोशिश करता।

सीख: सच्ची बुद्धिमानी विनम्रता में है, घमंड में नहीं। जो व्यक्ति दूसरों को कम समझता है, वह खुद ही सबसे बड़ा मूर्ख होता है। हमें हमेशा दूसरों का सम्मान करना चाहिए और अपनी सीमाओं को पहचानना चाहिए।

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