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गधा और नमक की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक नमक का व्यापारी रहता था। उसके पास मोती नाम का एक गधा था, जो बहुत ही चालाक और आलसी था। रामू रोज अपने गधे पर नमक की बोरियाँ लादकर पास के बाज़ार में बेचने जाता था।
मोती को यह काम बिल्कुल पसंद नहीं था। भारी नमक की बोरियाँ उसकी पीठ पर दर्द करती थीं और लंबा रास्ता चलना उसे परेशान करता था। वह हमेशा सोचता रहता कि कैसे इस काम से छुटकारा पाया जाए।
एक दिन बाज़ार जाते समय रास्ते में एक छोटी नदी पार करनी पड़ी। जब मोती नदी के बीच में था, तो अचानक उसका पैर फिसल गया और वह पानी में गिर गया। नमक की बोरियाँ पानी में भीग गईं और नमक घुलकर बह गया।
“अरे वाह!” मोती ने मन में सोचा, “अब मेरा बोझ कितना हल्का हो गया है!” वह खुशी से उछलता हुआ बाकी रास्ता तय करके बाज़ार पहुँचा।
रामू को बहुत गुस्सा आया जब उसने देखा कि सारा नमक बर्बाद हो गया है। लेकिन उसने सोचा कि यह एक दुर्घटना थी और गधे की कोई गलती नहीं थी।
अगले दिन फिर से मोती की पीठ पर नमक की बोरियाँ लादी गईं। इस बार मोती ने जानबूझकर नदी के बीच में अपने आप को गिरा दिया। फिर से नमक पानी में घुल गया और उसका बोझ हल्का हो गया।
“यह तो बहुत आसान तरीका है!” मोती ने सोचा और रोज यही करने लगा। रामू को समझ आ गया कि गधा जानबूझकर ऐसा कर रहा है।
रामू ने सोचा, “अब मैं इस चालाक गधे को सबक सिखाऊंगा।” अगले दिन उसने मोती की पीठ पर नमक की जगह रूई की बोरियाँ लादीं।
मोती को लगा कि आज का बोझ पहले से भी हल्का है। वह खुश होकर चलने लगा। जब नदी आई, तो उसने अपनी पुरानी आदत के अनुसार खुद को पानी में गिरा दिया।
लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। रूई ने पानी सोख लिया और बहुत भारी हो गई। अब मोती का बोझ पहले से कई गुना ज्यादा हो गया था।
“हाय राम!” मोती चिल्लाया, “यह क्या हो गया? मैं तो उठ ही नहीं पा रहा!” वह बड़ी मुश्किल से नदी पार करके बाज़ार पहुँचा। उसकी सांस फूल रही थी और पूरा शरीर दर्द कर रहा था।
रामू ने मुस्कराते हुए कहा, “मोती, अब समझ आया कि चालाकी का फल क्या होता है? तुमने अपनी आलस्य और बेईमानी के कारण खुद को ही नुकसान पहुँचाया है।”
मोती को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने रामू से माफी मांगी और वादा किया कि वह फिर कभी ऐसी चालाकी नहीं करेगा।
उस दिन के बाद मोती ने ईमानदारी से काम किया। वह समझ गया था कि मेहनत से बचने की कोशिश करने से अंत में और भी ज्यादा परेशानी होती है।
कहानी की सीख: आलस्य और चालाकी से काम से बचने की कोशिश करना हमेशा नुकसानदायक होता है। ईमानदारी और मेहनत ही सफलता की सच्ची कुंजी है। जो व्यक्ति अपने कर्तव्य से बचने की कोशिश करता है, वह अंत में खुद को ही हानि पहुँचाता है।
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