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दो गीदड़ और शेर की कहानी – बुद्धि और एकता का पाठ

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में दो गीदड़ रहते थे। उनके नाम थे चतुर और बुद्धि। ये दोनों मित्र बचपन से साथ थे और हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे।

एक दिन जंगल में भयानक अकाल पड़ा। पानी की कमी से सभी जानवर परेशान थे। भोजन भी मिलना मुश्किल हो गया था। दो गीदड़ भी भूख से व्याकुल थे और खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे।

तभी उन्हें दूर से एक शेर की दहाड़ सुनाई दी। डर के मारे दोनों गीदड़ एक पेड़ के पीछे छुप गए। शेर धीरे-धीरे उनकी तरफ आ रहा था। लेकिन जब शेर पास आया तो उन्होंने देखा कि वह बहुत कमजोर और बूढ़ा था।

“मित्र चतुर,” बुद्धि ने धीरे से कहा, “यह शेर बहुत कमजोर लग रहा है। शायद वह भी भूखा है।”

चतुर ने जवाब दिया, “हां बुद्धि, लेकिन फिर भी वह शेर है। हमें सावधान रहना चाहिए।”

अचानक शेर ने उन्हें देख लिया। दो गीदड़ डर गए, लेकिन शेर ने कहा, “डरो मत मित्रों। मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहूंचाऊंगा। मैं बहुत बूढ़ा और कमजोर हो गया हूं। अब मैं शिकार भी नहीं कर सकता।”

शेर की बात सुनकर दोनों गीदड़ों को दया आई। बुद्धि ने कहा, “महाराज, हम आपकी मदद कर सकते हैं। हमारे पास एक योजना है।”

चतुर ने आगे कहा, “हम आपके लिए भोजन का इंतजाम कर सकते हैं, बदले में आप हमारी रक्षा करें।”

शेर ने खुशी से हामी भर दी। अब तीनों ने मिलकर एक योजना बनाई। दो गीदड़ अपनी चालाकी से दूसरे जानवरों को शेर के पास लाते और शेर अपना भोजन प्राप्त करता। बदले में शेर उन गीदड़ों की सुरक्षा करता।

कुछ दिन यह व्यवस्था अच्छी चली। लेकिन एक दिन जंगल में एक नया शेर आया। वह जवान और ताकतवर था। उसने बूढ़े शेर को चुनौती दी।

“यह जंगल अब मेरा है,” नए शेर ने गर्जना की। “तुम यहां से चले जाओ।”

बूढ़ा शेर डर गया। वह जानता था कि वह इस जवान शेर से नहीं लड़ सकता। दो गीदड़ ने अपने मित्र की मुसीबत देखी तो उन्होंने एक चतुर योजना बनाई।

चतुर ने नए शेर से कहा, “महाराज, आप बहुत शक्तिशाली हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस जंगल में एक जादुई गुफा है? जो भी उस गुफा में जाता है, वह और भी ताकतवर बन जाता है।”

बुद्धि ने आगे कहा, “हां महाराज, लेकिन वह गुफा बहुत खतरनाक है। केवल सबसे बहादुर शेर ही वहां जा सकता है।”

अहंकारी नया शेर तुरंत तैयार हो गया। दो गीदड़ उसे एक गहरी खाई के पास ले गए जहां नीचे तेज धारा वाली नदी बह रही थी।

“यही है वह जादुई गुफा,” चतुर ने कहा। “आपको इसमें छलांग लगानी होगी।”

घमंडी शेर ने बिना सोचे-समझे छलांग लगा दी और नदी में गिर गया। तेज धारा उसे बहा ले गई।

इस तरह दो गीदड़ ने अपनी बुद्धि से अपने मित्र बूढ़े शेर की जान बचाई। बूढ़े शेर ने उनका धन्यवाद किया और कहा, “तुम दोनों ने मुझे सिखाया है कि सच्ची मित्रता और बुद्धि से बड़ी कोई शक्ति नहीं है।”

उस दिन के बाद तीनों मित्र खुशी से रहने लगे। जंगल में फिर से शांति छा गई।

नैतिक शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि एकता में शक्ति होती है। बुद्धि और मित्रता के सामने बल की कोई अहमियत नहीं। दो गीदड़ और शेर की यह कहानी बताती है कि सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं और मुसीबत के समय साथ खड़े रहते हैं।

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