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सांप और चूहा की अनोखी मित्रता
बहुत समय पहले एक घने जंगल में एक बड़ा बरगद का पेड़ था। उस पेड़ की जड़ों के पास एक छोटा सा बिल था, जिसमें चिंकू नाम का एक चतुर चूहा रहता था। चिंकू बहुत मेहनती और समझदार था। वह हमेशा अपने भोजन का इंतजाम करने में व्यस्त रहता था।
उसी पेड़ पर नागराज नाम का एक बड़ा सांप भी रहता था। नागराज बहुत शक्तिशाली था, लेकिन वह अकेलेपन से परेशान रहता था। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे और कोई भी उसके पास नहीं आता था।
एक दिन चिंकू भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था। अचानक उसकी नजर एक शिकारी के जाल में फंसे हुए नागराज पर पड़ी। सांप बहुत परेशान था और जाल से निकलने की कोशिश कर रहा था।
“अरे! यह तो बड़ी मुसीबत है,” चिंकू ने मन में सोचा। “यह सांप मेरा दुश्मन है, लेकिन फिर भी किसी की मुसीबत देखकर मदद नहीं करना गलत है।”
चिंकू ने हिम्मत जुटाई और नागराज के पास गया। “नागराज जी, आप परेशान लग रहे हैं। क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूं?” चिंकू ने विनम्रता से पूछा।
नागराज को बड़ी हैरानी हुई। उसने कहा, “चूहे! तुम मेरी मदद करना चाहते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगता?“
“डर तो लगता है,” चिंकू ने ईमानदारी से कहा, “लेकिन मुसीबत में फंसे किसी की मदद करना हमारा धर्म है। आप चाहें तो मैं इस जाल को कुतर सकता हूं।”
नागराज के मन में चिंकू के लिए सम्मान जगा। उसने कहा, “अगर तुम मेरी मदद करोगे, तो मैं वादा करता हूं कि तुम्हें कभी नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा।”
चिंकू ने तुरंत अपने तेज दांतों से जाल को कुतरना शुरू किया। कुछ ही देर में नागराज जाल से मुक्त हो गया।
“धन्यवाद, छोटे मित्र!” नागराज ने कृतज्ञता से कहा। “आज तुमने मेरी जान बचाई है। अब से हम दोस्त हैं।”
उस दिन के बाद सांप और चूहा के बीच एक अनोखी मित्रता शुरू हुई। नागराज चिंकू की रक्षा करता था और चिंकू नागराज के लिए खबरें लाता था। जंगल के सभी जानवर इस अजीब दोस्ती को देखकर हैरान रहते थे।
एक दिन जंगल में एक खतरनाक बाघ आया। वह सभी छोटे जानवरों को परेशान करने लगा। चिंकू भी उसके निशाने पर था। जब बाघ ने चिंकू पर हमला किया, तो नागराज तुरंत वहां पहुंचा।
“रुको!” नागराज ने गरजकर कहा। “यह मेरा मित्र है। इसे छूने की हिम्मत मत करना।”
बाघ डरकर वहां से भाग गया। चिंकू की जान बच गई।
कुछ दिन बाद चिंकू ने देखा कि कुछ शिकारी नागराज को पकड़ने की योजना बना रहे हैं। उसने तुरंत नागराज को खबर दी। नागराज समय रहते वहां से निकल गया और बच गया।
इस तरह दोनों मित्रों ने एक-दूसरे की कई बार जान बचाई। जंगल के सभी जानवर समझ गए कि सच्ची मित्रता में जाति-पाति का कोई भेद नहीं होता।
कहानी का नैतिक संदेश:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची मित्रता में आकार, जाति या शक्ति का कोई भेद नहीं होता। छोटे से छोटा व्यक्ति भी बड़े से बड़े व्यक्ति की मदद कर सकता है। दया, करुणा और निस्वार्थ सेवा ही सच्ची मित्रता की नींव है। जब हम किसी की मुसीबत में मदद करते हैं, तो वह व्यक्ति हमेशा हमारा साथ देता है। सांप और चूहा की इस कहानी से हमें यह भी पता चलता है कि प्रेम और सम्मान से सबसे बड़े दुश्मन को भी मित्र बनाया जा सकता है।










