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दूधवाला और उसकी पत्नी की कहानी – लालच का फल
एक छोटे से गाँव में रामू दूधवाला और उसकी पत्नी सीता रहते थे। रामू हर सुबह अपनी गाय का दूध निकालकर शहर में बेचने जाता था। वे दोनों ईमानदार थे और अपने काम से खुश थे।
एक दिन सीता ने रामू से कहा, “सुनो जी, हमारे पड़ोसी श्याम दूधवाले को देखो। वह कितना अमीर हो गया है। उसके पास नई साइकिल भी है।”
रामू ने जवाब दिया, “हाँ, लेकिन हम ईमानदारी से काम करते हैं। यही हमारी खुशी है।”
कुछ दिन बाद, सीता ने फिर कहा, “अगर हम दूध में थोड़ा पानी मिला दें तो ज्यादा दूध बेच सकेंगे। सभी दूधवाले ऐसा करते हैं।”
रामू दूधवाला पहले तो हिचकिचाया, लेकिन पत्नी के कहने पर उसने दूध में पानी मिलाना शुरू कर दिया। शुरू में उन्होंने बहुत कम पानी मिलाया, लेकिन धीरे-धीरे लालच बढ़ता गया।
एक महीने बाद, दूधवाला और उसकी पत्नी दूध में इतना पानी मिलाने लगे कि दूध का स्वाद ही बदल गया। उनकी कमाई बढ़ गई थी, लेकिन वे खुश नहीं थे।
एक दिन गाँव का बुजुर्ग किसान मुन्ना काका उनके घर आया। उसने कहा, “रामू बेटा, तुम्हारे दूध की गुणवत्ता गिर गई है। लोग शिकायत कर रहे हैं।”
सीता घबरा गई और बोली, “काका, हम तो वैसा ही दूध बेचते हैं।”
मुन्ना काका मुस्कराया और बोला, “बेटी, झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं। मैंने देखा है तुम दूध में पानी मिलाते हो।”
रामू दूधवाला और उसकी पत्नी शर्म से सिर झुका लिया। मुन्ना काका ने आगे कहा, “लालच का फल हमेशा बुरा होता है। तुम्हारी ईमानदारी ही तुम्हारी सबसे बड़ी दौलत थी।”
अगले दिन से ग्राहक दूध खरीदना बंद कर दिया। किसी को भरोसा नहीं रहा था। दूधवाला और उसकी पत्नी को समझ आ गया कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है।
रामू ने सीता से कहा, “तुम सही कह रही थीं कि हमें ज्यादा कमाना चाहिए, लेकिन गलत तरीके से नहीं।”
दोनों ने मिलकर फैसला किया कि वे फिर से ईमानदारी से काम करेंगे। उन्होंने सभी ग्राहकों से माफी मांगी और वादा किया कि अब वे शुद्ध दूध ही बेचेंगे।
धीरे-धीरे लोगों का भरोसा वापस आया। रामू दूधवाला और उसकी पत्नी ने सीखा कि ईमानदारी से कमाया गया थोड़ा पैसा भी बेईमानी से कमाए गए ज्यादा पैसे से बेहतर है।
कहानी की सीख: लालच और बेईमानी से कभी सच्ची खुशी नहीं मिलती। ईमानदारी ही सबसे बड़ी दौलत है। जो व्यक्ति अपने काम में ईमानदार रहता है, वह हमेशा सम्मान पाता है और खुश रहता है।
इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि व्यापारी का उदय और पतन हमें यह समझाता है कि ईमानदारी से व्यापार करना कितना महत्वपूर्ण है।
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