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हातिम ताई और न्याय की शक्ति – जो बुरा करेगा उसका बुरा होगा

बहुत समय पहले की बात है, जब अरब के रेगिस्तान में महान योद्धा और दानवीर हातिम ताई का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता था। उनकी दयालुता और न्याय की कहानियां दूर-दूर तक फैली हुई थीं। एक दिन हातिम ताई अपने घोड़े पर सवार होकर एक गांव से गुजर रहे थे।

उस गांव में जमील नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। जमील बहुत लालची और क्रूर था। वह गरीब लोगों से बहुत ऊंची दरों पर अनाज बेचता था और उनका शोषण करता था। गांव के लोग उससे बहुत परेशान थे, लेकिन डर के कारण कुछ नहीं कह पाते थे।

जब हातिम ताई गांव में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि एक बूढ़ी औरत फातिमा जमील की दुकान के सामने रो रही थी। हातिम ताई ने घोड़े से उतरकर उससे पूछा, “माता जी, आप क्यों रो रही हैं?”

फातिमा ने कांपती आवाज में कहा, “बेटा, मेरा पोता बहुत बीमार है। मुझे दवाई के लिए पैसे चाहिए, लेकिन जमील साहब मुझसे बहुत ज्यादा कीमत मांग रहे हैं। मैं गरीब हूं, इतने पैसे कहां से लाऊं?”

हातिम ताई का दिल दुख गया। वे जमील की दुकान में गए और देखा कि जमील एक गरीब किसान से भी बहुत ज्यादा पैसे मांग रहा था। हातिम ताई ने विनम्रता से कहा, “भाई जमील, क्या आप इन गरीब लोगों की मदद नहीं कर सकते?”

जमील ने घमंड से कहा, “यह मेरा धंधा है! मैं जो चाहूं वो कीमत लगाऊंगा। कोई मुझे रोक नहीं सकता!” उसने हातिम ताई को पहचाना नहीं था।

हातिम ताई ने शांति से कहा, “मित्र, याद रखो कि जो बुरा करेगा उसका बुरा होगा। प्रकृति का यह नियम है कि हमारे कर्मों का फल हमें अवश्य मिलता है।”

जमील हंसकर बोला, “बकवास! मैं तो अमीर हूं और हमेशा अमीर रहूंगा। तुम्हारी बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”

हातिम ताई ने अपनी जेब से सोने के सिक्के निकाले और फातिमा को दे दिए। उन्होंने कहा, “माता जी, अपने पोते की दवाई ले लीजिए।” फिर उन्होंने किसान की भी मदद की।

कुछ दिन बाद, एक रात तेज आंधी आई। जमील का घर और दुकान दोनों आंधी में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। उसका सारा अनाज बर्बाद हो गया और वह एक दिन में गरीब हो गया।

अगली सुबह जमील भूखा और परेशान होकर गांव में भीख मांग रहा था। तभी उसे फातिमा दिखाई दी। फातिमा ने उसे पहचान लिया और कहा, “जमील भाई, आइए, मैं आपको खाना देती हूं।”

जमील को बहुत शर्म आई। उसने कहा, “फातिमा बहन, मैंने तुम्हारे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था। तुम मुझे खाना क्यों दे रही हो?”

फातिमा ने मुस्कराकर कहा, “भाई, हातिम ताई जी ने हमें सिखाया है कि बुराई का बदला भलाई से देना चाहिए। जो बुरा करेगा उसका बुरा होगा, यह प्रकृति का नियम है, लेकिन हम इंसान हैं और हमें दया दिखानी चाहिए।”

उसी समय हातिम ताई वहां पहुंचे। उन्होंने जमील की हालत देखी और समझ गए कि क्या हुआ है। वे जमील के पास गए और कहा, “मित्र जमील, अब तुम्हें समझ आया कि जो बुरा करेगा उसका बुरा होगा?”

जमील ने हातिम ताई के पैर छुए और रोते हुए कहा, “हातिम साहब, मुझे माफ कर दीजिए। मैंने अपने लालच में लोगों को बहुत दुख दिया है। अब मैं समझ गया हूं कि बुरे कर्मों का फल बुरा ही होता है।”

हातिम ताई ने जमील का हाथ पकड़कर उसे उठाया और कहा, “मित्र, गलती करना इंसानी फितरत है, लेकिन उससे सीखना और सुधरना महानता है। अब तुम एक नया जीवन शुरू करो।”

हातिम ताई ने जमील को कुछ सोने के सिक्के दिए और कहा, “इससे तुम अपना धंधा फिर से शुरू करो, लेकिन इस बार गरीबों की मदद करना और उचित कीमत लेना।”

जमील ने वादा किया कि वह अब कभी किसी का शोषण नहीं करेगा। उसने अपनी दुकान फिर से खोली, लेकिन इस बार वह गरीबों को उचित दाम पर सामान देता था और जरूरतमंदों की मदद करता था।

कुछ महीनों बाद, जमील का धंधा पहले से भी अच्छा चलने लगा। लोग उसकी ईमानदारी और दयालुता की वजह से उससे सामान खरीदते थे। वह खुश था और गांव के लोग भी उससे खुश थे।

एक दिन हातिम ताई फिर उस गांव से गुजरे। उन्होंने देखा कि जमील अपनी दुकान के बाहर गरीब बच्चों को मुफ्त में मिठाई बांट रहा था। हातिम ताई मुस्कराए और जमील के पास गए।

जमील ने हातिम ताई को देखकर खुशी से कहा, “हातिम साहब, आपने मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा सबक सिखाया है। अब मैं समझ गया हूं कि जो बुरा करेगा उसका बुरा होगा और जो अच्छा करेगा उसका अच्छा होगा।”

हातिम ताई ने जमील के कंधे पर हाथ रखा और कहा, “मित्र, तुमने सच्चे दिल से तौबा की है और अपने कर्मों को सुधारा है। यही जिंदगी का असली मकसद है।”

उस दिन के बाद जमील हमेशा लोगों की मदद करता रहा। वह हातिम ताई की तरह दानवीर बन गया और उसका नाम भी गांव में सम्मान से लिया जाने लगा।

सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो बुरा करेगा उसका बुरा होगा और जो अच्छा करेगा उसका अच्छा होगा। हमारे कर्मों का फल हमें अवश्य मिलता है। इसलिए हमें हमेशा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। गलती करने पर सच्चे दिल से माफी मांगनी चाहिए और अपने कर्मों को सुधारना चाहिए।

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