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मूर्ख बाँसुरीवाला और चतुर कौआ की कहानी

एक समय की बात है, एक घने जंगल में राजू नाम का एक मूर्ख बाँसुरीवाला रहता था। वह अपनी बाँसुरी बजाने में बहुत माहिर था, लेकिन उसमें अहंकार भरा हुआ था। राजू हमेशा सोचता था कि वह दुनिया का सबसे अच्छा संगीतकार है।

उसी जंगल में काका नाम का एक बुद्धिमान कौआ भी रहता था। काका बहुत समझदार था और हमेशा दूसरों की मदद करता था। वह राजू के अहंकार को देखकर चिंतित रहता था।

एक दिन राजू ने घोषणा की, “मैं इस जंगल का सबसे महान कलाकार हूँ! कोई भी मेरे जैसा संगीत नहीं बजा सकता।” यह सुनकर सभी जानवर परेशान हो गए।

काका ने राजू से कहा, “मित्र, अहंकार करना अच्छी बात नहीं है। तुम्हारी प्रतिभा अच्छी है, लेकिन विनम्रता भी जरूरी है।”

लेकिन मूर्ख बाँसुरीवाला राजू ने काका की बात को नजरअंदाज कर दिया और बोला, “तुम सिर्फ एक कौआ हो, तुम्हें संगीत की क्या समझ!”

अगले दिन जंगल में एक बड़ा संगीत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। राजू बहुत उत्साहित था और सोच रहा था कि वह आसानी से जीत जाएगा। प्रतियोगिता में कई जानवर शामिल हुए – कोयल, बुलबुल, मोर, और यहाँ तक कि काका भी।

जब राजू की बारी आई, तो वह बहुत घमंड से मंच पर गया। उसने अपनी बाँसुरी निकाली और बजाना शुरू किया। लेकिन अहंकार के कारण उसके हाथ काँप रहे थे और उसकी बाँसुरी से बेसुरी आवाज निकल रही थी।

सभी जानवर हैरान थे। मूर्ख बाँसुरीवाला राजू जो हमेशा अच्छा बजाता था, आज इतना बुरा क्यों बजा रहा है?

इसके बाद काका की बारी आई। उसने बहुत ही मधुर आवाज में एक सुंदर गीत गाया। उसकी आवाज में विनम्रता और प्रेम था। सभी जानवर मंत्रमुग्ध हो गए।

प्रतियोगिता का परिणाम घोषित हुआ और काका को विजेता घोषित किया गया। राजू को बहुत शर्म आई। वह समझ गया कि उसका अहंकार ही उसकी हार का कारण था।

राजू ने काका के पास जाकर माफी माँगी और कहा, “मित्र, मैं समझ गया हूँ कि प्रतिभा के साथ विनम्रता भी जरूरी है। क्या तुम मुझे सिखाओगे कि कैसे अहंकार को छोड़कर एक अच्छा कलाकार बना जा सकता है?”

काका ने मुस्कराते हुए कहा, “बिल्कुल मित्र! सच्ची कला तभी निखरती है जब हृदय में विनम्रता हो।”

उस दिन के बाद राजू ने अपना अहंकार छोड़ दिया और काका से सीखना शुरू किया। धीरे-धीरे वह न केवल एक बेहतर संगीतकार बना, बल्कि एक अच्छा इंसान भी बना।

नैतिक शिक्षा: अहंकार हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है। चाहे हमारे पास कितनी भी प्रतिभा हो, विनम्रता और नम्रता के बिना हम सफल नहीं हो सकते। सच्ची महानता विनम्रता में है, अहंकार में नहीं।

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