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बेशकीमती फूलदान और बीरबल की बुद्धि

बादशाह अकबर के दरबार में एक दिन एक अनोखी घटना घटी। राजा अकबर को एक व्यापारी से एक अत्यंत सुंदर और बेशकीमती फूलदान उपहार में मिला था। यह फूलदान चीनी मिट्टी से बना था और उस पर बारीक नक्काशी की गई थी।

अकबर इस बेशकीमती फूलदान को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने इसे अपने महल के मुख्य कक्ष में रखवा दिया। फूलदान इतना सुंदर था कि जो भी इसे देखता, वह इसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकता था।

कुछ दिनों बाद, अकबर ने देखा कि उनका बेशकीमती फूलदान गायब हो गया है। बादशाह को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत सभी सेवकों और दरबारियों को बुलवाया।

“मेरा बेशकीमती फूलदान कहाँ गया?” अकबर ने गुस्से में पूछा। “जब तक यह फूलदान वापस नहीं मिलता, तब तक कोई भी महल से बाहर नहीं जा सकता।”

सभी सेवक और दरबारी डर गए। किसी को पता नहीं था कि बेशकीमती फूलदान कहाँ गया है। सभी एक-दूसरे पर शक कर रहे थे।

तभी बीरबल दरबार में आए। उन्होंने स्थिति को समझा और अकबर से कहा, “जहाँपनाह, मुझे इस बेशकीमती फूलदान की चोरी का पता लगाने के लिए कुछ समय दीजिए।”

अकबर ने बीरबल को एक दिन का समय दिया। बीरबल ने सभी सेवकों और दरबारियों को एक कतार में खड़ा किया और कहा, “मैं आप सभी को एक-एक करके एक छड़ी दूंगा। जिसने भी बेशकीमती फूलदान चुराया है, उसकी छड़ी कल सुबह तक एक इंच बढ़ जाएगी।”

बीरबल ने सभी को समान लंबाई की छड़ियाँ दीं और कहा कि कल सुबह सभी अपनी छड़ियाँ लेकर आएं।

अगली सुबह जब सभी अपनी छड़ियाँ लेकर आए, तो बीरबल ने देखा कि एक व्यक्ति की छड़ी बाकी सभी से छोटी है। बीरबल मुस्कराए और उस व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा, “यही है हमारा चोर!”

वह व्यक्ति घबरा गया और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उसने बताया कि उसने डर के कारण अपनी छड़ी को एक इंच काट दिया था, क्योंकि उसे लगा था कि छड़ी वास्तव में बढ़ जाएगी।

अकबर ने पूछा, “बीरबल, तुमने यह कैसे जाना कि चोर अपनी छड़ी काट देगा?”

बीरबल ने जवाब दिया, “जहाँपनाह, अपराधी हमेशा डर में रहता है। मैंने जानबूझकर यह कहा था कि छड़ी बढ़ जाएगी। सच्चे व्यक्ति को पता था कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है, इसलिए उन्होंने अपनी छड़ी में कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन चोर डर गया और उसने अपनी छड़ी काट दी।”

चोर ने बेशकीमती फूलदान वापस कर दिया और अकबर ने उसे माफ कर दिया, लेकिन उसे महल से निकाल दिया।

अकबर बीरबल की बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने कहा, “बीरबल, तुमने बिना किसी को सताए सच्चाई का पता लगा लिया। यही तो न्याय है।”

सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपराधी हमेशा डर में रहता है और अपने डर के कारण ही पकड़ा जाता है। सच्चाई हमेशा सामने आती है और बुद्धिमानी से हर समस्या का समाधान हो सकता है। हमें हमेशा ईमानदार रहना चाहिए क्योंकि झूठ और चोरी का परिणाम हमेशा बुरा होता है।

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