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व्यापारी की पत्नी और चोर – बुद्धिमान तोते की कहानी

एक समय की बात है, एक समृद्ध नगर में रामदास नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी सुमित्रा बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान थी। उनके घर में एक हरे रंग का तोता भी रहता था जिसका नाम मित्रु था। यह तोता बहुत ही चतुर था और मनुष्यों की भाषा समझता था।

रामदास को अक्सर व्यापार के लिए दूर-दूर के नगरों में जाना पड़ता था। जब भी वह घर से बाहर जाता, तो अपनी पत्नी सुमित्रा की सुरक्षा की चिंता करता रहता। लेकिन मित्रु तोता हमेशा घर की रखवाली करता था।

एक दिन रामदास को एक महीने के लिए दूसरे राज्य जाना पड़ा। जाते समय उसने अपनी पत्नी से कहा, “प्रिये, मैं एक महीने बाद लौटूंगा। घर की सुरक्षा का ध्यान रखना। मित्रु तुम्हारी मदद करेगा।”

सुमित्रा ने कहा, “चिंता मत करो, मैं सावधान रहूंगी।”

रामदास के जाने के कुछ दिन बाद, शहर में कालू नाम का एक कुख्यात चोर आया। उसने सुना था कि व्यापारी रामदास के घर में बहुत सारा धन और आभूषण है। कालू ने योजना बनाई कि जब व्यापारी घर पर नहीं है, तब वह चोरी करेगा।

एक अंधेरी रात में कालू चोर रामदास के घर के पास आया। वह दीवार फांदकर घर के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मित्रु तोता जाग रहा था और उसने चोर को देख लिया।

मित्रु ने तुरंत जोर से चिल्लाना शुरू किया, “चोर! चोर! घर में चोर घुसा है!”

सुमित्रा की नींद खुल गई। वह समझ गई कि कोई खतरा है। उसने तुरंत पड़ोसियों को आवाज लगाई। पड़ोसी दौड़े आए और चोर को भागते हुए देखा।

अगले दिन कालू ने सोचा कि पहले इस तोते को चुप कराना होगा। वह एक योजना लेकर आया। उसने तोते के लिए स्वादिष्ट फल लाए और कहा, “मित्रु, मैं तुम्हारा दोस्त हूं। ये फल खाओ और मुझे घर में आने दो।”

लेकिन बुद्धिमान मित्रु ने कहा, “तू चोर है! मैं तेरे झांसे में नहीं आऊंगा। मेरा काम अपने मालिक के घर की रक्षा करना है।”

कालू गुस्से में आ गया। उसने तोते को डराने की कोशिश की, लेकिन मित्रु बिल्कुल नहीं डरा।

तीसरी रात कालू ने एक नई चाल चली। वह बहुत चुपचाप घर में घुसने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मित्रु हमेशा सतर्क रहता था। जैसे ही चोर ने घर में कदम रखा, मित्रु ने फिर से चिल्लाना शुरू किया।

इस बार सुमित्रा तैयार थी। उसने पहले से ही राजा के सिपाहियों को खबर कर दी थी। सिपाही छुपकर बैठे थे। जैसे ही मित्रु ने आवाज लगाई, सिपाहियों ने कालू को पकड़ लिया।

कालू को राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने उसे कड़ी सजा दी। व्यापारी की पत्नी सुमित्रा और बुद्धिमान तोता मित्रु की वजह से घर की संपत्ति सुरक्षित रह गई।

जब रामदास वापस लौटा और पूरी कहानी सुनी, तो वह बहुत खुश हुआ। उसने अपनी पत्नी की बुद्धिमानी और मित्रु की वफादारी की बहुत प्रशंसा की।

रामदास ने कहा, “मित्रु, तुमने हमारे घर की रक्षा की है। तुम सच्चे मित्र हो।”

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा मित्र वही होता है जो मुश्किल समय में हमारी मदद करता है। वफादारी और सतर्कता से हम किसी भी खतरे से अपनी रक्षा कर सकते हैं। बुराई कितनी भी चालाक हो, अच्छाई हमेशा जीतती है। हमें हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।

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