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बीरबल की अद्भुत चित्रकारी – एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा

मुगल सम्राट अकबर के दरबार में एक दिन एक प्रसिद्ध चित्रकार आया। वह अपनी कला के लिए पूरे हिंदुस्तान में मशहूर था। उसने बादशाह अकबर से कहा, “जहांपनाह, मैं ऐसी चित्रकारी करता हूं कि एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा होती है।”

अकबर को चित्रकार की बात दिलचस्प लगी। उन्होंने कहा, “यदि तुम्हारी कला वाकई इतनी अद्भुत है, तो हमारे लिए एक चित्र बनाओ। यदि वह सच में एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा जगाए, तो तुम्हें हजार स्वर्ण मुद्राएं मिलेंगी।”

चित्रकार खुशी से राजी हो गया। उसने कहा, “बादशाह सलामत, मुझे तीन दिन का समय दीजिए। मैं ऐसा चित्र बनाऊंगा जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।”

तीन दिन बाद चित्रकार दरबार में हाजिर हुआ। उसके हाथ में एक सुंदर चित्र था जिस पर कपड़ा ढका हुआ था। सभी दरबारी उत्सुकता से देख रहे थे।

चित्रकार ने कपड़ा हटाया तो सबकी आंखें चौंधिया गईं। चित्र में एक अत्यंत सुंदर राजकुमारी थी जो बगीचे में फूल तोड़ रही थी। चित्र इतना जीवंत था कि लगता था राजकुमारी अभी बोल पड़ेगी।

“वाह! क्या खूबसूरत चित्र है!” अकबर ने प्रशंसा की। “सच में यह एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा जगाता है।”

सभी दरबारी चित्र की तारीफ करने लगे। अकबर ने चित्रकार को हजार स्वर्ण मुद्राएं देने का आदेश दिया।

लेकिन बीरबल चुपचाप खड़े थे। अकबर ने पूछा, “बीरबल, तुम कुछ नहीं कह रहे? क्या तुम्हें यह चित्र पसंद नहीं आया?”

बीरबल ने विनम्रता से कहा, “जहांपनाह, चित्र निश्चित रूप से बहुत सुंदर है। लेकिन मैं भी एक चित्र बनाना चाहता हूं जो सच में एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा जगाए।”

चित्रकार हंसकर बोला, “बीरबल साहब, आप तो बुद्धिमान हैं, लेकिन चित्रकारी में मेरा मुकाबला कर सकेंगे?”

अकबर ने कहा, “ठीक है बीरबल, तुम्हें भी मौका देते हैं। यदि तुम्हारा चित्र इससे भी बेहतर हुआ, तो तुम्हें दो हजार स्वर्ण मुद्राएं मिलेंगी।”

बीरबल ने कहा, “जहांपनाह, मुझे केवल एक दिन का समय चाहिए।”

अगले दिन बीरबल दरबार में आए। उनके हाथ में भी एक चित्र था जिस पर कपड़ा ढका था। सभी उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे।

बीरबल ने कपड़ा हटाया तो सभी हैरान रह गए। चित्र में एक साधारण सा आदमी था जो आईने में अपना चेहरा देख रहा था।

चित्रकार हंसकर बोला, “यह क्या है बीरबल साहब? यह तो बिल्कुल साधारण चित्र है। इसमें ऐसा क्या है जो एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा जगाए?”

बीरबल मुस्कराए और बोले, “महोदय, आप गौर से देखिए। यह आदमी आईने में क्या देख रहा है?”

सभी ने ध्यान से देखा। अकबर ने कहा, “यह तो अपना ही चेहरा देख रहा है।”

बीरबल ने कहा, “बिल्कुल सही जहांपनाह! और बताइए, कोई भी व्यक्ति आईने में अपना चेहरा देखकर क्या करता है?”

अकबर सोच में पड़ गए। फिर अचानक उनकी आंखें चमक उठीं। “अरे वाह बीरबल! जब भी कोई आईने में अपना चेहरा देखता है, तो वह बार-बार देखता है। कभी अपने बाल ठीक करता है, कभी दाढ़ी-मूंछ संवारता है।”

बीरबल ने कहा, “जी हां जहांपनाह! यही तो है एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा होना। आईने में अपना चेहरा देखकर हर व्यक्ति बार-बार देखता है।”

चित्रकार अब समझ गया था। वह शर्मिंदा होकर बोला, “बीरबल साहब, आपने सच में एक अद्भुत चित्र बनाया है। मैं हार मानता हूं।”

अकबर खुश होकर बोले, “वाह बीरबल! तुमने एक बार फिर अपनी बुद्धिमानी का परिचय दिया है। तुम्हारा चित्र वाकई में एक बार देखने पर भी बार-बार देखने की इच्छा जगाता है।”

सभी दरबारी बीरबल की तारीफ करने लगे। अकबर ने बीरबल को दो हजार स्वर्ण मुद्राएं दीं।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची कला वही है जो जीवन की सच्चाई को दर्शाती है। बीरबल ने दिखाया कि सबसे सुंदर चीज वह है जो हमारे दैनिक जीवन में छुपी होती है। आईना हमें सिखाता है कि हम अपने आप को कैसे देखते हैं और कैसे सुधारते हैं।

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