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उल्लू और कबूतर की अनोखी मित्रता
बहुत समय पहले एक घने जंगल में एक बुद्धिमान उल्लू रहता था। उसका नाम था ज्ञानी। वह रात में जागता और दिन में सोता था। उसी जंगल में एक सुंदर सफेद कबूतर भी रहता था जिसका नाम था शांति। शांति बहुत दयालु और मिलनसार था।
एक दिन शांति कबूतर भोजन की तलाश में निकला। अचानक एक शिकारी का जाल उसके पैरों में फंस गया। वह जोर-जोर से फड़फड़ाने लगा लेकिन जाल से निकल नहीं पा रहा था। “बचाओ! कोई मेरी मदद करो!” वह चिल्लाया।
ज्ञानी उल्लू अपने पेड़ के कोटर में सो रहा था। शांति की आवाज सुनकर वह तुरंत जाग गया। हालांकि दिन का समय था और उसकी आंखों में तेज धूप से परेशानी हो रही थी, फिर भी वह मदद के लिए उड़ा।
“घबराओ मत मित्र, मैं आ रहा हूं,” ज्ञानी उल्लू ने कहा। उसने अपनी तेज चोंच से जाल को काटना शुरू किया। थोड़ी देर में शांति कबूतर आजाद हो गया।
कबूतर ने कृतज्ञता से कहा, “धन्यवाद मित्र! तुमने दिन में अपनी परेशानी के बावजूद मेरी जान बचाई। मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगा।”
ज्ञानी उल्लू मुस्कराया, “यही तो मित्रता है। मुसीबत में काम आना ही सच्ची दोस्ती है।”
उस दिन के बाद उल्लू और कबूतर के बीच गहरी मित्रता हो गई। वे अक्सर मिलते और एक-दूसरे से बातें करते।
कुछ महीने बाद जंगल में भयानक तूफान आया। तेज हवा और बारिश से ज्ञानी उल्लू का पेड़ गिर गया। वह बेघर हो गया और बुरी तरह घायल भी हो गया। उसका एक पंख टूट गया था।
शांति कबूतर को जब यह पता चला, वह तुरंत अपने मित्र की मदद के लिए पहुंचा। उसने ज्ञानी को अपने घोंसले में जगह दी और उसकी देखभाल की। रोज वह उल्लू के लिए भोजन लाता और उसके घावों की मरहम-पट्टी करता।
“तुम मेरे लिए इतना क्यों कर रहे हो?” ज्ञानी उल्लू ने पूछा।
शांति कबूतर ने प्रेम से कहा, “क्योंकि तुम मेरे सच्चे मित्र हो। जब तुमने मेरी मदद की थी, तब तुमने यह नहीं सोचा था कि मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकूंगा।”
धीरे-धीरे ज्ञानी उल्लू ठीक हो गया। उसका पंख भी भर गया। दोनों मित्रों ने मिलकर एक नया घर बनाया जहां वे साथ रह सकते थे।
जंगल के अन्य जानवर उल्लू और कबूतर की इस अनोखी मित्रता को देखकर हैरान थे। एक दिन एक बंदर ने पूछा, “तुम दोनों इतने अलग हो, फिर भी इतने अच्छे मित्र कैसे हो?”
ज्ञानी उल्लू ने जवाब दिया, “सच्ची मित्रता में जाति, रंग या आदतों का कोई भेद नहीं होता। मित्रता का आधार है – प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की मदद करना।”
शांति कबूतर ने जोड़ा, “हम दोनों अलग समय में जागते हैं, अलग भोजन खाते हैं, लेकिन हमारे दिल में एक-दूसरे के लिए प्रेम और सम्मान है।”
इस तरह उल्लू और कबूतर की मित्रता जंगल में मिसाल बन गई। सभी जानवर उनसे सीखने लगे कि सच्ची मित्रता कैसी होती है।
नैतिक शिक्षा: सच्ची मित्रता में जाति, रंग, या आदतों का भेद नहीं होता। मुसीबत के समय साथ देना और बिना स्वार्थ के मदद करना ही सच्ची दोस्ती है। जब हम दूसरों की निस्वार्थ सेवा करते हैं, तो वही प्रेम हमें वापस मिलता है।











